2024 Lok Sabha Election Results: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर वोटिंग हो चुकी है. सात चरणों की मतदान प्रक्रिया के बाद अब वो दिन आ ही गया है, जब इस सवाल का जवाब मिलेगा कि जनादेश किसके पक्ष में है. क्या पब्लिक तीसरी बार बीजेपी नीत NDA पर भरोसा जताने वाली है, या फिर इंडिया ब्लॉक के दावे को सच साबित करेगी? हालांकि एग्जिट पोल के अनुमान को मानें तो NDA सरकार बना सकती है. लेकिन अब देखना ये है कि क्या पीएम मोदी तीसरी बार जीतकर रिकॉर्ड बना पाएंगे या फिर BJP 2.0 का सफर यहीं थम जाएगा.
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया का एग्जिट पोल कहता है कि तीसरी बार बीजेपी फिर बहुमत से सरकार बना सकती है. NDA 401 सीट तक जीत सकता है. वहीं विपक्ष को किसी एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं है. विपक्षी नेता एग्जिट पोल का अपना नंबर 295 लेकर नतीजे आने का इंतजार करने को कह रहे हैं.
अब सवाल उठता है कि एग्जिट पोल का अनुमान ही अगर नतीजों में बदलता है तो क्या नरेंद्र मोदी की जीत राजीव गांधी के दौर में कांग्रेस को मिली 1984 की जीत से भी बहुत बड़ी होगी? अगर एग्जिट पोल नतीजों में बदला तो क्या ये जवाहर लाल नेहरू को लगातार तीन बार मिली जीत से बड़ा जनता का विश्वास मत होगा? अगर एक्जिट पोल के मुताबिक NDA 401 सीट तक गया तो क्या नरेंद्र मोदी की लगातार तीसरी जीत और 400 पार का रिकॉर्ड जवाहर लाल नेहरू और राजीव गांधी को मिली विजय से बड़ा इतिहास रचेगी?
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अभी तक जीत की हैट्रिक करने वाले इकलौते नेता हैं नेहरू
ये तो सब जानते हैं कि पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के अब तक इकलौते नेता हैं, जो लगातार तीन बार जीतते हुए प्रधानमंत्री बने. और अब तक राजीव गांधी देश के इकलौते नेता हैं, जिन्हें जनता ने 1984 में 400 पार का जनादेश दिया. लेकिन अब अगर मंगलवार को एग्जिट पोल के ही मुताबिक जनादेश भी आता है और अगर नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीसरी बार सरकार बनती है तो जवाहर लाल नेहरू से मिली लगातार तीन जीत और नरेंद्र मोदी को मिली तीसरी जीत में फर्क रहेगा. कारण, नेहरू सरकार को जीत मिली लेकिन सीट कांग्रेस की घटी, लेकिन मोदी सरकार की जीत के साथ बीजेपी की सीट भी बढ़ती जा रही है.
1952 में कांग्रेस को 364 सीटें मिली थीं. 1957 में 371 सीटें और 1962 में 361 सीट मिलीं. यानी हर बार के चुनाव में कांग्रेस की सीट घटती गईं. वहीं बीजेपी को नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देखिए. 2014 में 282 सीट मिलीं. 2019 में 303 सीटें मिलीं और 2024 एक्जिट पोल का अनुमान है कि बीजेपी को 340 सीट तक मिल सकती हैं. यानी मोदी को मिलती तीसरी जीत में सीट बढ़ रही हैं, जबकि नेहरू के कार्यकाल में मिली तीन जीत में सीट घटी थीं.
ऐसा रहा है नेहरू और मोदी की जीत का अंतर
बता दें कि जवाहर लाल नेहरू और नरेंद्र मोदी के वक्त की राजनीति में बड़ा फर्क ये भी रहा है कि नेहरू की कांग्रेस के सामने पहले तीन चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी ज्यादा से ज्यादा 200 से 250 सीट पर ही चुनाव लड़ती रही. यानी तब कांग्रेस के लिए मैदान आसान रहा, जबकि 2014 से 2024 में बीजेपी के सामने मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने 328 से 460 सीट तक पर चुनाव लड़ती रही है. और फिर अगर एग्जिट पोल का अनुमान ही नतीजे में बदलता है तो नेहरू की हैट्रिक और मोदी की हैट्रिक की तुलना की जाएगी. तब फूलपुर सीट से लगातार 1952 से 1962 तक नेहरू की जीत का अंतर 29.32%, 29.22%, 33.45% फीसदी रहा. लेकिन इसके मुकाबले वाराणसी में नरेंद्र मोदी की जीत का अंतर बड़ा है. जहां 2014 में मोदी 36.07% और 2019 में 45.2% वोट के अंतरसे जीते. दावा है कि अबकी जीत का ये अंतर और बड़ा होने वाला है. हालांकि इन तुलना के बीच कांग्रेस को लगता है कि एग्जिट पोल का अनुमान नतीजों में नहीं बदलने वाला.
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क्या जीत का इतिहास रच पाएगी बीजेपी?
अब एनडीए का 400 पार सीट का एग्जिट पोल अगर नतीजों में बदलता है तो फिर अब तक चुनावी इतिहास में इस जीत को सबसे बड़ा कहा जाएगा. इसके लिए चुनावी जीत और चुनावी इतिहास का पूरा कैलेंडर समझने की जरूत है. पहले 1984 का चुनावी नतीजा देखते हैं. यही वो साल है जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर के बीच राजीव गांधी की कांग्रेस को जनता ने 404 सीट और 49 फीसदी वोट दे दिया, जबकि तब बीजेपी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने उतरी थी और उसे 2 सीट मिली थीं. 1980 में बीजेपी बनी थी. और 84 में पहली बार चुनाव लड़ने उतरी. दो सीटें मिलीं और 8 फीसदी वोट. लेकिन इसके बाद धीरे धीरे कांग्रेस घटती गई और बीजेपी बढ़ने लगी. फिर 1984 से अब तक के चुनावी दौर में 1998 वो वक्त आया जब बीजेपी और कांग्रेस दोनों का वोट शेयर एक जैसा हो गया. 26 फीसदी का वोट देश के दोनों मुख्य दलों को मिलता है.
इसके बाद 2014 का चुनाव आया और बीजेपी पहली बार 30 फीसदी वोट शेयर से आगे बढ़ती है. कांग्रेस 20 फीसदी वोट शेयर पर आ जाती है. इतिहास का सबसे कमजोर प्रदर्शन कांग्रेस का होता है. और अब दस साल बाद भी 2024 में एग्जिट पोल के मुताबिक जहां 40 साल पहले इकाई से शुरु हुई बीजेपी अब सैकड़ा नहीं बल्कि लगातार दूसरी बार तीन सौ के पार हो सकती है. वहीं 40 साल पहले सहानुभूति की लहर में 400 पार हुई कांग्रेस अब दहाई से आगे नहीं बढ़ पाती. इसलिए मंगलवार को आने वाले परिणाम कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होने वाले हैं. 4 जून को वोटों की गिनती के साथ ही अगले पांच साल किसकी सरकार बनेगी, यह तय हो जाएगा.
मतदान को लेकर तैयारी पूरी
देश के चुनावी नतीजों को आने में अब सिर्फ कुछ ही घंटे रह गए हैं. इसको लेकर देश भर में तैयारियां जोरों पर हैं. चुनावी प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न शहरों में कई मतगणना केंद्रों पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता की गई है. मतदान केंद्रों पर तीन लेयर की सुरक्षा व्यवस्था रहेगी और प्रत्येक व्यक्ति की चेकिंग की जाएगी. हर जगह सुरक्षाबलों की कई कंपनियों को भी तैनात किया गया है.
एग्जिट पोल का अनुमान आने के बाद नतीजों से पहले ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जिनमें आशंका और शक की जमीन पर भड़काने का आरोप लग रहा है. कहीं EVM न बदल जाए, कहीं EVM की सील न टूटी हो, कहीं डीएम धांधली न कर दें, कहीं पोस्टल बैलेट की गिनती में खेल न हो, ऐसी तमाम आशंकाओं को विपक्ष के नेता जाहिर कर रहे हैं. क्या विपक्षी नेताओं की तरफ से ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, जिससे कानून व्यवस्था को चुनौती दी जा रही हो? इस सवाल की वजह उत्तर प्रदेश के डीजीपी का बयान है. नतीजों से पहले सिर पर कफन बांधते युवा की बात करते अखिलेश और अब समाजवादी पार्टी पर दंगा कराने की कोशिश का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने यूपी में चुनाव आयोग को शिकायत दी है. आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव की पार्टी मतगणना के बाद माहौल बिगाड़ सकती है.
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कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं को लिखी चिट्ठी
कांग्रेस की तरफ से भी अपने कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखी गई है. इसमें लिखा गया है कि काउंटिंग के दिन तमाम कार्यकर्ता लोकतंत्र और पार्टी का वोट बचाने के लिए ज़िला कार्यालय पहुंचें, न कि TV पर नतीजे देखें. काउंटिंग के दिन कार्यकर्ताओं को धांधली का डर बताकर जिला कार्यालय पर इकट्ठा रहने को कहना गया है. नतीजों में धांधली का शक जताते हुए कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं. उन्हें किसी भी तरह की धांधली दिखते ही वीडियो बनाकर भेजने को कहा गया है.
उधर, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने क्षेत्र में ईवीएम बदले जाने का आरोप लगाया है. मंगलवार को नतीजों के वक्त विपक्ष की तरफ से ऐसे आरोप और भी बढ़ सकते हैं. लेकिन सवाल है कि सच क्या है? क्या वाकई धांधली का आरोप सच्चा है या फिर माहौल बिगाड़ने की राजनीति हो रही है? इसे ऐसे समझा जा सकता कि विपक्ष के नेता नतीजों से पहले ही चुनाव आयोग के पास गए. मांग ये रखी कि पोस्टल बैलेट की गिनती ईवीएम से पहले हो और ईवीएम में लास्ट राउंड की गिनती से पहले पोस्टल बैलेट का नतीजा घोषित हो. चुनाव आयोग ने साफ किया कि पोस्टल बैलेट की गिनती हमेशा ईवीएम से पहले शुरु होती है. लेकिन पोस्टल बैलेट वाले वोट का नतीजा पहले घोषित किया जाए, इसका कोई नियम नहीं है. और शक का इलाज नहीं किया जा सकता. वहीं इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया, जिन्होंने यहां तक कह डाला कि गृहमंत्री अमित शाह ने देश के 150 कलेक्टरों को फोन करके धमकी दी है. इस पर आयोग ने जयराम को नोटिस जारी किया है.