पश्चिम चंपारण सीट पर बीजेपी उम्मीदवार संजय जायसवाल जीत गए हैं. जायसवाल ने 2,93,906 वोटों से जीत दर्ज की है. संजय जायसवाल को कुल 6,03,706 वोट हासिल हुए हैं. दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उम्मीदवार बृजेश कुमार कुशवाहा को 3,09,800 मत प्राप्त हुए हैं.
पश्चिम चंपारण नेपाल की सीमा से सटा हुआ उत्तरी बिहार का हिस्सा है. चंपारण इलाका बिहार के तिरहुत प्रमंडल के अंतर्गत आता है और भोजपुरी भाषी जिला है. महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण लंबे समय से सियासी सक्रियता का केंद्र रहा है. 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में वाल्मिकी नगर और पश्चिमी चंपारण दो अलग-अलग सीटों के रूप में अस्तित्व में आईं. इससे पहले पश्चिम चंपारण का अधिकांश हिस्सा बेतिया सीट के तहत आता था.
कब और कितनी हुई वोटिंग
पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट पर 12 मई को छठे चरण में वोट डाले गए थे. चुनाव आयोग के मुताबिक इस सीट पर 1631130 पंजीकृत मतदाता हैं, जिसमें से 1007082 ने वोट डाला. सीट पर कुल 61.74 फीसदी वोटिंग हुई.
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प्रमुख उम्मीदवार
इस लोकसभा सीट से कुल 9 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने डॉ. संजय जायसवाल, बहुजन समाज पार्टी ने राकेश कुमार, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने बृजेश कुमार कुशवाहा और लोकतांत्रिक जन स्वराज पार्टी ने बिपिन नाथ तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया थे.
2014 का चुनाव
2014 के चुनाव में पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से बीजेपी के डॉ. संजय जायसवाल ने जेडीयू उम्मीदवार और फिल्म निर्देशक प्रकाश झा को हराया था. प्रकाश झा इस सीट से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे लेकिन मोदी लहर में जीत बीजेपी के हाथ लगी. बीजेपी उम्मीदवार डॉ. संजय जायसवाल को 3,71,232 वोट मिले थे जबकि प्रकाश झा को 2,60,978 वोट मिले थे. वहीं आरजेडी के रघुनाथ झा को 1,21,800 वोट मिले थे.
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सामाजिक ताना-बाना
पश्चिम चंपारण के उत्तर में नेपाल तथा दक्षिण में गोपालगंज जिला स्थित है. इसके पूर्व में पूर्वी चंपारण है जबकि पश्चिम में इसकी सीमा यूपी के पडरौना व देवरिया जिले से लगती है. गंडक और सिकरहना तथा इसकी सहायक नदियों के पास होने से पश्चिमी चंपारण जिले की मिट्टी उपजाऊ है. कृषि और छोटे-छोटे गृह उद्योग ही यहां के लोगों के रोजगार का प्रमुख जरिया है. अच्छी क्वालिटी के बासमती चावल तथा गन्ने के उत्पादन के लिए ये जिला मशहूर है. यहां जनसंख्या 3,935,042 है, जिसमें साक्षरता दर 55.70 प्रतिशत है. इसके अलावा प्रति 1000 पुरुषों पर यहां 909 महिलाएं हैं.
सीट का इतिहास
परिसीमन के बाद 2009 और 2014 के चुनावों में बीजेपी के संजय जायसवाल ने इस सीट से जीत हासिल की. डॉ. संजय जायसवाल के पिता डॉ. मदन प्रसाद जायसवाल भी लोकसभा सांसद रह चुके हैं. 2019 चुनाव से पहले बीजेपी और जेडीयू एकजुट हो गए और बदले समीकरणों में महागठबंधन की चुनौती भी बड़ी है.
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