मनोहर लाल खट्टर एक ऐसा नाम जिसके बारे में 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले सभी अंजान थे. आरएसएस के कर्मठ कार्यकर्ता रहे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 2014 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और पहली बार में ही उन्होंने जीत का स्वाद चख लिया. उन्हें न सिर्फ जीत मिली बल्कि उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री भी चुन लिया गया.
मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम की घोषणा होते ही सबके मन में एक ही सवाल था कि यह व्यक्ति कौन है? और इसका जवाब था 34 सालों तक आरएसएस में रहकर काम करने वाला व्यक्ति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी. दरअसल, खट्टर पीएम मोदी के बेहद करीबी रह चुके थे. दोनों की मुलाकात में आरएसएस में रहते वक्त ही हुई थी.
इसके बाद दोनों ने कई मोर्चों पर संगठन के लिए एक साथ काम किया. खट्टर 24 साल की उम्र में ही आरएसएस के संपर्क में आ गए थे और उन्होंने अपना जीवन संगठन के लिए न्योछावर करने का ठान लिया.
क्रिकेट खेलते खट्टर (तस्वीर- फेसबुक पेज)
CM बनने से पहले मोदी के साथ लंबे समय तक किया काम
हरियाणा के करनाल सीट से विधायक बने खट्टर ने करीब 34 सालों तक संघ की सेवा की. बाद में बीजेपी से जुड़े और हरियाणा में पार्टी संगठन को मजबूत बनाने में जुट गए. जानकार बताते हैं कि उसी दौरान उनकी मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई, जो उस समय हरियाणा बीजेपी के प्रभारी थे. दोनों ने एक दूसरे के साथ लंबे समय तक काम किया.
इसी दौरान दोनों के बीच दोस्ती हो गई. इसके बाद खट्टर को हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया. साथ ही 2014 में हुए विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने में भी खट्टर की अहम भूमिका रही.
खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं. खट्टर 70 के दशक में आरएसएस से जुड़े, इसके बाद 1980 में प्रचारक बने और सार्वजनिक जीवन को अहमियत देते हुए ताउम्र शादी नहीं करने का फैसला लिया. बताया तो यह भी जाता है कि नरेंद्र मोदी और मनोहर लाल खट्टर ने संघ में एक साथ प्रचारक का काम किया और इस दौरान वो एक ही रूम में रहे.

पाकिस्तान से आकर हरियाणा के रोहतक में बनाया ठिकाना
मनोहर लाल खट्टर के पिता 1947 में पाकिस्तान से आकर रोहतक जिले के बिदाना गांव में बस गए थे. खट्टर की स्कूली शिक्षा रोहतक में ही हुई. उनके स्कूल के समय के दोस्त ओमप्रकाश बताते हैं कि मनोहर लाल खट्टर स्कूल टाइम में पढ़ने-लिखने में काफी तेज थे. उनकी गणित काफी अच्छी थी. वो बेहद गंभीर स्वाभाव के छात्र थे इसिलिए उन्हें सब स्कूल में हेडमास्टर कहकर बुलाते थे.
हालांकि, 10वीं पास करने के बाद वो रोहतक से दिल्ली आ गए. बताया जाता है कि दिल्ली के सदर बाजार में उन्होंने दुकान खोल ली. यही वो समय था जब वो आरएसएस के संपर्क में आए.
मनोहर लाल खट्टर पर युवा अवस्था में घरवालों की तरफ से शादी के लिए काफी ज्यादा दवाब था. परिवार के लोग चाहते थे कि वो आरएसएस छोड़कर घर बसा लें. लेकिन खट्टर अपने इरादों से डिगे नहीं. खट्टर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया.
जैन मुनि तरुण सागर के साथ खट्टर (तस्वीर- फेसबुक पेज)
पिता चाहते थे खट्टर बने बिजनेसमैन
पांच भाई और दो बहनों में सबसे बड़े खट्टर की महत्वकांक्षाएं भी साधारण थी. उनके बारे में बताया जाता है कि खट्टर मेडिकल की तैयारी करना चाहते थे लेकिन उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा बिजनेस में अपना समय दें. डॉक्टरी और बिजनेस के बीच अपनी जीवन की दिशा खोजने वाले खट्टर संघ के दरवाजे तक आ पहुंचे. जिसके बाद उनके जीवन के नए अध्याय की शुरुआत हुई.
मनोहर लाल खट्टर के भाई चरणजीत खट्टर बताते हैं कि मनोहर लाल खट्टर ने कैनवास का एक छोटा बिजनेस शुरू किया था लेकिन कुछ समय के बाद वो आरएसएस के संपर्क में आ गए. वो आपातकाल का दौर था. उस दौरान उन्होंने जानने की कोशिश की कि आरएसएस किस प्रकार काम करता है और उसके हित क्या हैं.
जेब में गीता रखते हैं खट्टर
खट्टर बताते हैं कि जब उन्हें आरएसएस के कार्यों के बारे में पता लगा तो उन्हें यह महसूस हुआ कि आरएसएस पर लगा बैन गलत था. इसी के बाद से उन्होंने आरएसएस का दामन थाम लिया. खट्टर के पहनावे के बारे में बात करें तो वो ज्यादातर पीएम नरेंद्र मोदी के जैसे ही हल्का भगवा कुर्ता और हल्की नीली सदरी पहनते हैं. खास बात यह है कि मनोहर लाल खट्टर हमेशा अपने जेब में गीता रखते हैं.