खेड़ा जिला लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मस्थली है. यह इलाका तंबाकू की खेती के लिए मशहूर है. खेड़ा लोकसभा क्षेत्र का नाम पहले कैरा हुआ करता था. 2009 में खेड़ा लोकसभा के नाम से यहां पहला चुनाव हुआ और कांग्रेस को जीत मिली. जबकि 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर देवू सिंह चौहान ने बाजी मारी.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कैरा सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ और कांग्रेस के भरत सिंह ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1957 में निर्दलीय उम्मीदवार रतन सिंह ने बाजी मारी. 1962 और 1967 का चुनाव स्वतंत्र पार्टी के नाम रहा और पी.एन सोलंकी ने लगातार दो बार जीत दर्ज की. 1971 में नेशनल कांग्रेस(O), 1971 में कांग्रेस, 1980 और 1984 में भी कांग्रेस का ही जादू चला, लेकिन 1989 में जनता दल ने अपना दम दिखाया और पार्टी के उम्मीदवार सीपीएस हाथिसिंह ने चुनाव जीता.
1991 के आम चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी का खाता खुला और के.डी जेसवानी ने जीत दर्ज की. इसके बाद दिनशा पटेल का जादू चला और वह कांग्रेस के टिकट पर लगातार 1996, 1999 और 2004 के आम चुनाव में जीते. 2009 में सीट का नाम बदलकर खेड़ा हो गया, बाजवूद इसके दिनशा पटेल की जीत का कारवां जारी रहा. लेकिन 2014 की मोदी लहर में वह भी सिमट गए और बीजेपी के देवू सिंह ने उन्हें हरा दिया.
सामाजिक ताना-बाना
खेड़ा में जनसंख्या के लिहाज से क्षत्रियों का वर्चस्व है. हालांकि, लेउवा पटेलों का भी यहां खासा असर है. यहां के लेउवा पटेल बड़े किसान के रूप में अपनी पहचान रखते हैं. यह पूरा इलाका उद्योगों के साथ कृषि पर भी प्रमुखता से आश्रित है.
खेड़ा लोकसभा क्षेत्र खेड़ा और अहमदाबाद जिले के अंतर्गत आता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, क्षेत्र की आबादी 25,03,828 है. इसमें 61.36% ग्रामीण आबादी और 38.64% शहरी आबादी है. अनुसूचित जाति की संख्या 6.17%, जबकि अनुसूचित जनजाति बहुत ही कम 1.38% है. खेड़ा जिले में करीब 12 फीसदी मुस्लिम आबादी है.
इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सीटों में दसक्रोई, नाडियाड, कपडवंज, धोलका, मेहमदाबाद, मातरऔर महुधा शामिल हैं. दसक्रोई और धोलका अहमदाबाद जिले में आते हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव इन दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. जबकि खेड़ा जिले की मातर सीट से बीजेपी, नाडियाड से बीजेपी, मेहमदाबाद से बीजेपी, महुधा से कांग्रेस और कपडवंज से कांग्रेस को जीत मिली थी.
2014 का जनादेश
देवू सिंह चौहान, बीजेपी- 568,235 वोट (59.4%)
दिनशा पटेल, कांग्रेस- 335,334 (32.6%)
2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न
कुल मतदाता- 15,99,476
पुरुष मतदाता- 8,33,232
महिला मतदाता- 7,66,244
मतदान- 9,55,906 (59.8%)
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
1964 को खेड़ा नवगाम में जन्मे देवू सिंह चौहान ठाकोर समाज से आते हैं. पोरबंदर पोलिटेक्निक कॉलेज इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले देवू सिंह चौहान 2007 में पहली बार गुजरात विधानसभा का चुनाव जीते. इसके बाद 2012 में वह विधायक बने. 2014 में देवू सिंह को लोकसभा का टिकट दिया गया, और पहली कोशिश में ही वह कामयाब हो गए. अल्पेश ठाकोर के कांग्रेस में जाने से देवू सिंह ठाकोर समाज को बीजेपी के साथ जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं.
लोकसभा में उपस्थिती की बात की जाए तो उनकी मौजूदगी 83 फीसदी रही है, जो कि औसत है. बहस के मामले में वह काफी पीछे रहे हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 21 बार बहस में हिस्सा लिया है. हालांकि, सवाल पूछने के मामले में वह औसत से थोड़ा बेहतर रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कुल 309 सवाल पूछे हैं.
सांसद निधि से खर्च के मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है. उनकी निधि से जारी 25 करोड़ रुपये का वह लगभग शत प्रतिशत विकास कार्यों पर खर्च करने में कामयाब रहे हैं.
संपत्ति की बात की जाए तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति करीब 94 लाख रूपये से ज्यादा की है. इसमें 15 लाख की चल संपत्ति है, जबकि 78 लाख से ज्यादा की अचल संपत्ति है.