कोल्हापुर लोकसभा सीट (कोल्हापुर लोकसभा मतदारसंघ) की विधानसभाओं पर बीजेपी-शिवसेना मजबूत स्थिति में है लेकिन सांसद यहां एनसीपी पार्टी का है. यहां के चुनाव में एक दिलचस्प बात हुई है. कभी शिवसेना उम्मीदवार के रूप में हारे धनंजय भीमराव महाडिक, एनसीपी पार्टी में आकर 2014 में जीते. मजे की बात है कि जिस एनसीपी उम्मीदवार मांडलिक से वे 10 साल पहले हारे थे, वह अब शिवसेना में थे. देखने वाली बात होगी कि दल बदल कर जीत का सिलसिला 2019 में भी जारी रहता है या नहीं?
विधानसभा सीटों का मिजाज
कोल्हापुर लोकसभा सीट में 6 विधानसभाएं आती हैं. इस लोकसभा सीट की विधानसभाओं पर शिवसेना-बीजेपी मजबूत स्थिति में है. राधानगरी, करवीर और कोल्हापुर नॉर्थ में शिवसेना, कोल्हापुर साउथ में बीजेपी, चांदागढ और कागल में एनसीपी के विधायक हैं.
लोकसभा सीट का मिजाज
कोल्हापुर लोकसभा सीट पर 1952 से कांग्रेस का दबदबा रहा है. 1952 में रत्नाप्पा कुंभार, कांग्रेस के टिकट पर सासंद बने तो सिलसिला लंबा चला. 1957 में PAWPI के टिकट पर भाऊसाहेब रावसाहेब महागांवकर सांसद बने. 1962 में वी टी पाटील कांग्रेस से जीते.1967 और 1971 में इस सीट पर कांग्रेस ही काबिज रही. 1977 में फिर से PAWPI पार्टी से दजीबा देसाई सांसद बने. 1980 में उदयसिंहराव गायकवाड इस सीट पर कांग्रेस से जीते तो कांग्रेस और उदयसिंहराव एक-दूसरे के पूरक बन गए. लगातार 18 साल तक उदयसिंह राव सांसद रहे. उसके बाद 1998 में कांग्रेस से ही सदाशिवराव मांडलिक सांसद बने. बाद में मांडलिक ने एनसीपी ज्वॉइन कर ली. वे 1999 से 2014 तक एनसीपी के टिकट पर कोल्हापुर सीट से सांसद निर्वाचित हुए. 2014 में एनसीपी के टिकट पर ही धनंजय महादिक सांसद बने हैं.
2014 में जीत का गणित
2009 के चुनाव में निर्दलीय सदाशिवराव मांडलिक ने एनसीपी और शिवसेना के उम्मीदवारों को धूल चटा दी. सदाशिवराव को 4,28,082 वोट मिले तो एनसीपी के छत्रपति संभाजीराजे शाहू को 3,83,282 वोट मिले. शिवसेना यहां तीसरे स्थान पर रही. 2014 के चुनाव में एनसीपी के धनंजय भीमराव महाडिक को जीत हासिल हुई. उन्हें 6,07,665 वोट मिले. दूसरे स्थान पर शिवसेना के संजय सदाशिव मांडलिक रहे जिन्हें 5,74,406 वोट मिले. तीसरे स्थान पर PWP पार्टी के संपतराव शामराव पवार पाटील रहे जिन्हें 13,162 वोट मिले.
सांसद महादिक के बारे में
2004 के चुनावों में शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में, एनसीपी उम्मीदवार सदाशिवराव मांडलिक के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन तब उन्हें हार मिली थी. 2009 में वे शिवसेना छोड़कर एनसीपी में गए लेकिन एनसीपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं बनाया. तब वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े लेकिन इन्हें फिर हार मिली. बाद में वे 2014 के चुनाव में एनसीपी के टिकट पर लड़े. अब उनके सामने थे कभी एनसीपी में रहे लेकिन इस बार शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ रहे संजय सदाशिव मांडलिक. मांडलिक को हराकर उन्होंने 2004 की हार का बदला ले लिया. महाडिक को 2017 और 2018 में सांसद रत्न अवॉर्ड भी मिल चुका है. नोटबंदी के समय इन्होंने 400 लोगों के साथ मोदी सरकार का विरोध किया तो उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी.
संसद में वर्तमान सांसद का प्रदर्शन और संपत्ति
संसद में इनकी उपस्थिति 72 फीसदी रही. वहीं, संसद में इन्होंने 65 डीबेट में भाग लिया. संसद में इन्होंने 1151 प्रश्न पूछे. ये प्राइवेट मेंबर्स बिल 3 लेकर आए. इस सीट पर संसदीय इलाके में खर्च करने के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान है. इसमें से मिले फंड का 90.11 फीसदी खर्च किया. ग्रेजुएट महाडिक ने 2014 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे में 44 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी. इन पर 1 क्रिमिनल केस दर्ज हैं.