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तमिलनाडु के नागापट्टिनम लोकसभा सीट पर हुई 76.49 फीसदी वोटिंग

नागापट्टिनम में लोकसभा चुनाव के लिए गुरुवार को वोट डाले गए. यहां के मतदाता दूसरे चरण की वोटिंग के तहत अपने वोट का इस्तेमाल किए.

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सभी मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा (Photo: Getty)
सभी मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा (Photo: Getty)

तमिलनाडु के नागापट्टिनम में लोकसभा चुनाव के लिए गुरुवार को वोट डाले गए. यहां के मतदाता दूसरे चरण की वोटिंग के तहत अपने वोट का इस्तेमाल किए. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक राज्य में 71.87 फीसदी मतदान हुआ. वहीं नागापट्टिनम में 76.49 फीसदी वोटिंग हुई. वोटों की गिनती 23 मई को होगी.

इस सीट पर कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं. ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) ने यहां एम सरावनन (S Saravanan) को उम्मीदवार बनाया है. मध्य पूर्वी तमिलनाडु के नागापट्टिनम लोकसभा सीट वामपंथी राजनीति का प्रमुख केंद्र रही है. यहां दलित समाज के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं. इस सुरक्षित सीट पर CPI ने एम सेलवाराज (M Selvaraj) को टिकट दिया है. जबकि NMN पार्टी ने के. गुरुवैभ को उम्मीदवार बनाया है. एक अनुमान के मुताबिक यहां 35 फीसदी से ज्यादा दलित समाज के लोग रहते हैं.

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नागापट्टिनम लोकसभा सीट पर 2014 के चुनाव में कुल 76.58 फीसदी वोटिंग हुई थी. जबकि 2009 में यहां पर 77.61 फीसद वोट पड़े थे.

जहां तक बात राजनीति की है तो यह सीट वामपंथी राजनीति का गढ़ रही है. सीपीआई ने यहां सबसे ज्यादा छह बार जीत हासिल की है. 1957 से अब तक छह बार सीपीआई, और कांग्रेस-डीएमके चार-चार बार जीत हासिल कर चुके हैं. 2009 में यहां डीएमके और 2014 में एआईएडीएमके ने जीत दर्ज की. 2014 में एआईएडीएमके के डॉ. के. गोपाल ने जीत हासिल की थी. AIADMK उम्मीदवार को यहां से 4,34,174 वोट मिले थे. जबकि दूसरे नंबर पर रहे डीएमके के ए. विजयन को 3,28,095 वोट मिले थे.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

नागापट्टिनम सीट पर 1957, 1962 और 1967 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद 1971, 1977 और 1979 में सीपीआई ने जीत दर्ज की. 1980 में डीएमके ने जीत दर्ज की. जबकि 1984 में एआईएडीएमके ने यहां पहली बार जीत हासिल की. 1989 में सीपीआई ने यहां वापसी की. 1991 में कांग्रेस ने फिर यहां से जीत हासिल की. लेकिन 1996 और 1998 में सीपीआई ने यहां वापसी की. फिर आई डीएमके की बारी. 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन बार यह पार्टी यहां से जीती. लेकिन 2014 में एआईएडीएमके ने डीएमके से यह सीट छीन ली.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

डॉ. के. गोपाल यहां से पहली बार 2014 में लोकसभा सांसद बने. उनकी शैक्षणिक योग्यता स्नातक है. वे 16वीं लोकसभा में कई मंत्रालयों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य हैं. 6 फरवरी, 2019 के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा में उनकी उपस्थिति 78 फीसदी रही. उन्होंने 40 बहसों में हिस्सा लेते हुए इस दौरान 328 प्रश्न पूछे. उन्होंने अपनी सांसद निधि से 79.36 फीसदी रकम अपने क्षेत्र के विकास पर खर्च की.

पुराने जमाने में चोल राजवंश के तहत आने वाले इस जिले पर आजादी से पहले पुर्तगाली और डच शासन रहा. यहां मछली पकड़ना, कृषि और टूरिज्म प्रमुख व्यवसाय हैं. 2004 में आई सुनामी ने यहां भारी तबाही मचाई थी. हालांकि, पिछले 15 वर्षों में यह शहर उस तबाही से काफी हद तक उबर चुका है. 

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