लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट पर 29 अप्रैल को मतदान होगा. कृष्णानगर सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का गढ़ रही है, लेकिन एक बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी जीत का परचम लहरा चुकी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कृष्णानगर सीट से 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने महुआ मोइत्रा को चुनावी रण में उतारा है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से झा शांतनु चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस की ओर से इंताज अली शाह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. जबकि बीजेपी की ओर से कल्याण चौबे प्रत्याशी हैं, इनके अलावा तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे हैं.
बता दें कि कृष्णानगर एक समय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ माना जाता था. यह सीट चौथे लोकसभा चुनाव यानी 1967 में अस्तित्व आई. तब से लेकर अब तक इस सीट पर 13 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और माकपा ने यहां से 9 बार जीत हासिल की है. हालांकि 2009 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के तपस पॉल ने जीत हासिल की और 2014 में मोदी लहर के बावजूद वह अपनी जीच सुनिश्चित करने में कामयाब रहे.
2014 का चुनावी समीकरण
कृष्णानगर लोकसभा सीट पर 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को 35.16 फीसदी, बीजेपी को 26.4 फीसदी, माकपा को 29.45 फीसदी और कांग्रेस को 5.99 फीसदी वोट मिले थे. 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस बंगाल में 34 सीटों पर जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस को 4, माकपा और बीजेपी को 2-2 सीटों पर जीत मिली थी. इसमें राज्य में तृणमूल कांग्रेस को 39.05 फीसदी, माकपा को 29.71 फीसदी, बीजेपी को 16.80 फीसदी और कांग्रेस को 9.58 फीसदी वोट मिले थे. वोट प्रतिशत के मामले में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद माकपा सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी. कृष्णानगर से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार तपस पॉल सासंद बने थे. पश्चिम बंगाल में बढ़ते जनाधार को देखते हुए बीजेपी राज्य में अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने के लिए पूरजोर कोशिश कर रही है.
वहीं विधानसभा सीटों की बात करें तो कृष्णानगर लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें तेहत्ता, पलासीपारा, कालीगंज, नक्क्षीपारा, छपरा, कृष्णानगर उत्तर, शांतिपुर और नवादीप शामिल हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एक तरफ जहां टीएमसी अपना कब्जा कायम रखना चाहती है, वहीं बीजेपी यहां सेंधमारी की कोशिश कर रही है.
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