केरल लोकसभा सीट की सभी 20 सीटों के नतीजे आज घोषित किए जा रहे हैं. दक्षिण के अहम राज्य माने जाने वाले केरल के कई सियासी मायने हैं. राज्य की कासरगोड लोकसभा सीट पर बंपर मतदान हुआ था. कांग्रेस प्रत्याशी राजमोहन उन्नीथन ने रोमांचक चुनावी मुकाबले में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार केपी सतीशचंद्रन को हरा दिया है.
उन्नीथन ने 40 हजार 438 मतों से ये जीत दर्ज की. उन्नीथन को 11 लाख 51 वोट में से 4 लाख 74 हजार 961 वोट (43.18 फीसदी) मिले. दूसरे नंबर पर केपी सतीशचंद्रन रहे जिन्हें 4 लाख 34 हजार 523 वोट (39.5 फीसदी) मिले. तीसरे नंबर पर बीजेपी के आर टी कुंतार रहे जिन्हें 1 लाख 76 हजार 049 वोट (16 फीसदी) मिले.
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कितनी हुई थी वोटिंग?
केरल की कासरगोड लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में 23 अप्रैल को मतदान हुआ था. चुनाव आयोग के मुताबिक 80.57 फीसदी वोट डाले गए थे.
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किस पार्टी से कौन है उम्मीदवार?
इस सीट पर कुल नौ प्रत्याशी मैदान में हैं. एलडीएफ की तरफ से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार केपी सतीशचंद्रन मैदान में हैं. जबकि कांग्रेस ने राजमोहन उन्नीथन को टिकट दिया है जिन्हें यूडीएफ का समर्थन हासिल है. सबरीमाला मंदिर आंदोलन से उत्साहित बीजेपी ने भी रवीश थंथरी कुंटर को कासरगोड से अपना उम्मीदवार बनाया है.
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पिछली बार कौन जीता था बाजी?
साल 2014 में माकपा कैंडिडेट पी. करुणाकरण को जीत मिली जो तीसरी बार यहां से सांसद हैं. वह लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एलडीएफ की तरफ से कैंडिडेट थे. पी. करुणाकरण को कुल 3,84,964 वोट हासिल हुए थे. दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार टी सिद्दीकी को 3,78,043 वोट मिले. बीजेपी कैंडिडेट के सुरेंद्रन तीसरे स्थान पर थे जिन्हें 1,72,826 वोट मिले थे.
इस तरह करुणाकरण करीब 7 हजार वोटों से ही विजयी हुए. यह आंकड़ा इस लिहाज से मायने रखता है, कि नोटा (NOTA) पर 6,103 लोगों ने बटन दबाया. कुल 9,74,215 हजार लोगों ने वोट डाले थे. आम आदमी पार्टी के अम्बालतारा कुनहीकृष्णन को 4,996 वोट और बहुजन समाज पार्टी कैंडिडेट एडवोकेट बशीर अलादी को 3,104 वोट मिले. तृणमूल कांग्रेस के अब्बास मोथलाप्परा को महज 632 वोट मिले.
क्या है इस सीट का समीकरण?
कासरगोड क्षेत्र माकपा का गढ़ है, लेकिन यहां कांग्रेस, बीजेपी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसे राजनीतिक दल प्रभावी हैं. यह राजधानी तिरुवनंतपुरम से करीब 580 किमी दूर है. फिलहाल यहां से माकपा नेता पी. करुणाकरण सांसद हैं.
पहले कासरगोड़ जिले के मानजेस्वर, कासरगोड, उदमा और कनहनगड विधानसभा क्षेत्र मद्रास स्टेट के दक्षिण कनारा लोकसभा क्षेत्र के तहत आते थे. 1956 में साउथ कनारा जिले के मैसूर स्टेट में विलय के बाद साउथ कनारा संसदीय क्षेत्र का अस्तित्व खत्म हो गया और इसकी जगह मंगलौर लोकसभा क्षेत्र ने ले ली. इस क्षेत्र के कासरगोड और होदुर्ग विधानसभा क्षेत्रों को केरल में मिला दिया गया और वे कासरगोड लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हो गए.
1952 में जब यह क्षेत्र साउथ कनारा नाम से मद्रास स्टेट में था और पहली बार चुनाव हुआ था, तब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बी. शिवराव सांसद बने थे. उसके बाद 1957 में कासरगोड संसदीय क्षेत्र के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी भाकपा के ए.के. गोपालन विजयी हुए. यह सीट वामपंथियों का गढ़ है. इस सीट से दस बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा कैंडिडेट जीते हैं. कांग्रेस कैंडिडेट भी चार बार जीत चुके हैं.
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