17वीं लोकसभा चुनाव के तहत उत्तर प्रदेश की कानपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी ने 155934 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 313003 मतों संतोष करना पड़ा. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला रहा.

कब और कितनी हुई वोटिंग
कानपुर सीट पर वोटिंग चौथे चरण में 29 अप्रैल को हुई थी. इस सीट पर 51.48 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. इस सीट पर कुल 1631296 मतदाता हैं, जिनमें से 839870 मतदाताओं ने अपने वोट डाले हैं.
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कौन-कौन प्रमुख उम्मीदवार
सामान्य वर्ग वाली इस सीट पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी चुनाव लड़े जिनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस से श्रीप्रकाश जायसवाल से था. सपा के राम कुमार सहित इस सीट पर कुल 14 उम्मीदवार चुनाव लड़े.
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2014 का चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव में कानपुर सीट पर 51.83 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिसमें बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी को 56.85 फीसदी (4,74,712) वोट मिले थे और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को 30.15 फीसदी (2,51,766) मिले थे. इसके अलावा बसपा के सलीम अहमद को महज 6.37 फीसदी (53,218) वोट मिले थे. इस सीट पर बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी ने 2,22,946 मतों से जीत दर्ज की थी.
सामाजिक ताना-बाना
कानपुर लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 22,26,317 है जिसमें 100 फीसदी शहरी आबादी है. अनुसूचित जाति की 11.72 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की 0.12 फीसदी आबादी यहां रहती है. इसके अलावा ब्राह्मण, वैश्य और मुस्लिम मतदाता के अलावा पंजाबी वोटर भी निर्णयक भूमिका में हैं.
कानपुर संसदीय सीट के तहत गोविंद नगर, सिसामऊ, आर्य नगर, किदवई नगर और कानपुर कैंट विधानसभा सीट शामिल हैं. मौजूदा समय में इनमें से दो सीटों पर समाजवादी पार्टी, दो सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है.
कानपुर सीट का इतिहास
आजादी के बाद से अब तक कानपुर संसदीय सीट पर 17 बार चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस इस सीट पर महज 6 बार जीत का परचम लह रहा चुकी है, बाकी 11 बार निर्दलीय और बीजेपी सहित अन्य पार्टियों ने जीत हासिल की है. पहली बार 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के हरिहरनाथ शास्त्री ने जीत दर्ज की थी. 1957 में दूसरी बार हुए चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथों से निकल गई.
1957 से 1971 तक एसएम बनर्जी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कानपुर सीट का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद 1977 में भारतीय लोकदल से मनोहर लाल ने जीत हासिल की. इसके बाद 1980 में आरिफ मो. अहमद ने जीत हासिल करते हुए कांग्रेस की वापसी कराई, लेकिन 9 साल बाद 1989 में कांग्रेस के हाथ से यह सीट फिर से निकल गई और सीपीएम से सुभाषनी अली ने जीत दर्ज कराई.
राम मंदिर आंदोलन के दौरान बीजेपी ने कानपुर सीट पर अपना कब्जा जमाया. 1991 में जगतवीर सिंह ने पहली बार यहां से बीजेपी का परचम लहराया. इसके बाद बीजेपी 1996 और 1998 में भी यहां से जीतने में कामयाब रही. कांग्रेस ने 1999 लोकसभा चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल को उतारकर बीजेपी के मजबूत हो रहे दुर्ग को भेदने में सफल रही.
इसके बाद वो 2004 और 2009 में भी यहां से जीतने कामयाब रहे. लेकिन 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी का इस सीट पर फिर से कब्जा हो गया.
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