महाराष्ट्र की हिंगोली लोकसभा सीट से शिवसेना के प्रत्याशी हेमंत पाटिल ने जबरदस्त जीत हासिल की है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के वानखेड़े सुभाषराव बापूराव को 277856 वोटों के बड़े अंतर से करारी शिकस्त दी. इस चुनाव में शिवसेना के हेमंत पाटिल को 586312 वोट मिले, जबकि कांग्रेस पार्टी के वानखेड़े सुभाषराव बापूराव को 308456 वोटों से संतोष करना पड़ा.
हिंगोली लोकसभा सीट पर 18 अप्रैल को दूसरे चरण में वोटिंग हुई थी. इस सीट से 28 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे.
चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार हिंगोली लोकसभा सीट पर 66.50 फीसदी मतदान रिकॉर्ड किया गया था. इस संसदीय क्षेत्र में कुल 17 लाख 32 हजार 540 मतदाता पंजीकृत हैं, लेकिन कुल 11 लाख 52 हजार 214 वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
कौन-कौन थे उम्मीदवार
महाराष्ट्र की हिंगोली लोकसभा सीट से शिवसेना ने हेमंत पाटिल को चुनाव मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने सुभाष वानखेड़े को टिकट दिया था. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने धनवे दत्ता और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने अल्ताफ अहमद को चुनाव मैदान में उतारा था. इस बार हिंगोली सीट से कुल 28 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे, जिनमें 17 निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल थे.
साल 2014 में क्या रहा चुनाव नतीजा
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हिंगोली सीट से कांग्रेस के टिकट पर राजीव सातव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. सातव ने शिवसेना के सुभाष वानखेड़े को हराया था. सातव को 4 लाख 67 हजार 397 वोट और वानखेड़े को 4 लाख 65 हजार 765 वोट मिले थे. राजीव सातव ने 1600 वोटों के अंतर से हिंगोली लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र की हिंगोली लोकसभा सीट पर लंबे समय तक किसी पार्टी का कब्जा नहीं रहा है. हिंगोली सीट पर कभी कांग्रेस, एनसीपी तो कभी शिवसेना को जीत मिली है. हिंगोली लोकसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होता आया है. दरअसल, कभी बहुजन समाज पार्टी तो कभी भारतीय रिपब्लिकन पार्टी हिंगोली लोकसभा सीट पर कांग्रेस और शिवसेना का समीकरण बिगाड़ती रही है.
हिंगोली लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट आती है. जिसमें उमरखेड, हिंगोली में बीजेपी का राज है जबकि किनवट में एनसीपी और हदगांव, वसमत में शिवसेना का कब्जा है. इसके अलावा कलमनुरी में कांग्रेस का राज है. हिंगोली लोकसभा सीट पर मराठा और दलित समुदाय का दबदबा है. दोनों ही समुदाय चुनावों में निर्णायक साबित होते हैं. मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने के बाद 2019 लोकसभा चुनाव से शिवसेना को फायदा हो सकता है.
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