आरा लोकसभा क्षेत्र भोजपुर जिले में आता है. भोजपुर जिला बिहार के 38 जिलों में एक है जिसका हेडक्वार्टर आरा में पड़ता है. चुनाव आयोग के 2009 के आंकड़ों के मुताबिक आरा संसदीय क्षेत्र में 1,555,122 वोटर हैं जिनमें 855,070 पुरुष और 700,052 महिला मतदाता हैं. पूरे भोजपुर जिले की आबादी 2,720,155 है. यह 2011 की जनगणना के आंकड़े हैं. आरा से राजकुमार सिंह सांसद हैं जो बीजेपी से आते हैं. 2014 के चुनाव में उन्होंने आरजेडी के प्रत्याशी श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को हराया था.
इस सीट का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व काफी है. आरा क्षेत्र के लोग उपप्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष से लेकर कई बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. समता आंदोलन के नेता बाबू जगजीवन राम उपप्रधानमंत्री से लेकर कई बार केंद्रीय मंत्री रहे. वे इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे.
आरा संसदीय/विधानसभा क्षेत्र का ब्योरा
इस संसदीय क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनके नाम हैं-अगियांव, संदेश, शाहपुर, बड़हरा, तरारी, आरा और जगदीशपुर. इसमें अगियांव विधानसभा क्षेत्र एससी के लिए रिजर्व है. आरा 1972 तक सासाराम में हुआ करता था. बाद में बक्सर में मिला दिया गया. 1991 से पहले आरा में बक्सर और आरा संसदीय क्षेत्र आते थे. आरा से अलग होने वाले रोहताश में सासाराम और बिक्रमगंज संसदीय क्षेत्र (परिसीमन के बाद काराकाट) आ गए.
1971 में पांचवीं लोकसभा का चुनाव हुआ. उस वक्त आरा को शाहाबाद संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. 71 के चुनाव में बलिराम भगत शाहाबाद से सांसद चुने गए जो 15 मार्च 1971 से 18 जनवरी 1977 तक सांसद रहे. 1977 में भगत चुनाव हार गए और जनता पार्टी के चंद्रदेव प्रसाद वर्मा पहली बार बने आरा संसदीय क्षेत्र से चुने गए.
2014 का लोकसभा चुनाव
इस चुनाव में बीजेपी के राजकुमार सिंह उर्फ आरके सिंह ने जीत दर्ज की. उन्होंने आरजेडी के श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को हराया. आरके सिंह को 3,91074 वोट मिले जबकि कुशवाहा को 2,55,204 वोट. वोट प्रतिशत देखें तो आरके सिंह को कुल 43.78 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि कुशवाहा को 28.57 प्रतिशत. तीसरे स्थान पर सीपीआईएमएल के राजू यादव रहे जिन्हें 98,805 (11.06 प्रतिशत) वोट मिले. चौथे स्थान पर जेडीयू की मीना सिंह और पांचवें पर एबीजेएस के भारत भूषण पांडेय रहे. मीना सिंह को जहां 75,962 वोट मिले, वहीं भारत भूषण को मात्र 10,950 वोट. इस सीट पर नोटा के तहत 14,703 वोट दर्ज हुए. कुल वोटों का यह 1.65 प्रतिशत था. इस चुनाव में जेडीयू के वोट कटे और बीजेपी को मिले, लिहाजा आरके सिंह ने अच्छी-खासी जीत दर्ज की.
सांसद आरके सिंह का राजनीतिक सफर
राजनीति में आने से पहले आरके सिंह नौकरशाह थे. वे पूर्व केंद्रीय गृह सचिव भी रह चुके हैं. 2014 में गठबंधन की राजनीति के कारण 23 साल बाद आरा से बीजेपी के टिकट पर किसी को चुनाव लड़ने का मौका मिला था. उनके लिए चुनाव जीतना आसान नहीं था और आरजेडी के प्रत्याशी और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री श्रीभगवान सिंह कुशवाहा से कड़ी टक्कर थी. राजनीति और सहकारिता क्षेत्र की वजह से भोजपुर के लोगों में अपनी अच्छी पहचान बनाने वाले स्व. तपेश्वर सिंह की बहू और निवर्तमान सांसद मीना सिंह भी मैदान में थीं. इस सब के बावजूद मोदी लहर ने यहां से बीजेपी को आसानी से जीत दिला दी.
आरके सिंह की संसदीय गतिविधि
आरके सिंह ने संसद की 23 बहसों में हिस्सा लिया है. उनके खाते में कोई प्राइवेट मेंबर बिल नहीं है. उन्होंने अपने कार्यकाल में 45 सवाल पूछे हैं. संसद में इनकी हाजिरी 97 फीसदी रही है. आरके सिंह ने अपने कार्यकाल में साढ़े चौदह करोड़ रुपए खर्च किए. कुल मद का उन्होंने 96.43 प्रतिशत खर्च किया. सांसद निधि का 2.65 प्रतिशत हिस्सा खर्च नहीं हो सका.
आरके सिन्हा का प्रोफाइल
आरके सिंह अंग्रेजी साहित्य में बीए ऑनर्स हैं. उन्होंने एलएलबी की भी डिग्री ली है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से उन्होंने मैनेजमेंट की डिग्री ली है. साथ ही आर.वी.बी. डेल्फ् (नीदरलैंड) से शिक्षा पाई है. राजनीति में आने से पहले वे सिविल सेवक थे. नेता के अलावा वे विधिवेत्ता भी हैं. 19 अक्टूबर 2016 से 3 सितंबर 2017 तक वे कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रह चुके हैं. 3 सितंबर 2017 से आरके सिंह विद्युत मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं. नवीकरण ऊर्जा भी उन्हीं के जिम्मे है.