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झरिया सीट: वासेपुर फैमिली के बीच सियासी जंग, दो बहुओं में किसके हाथ बाजी?

धनबाद के झरिया सीट पर टिकी लोगों की नजर. यहां एक ही परिवार की दो बहुएं एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरी हैं. मेंशन परिवार की बहू रागिनी सिंह बीजेपी से हैं तो रघुकुल परिवार की बहू पूर्णिमा सिंह ने कांग्रेस से उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.

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झरिया से कांग्रेस उम्मीदवार पूर्णिमा सिंह (बाएं) और बीजेपी कैंडिडेट रागिनी सिंह
झरिया से कांग्रेस उम्मीदवार पूर्णिमा सिंह (बाएं) और बीजेपी कैंडिडेट रागिनी सिंह

  • शुरुआती रुझान में हेमंत सोरेन दोनों सीटों पर आगे
  • जमशेदपुर पूर्व से मुख्यमंत्री रघुबर दास आगे

झारखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना शुरू हो चुकी है. शुरुआती रुझान में जेएमएम गठबंधन और बीजेपी गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला चल रहा है. जिसमें जेएमएम गठबंधन आगे चल रहा है. इस बीच लोगों की नजर धनबाद की झरिया सीट पर है. यहां एक ही परिवार की दो बहुएं एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरी हैं. मेंशन परिवार की बहू रागिनी सिंह बीजेपी से हैं तो रघुकुल परिवार की बहू पूर्णिमा सिंह ने कांग्रेस से उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म में निभाया गया रामाधीर सिंह का किरदार इसी मेंशन परिवार के मुखिया सूर्यदेव सिंह से प्रेरित था. हालांकि वासेपुर अलग विधानसभा क्षेत्र में आता है.

कोयलांचल की सबसे हॉट सीट झरिया

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कोयलांचल की सबसे हॉट सीटों में झरिया विधानसभा सीट पर मेंशन परिवार बनाम रघुकुल परिवार के बीच सियासी वर्चस्व रहा है.  2014 में इस सीट से बीजेपी के टिकट पर संजीव सिंह और कांग्रेस के टिकट पर नीरज सिंह ने चुनाव लड़ा था, जिसमें नीरज सिंह को हार का सामना करना पड़ा था.

इसके बाद 2017 को नीरज सिंह की हत्या हो गई, इसी हत्या के आरोप में संजीव सिंह फिलहाल जेल में हैं. इसीलिए चलते बीजेपी ने संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को उतारा है, जिसके मुकबाले कांग्रेस ने नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह को उतारकर एक बार फिर यहां की सियासी जंग को दोनों परिवार के बीच समेट दिया है.

सिंह मेंशन बनाम रघुकुल के बीच सियासी जंग

सिंह मेंशन संजीव सिंह के पिता सूर्यदेव सिंह ने बनवाया था, जबकि रघुकुल को सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई राजन सिंह के बेटों ने बनवाया था. यह दोनों परिवार कोयला के कारोबार के बेताज बादशाह माने जाते हैं. सूर्यदेव सिंह शुरुआत में परिवार के मुखिया थे. उनके 4 भाई राजनारायण सिंह, बच्चा सिंह, विक्रम सिंह और रामाधीर सिंह हैं. इनमें सूर्यदेव सिंह, राजन सिंह की मौत हो चुकी हैं, जबकि बच्चा सिंह झारखंड सरकार में मंत्री रह चुके हैं. रामाधीर सिंह उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. विक्रम सिंह बलिया ही रहते हैं.

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शुरुआत में सिंह मेंशन में सूर्यदेव सिंह सभी भाइयों के साथ रहते थे. सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद परिवार संपत्ति और अन्य कारणों से बिखरता चला गया. सूर्यदेव सिंह और रामाधीर सिंह के परिवार सिंह मेंशन में बने रहे, जबकि बच्चा सिंह ने सूर्योदय बना लिया तो राजन सिंह के परिवार ने रघुकुल. बच्चा सिंह रहते तो सूर्योदय में हैं, लेकिन उनकी हमदर्दी राजन सिंह के बेटों नीरज सिंह, एकलव्य सिंह और गुड्डू के प्रति ज्यादा है.

यूपी के बलिया से सूर्यदेव सिंह

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गोन्हिया छपरा से करीब 1960 में रोजी-रोटी की तलाश में सूर्यदेव सिंह धनबाद पहुंचे थे. यहां छोटे-मोटे काम के दौरान एक दिन उन्होंने अखाड़े में पंजाब के किसी पहलवान को कुछ मिनटों में चित कर दिया. इसके बाद कोयलांचल में उनका नाम चमकने लगा. देखते ही देखते वे मजदूरों के नेता भी बन गए. इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर झरिया सीट से विधानभा चुनाव लड़ा और उस वक्त के बड़े श्रमिक नेता एसके राय को हराकर विधायक बनने में कामयाब रहे. इसके बाद से लगातार वो जीतते रहे और 1991 में उनका निधन हो गया.

सूर्यदेव सिंह राजनीतिक विरासत उनके छोटे भाई बच्चा सिंह ने संभाला. फरवरी 2000 में बच्चा सिंह ने झरिया विधानसभा सीट से चुनाव जीता और बाबूलाल मरांडी की सरकार में नगर विकास मंत्री बने. इसके बाद परिवार में दरार पड़ी तो सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह ने सूर्यदेव सिंह के विरासत को संभाला. कुंती देवी 2005 और 2009 में विधायक बनीं. इसके बाद 2014 में सूर्यदेव सिंह के बेटे संजीव सिंह झरिया के विधायक बने.

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नीरज सिंह को गोलियों से भून दिया

इसके बाद नीरज और संजीव के बीच की सियासी अदावत जारी रही. 21 मार्च 2017 को पूर्व डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता नीरज सिंह की हत्या कर दी गई. भाड़े के शूटरों ने एक-47 से नीरज सिंह की गाड़ी पर हमला किया था जिसमें नीरज समेत 4 लोगों की मौत हो गई थी. कहा जाता है कि कुल 67 गोलियां उनकी कार पर फायर की गई थीं.

रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से 25 गोलियां उन्हें लगी थीं. इस हत्या का आरोप झरिया के बीजेपी विधायक संजीव सिंह पर लगा. इस हत्याकांड में संजीव सिंह 11 अप्रैल 2017 से धनबाद जेल में बंद हैं. वहीं, नीरज सिंह पत्नी अपनी पति की हत्या के नाम पर चुनावी जंग फतह करने के लिए उतरी हैं.

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