आज जब चुनावों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने से जुड़ा बिल संसद में अटका पड़ा है, यह मांग समय-समय पर जोर पकड़ती रही है. हरियाणा के रोहतक जिले की एक सीट ऐसी भी है, जहां बगैर आरक्षण के ही महिलाओं का कब्जा है. यह सीट है कलानौर.
यह सीट कांग्रेस का गढ़ है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट से कांग्रेस की शकुंतला खटक विधायक हैं. शकुंतला ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राम अवतार वाल्मीकि को चार हजार वोट से शिकस्त दी थी. 2009 के चुनाव में भी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नागा राम 28 हजार वोट के भारी अंतर से हराया था. कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक शकुंतला पर ही भरोसा जताया है तो वहीं बीजेपी ने फिर से वाल्मीकि को ही चुनावी रणभूमि में उतारा है.
चार बार विधायक रहीं कांग्रेस की करतारी
सन 2005 के चुनाव को छोड़ दें तो 1991 से ही यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है. सन 1991 से हर बार कांग्रेस की महिला उम्मीदवार ही चुनाव जीतती आई है. क्षेत्र से कांग्रेस की करतारी देवी चार बार विधायक रहीं. 1991 की भजनलाल और 2005 की हुड्डा सरकार में मंत्री रहीं करतारी देवी ने 2009 में निधन से पहले कुल सात बार चुनाव लड़ा. करतारी को तीन बार शिकस्त भी मिली.
1977 में आरक्षित हुई थी सीट
कलानौर विधानसभा सीट 1977 में आरक्षित हुई थी. करतारी देवी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा, लेकिन जनता पार्टी के जयनारायण खुंडिया से हार गईं. 1982 में करतारी देवी ने खुंडिया को हराकर अपनी पहली जीत दर्ज की. 1987 में जयनारायण, 1991 और 1996 में करतारी देवी विधायक निर्वाचित हुईं. सन 2000 के चुनाव में बीजेपी की सरिता नारायण और 2005 में फिर से करतारी देवी विधायक चुनी गईं. 2009 में मंत्री रहते हुए करतारी के निधन के बाद कांग्रेस ने शकुंतला को मैदान में उतारा. तब से शकुंतला विधायक हैं.
हुड्डा के पिता ने भी जीता था चुनाव
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा ने भी सन 1962 में कलानौर सीट से चुनाव लड़ा था और जीता भी था. वह पंजाब सरकार में मंत्री भी बने थे. 1952 में चौधरी बदलूराम, 1957 में नान्हूराम, 1967 में जनसंघ के ठाकुर नसीब सिंह, 1968 और 1972 में सतराम बत्रा विधायक चुने गए थे. करतारी देवी और रणबीर सिंह हुड्डा के अलावा जयनारायण खुंडिया ने भी मंत्री पद तक का सफर किया.