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Gujarat Chunav: शंकर सिंह वाघेला फिर करेंगे 'घर वापसी'? गुजरात में कांग्रेस के लिए कितने उपयोगी

शंकर सिंह वाघेला की कांग्रेस में वापसी की कोशिश ऐसे समय हो रही है, जब गुजरात चुनाव में चंद दिन बचे हैं. वाघेला ने हाल ही में प्रजाशक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया था. कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि बीजेपी को गुजरात की सत्ता से बेदखल करने में शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस की मदद करेंगे.

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अर्जुन मोढवाडिया और शंकर सिंह वाघेला के साथ कांग्रेस के विधायक
अर्जुन मोढवाडिया और शंकर सिंह वाघेला के साथ कांग्रेस के विधायक

गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सियासी मात देने के लिए कांग्रेस एक नए फॉर्मूले पर काम कर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला की कांग्रेस में फिर से वापसी का रास्ता बन रहा है. वाघेला को पार्टी में लाने का मिशन पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने संभाल रखा है. वाघेला ने मोढिवाडिया के साथ अर्बुदा सेना की 'साक्षी हुंकार रैली' में शामिल होकर कांग्रेस में आने के संकेत दे दिए हैं. 

शंकर सिंह वाघेला और अर्जुन मोढवाडिया गुरुवार को मेहसाणा की अदालत में गवाही देने के बाद दूध सागर डेयरी रोड पर अर्बुदा भवन परिसर में साक्षी हुंकार रैली को संबोधित कर जनता की अदालत में अपनी बात रखी. कथित दूधसागर डेयरी घोटाले मामले के आरोपी विपुल चौधरी के समर्थन में कांग्रेस उतर चुकी है. 

चौधरी की गिरफ्तारी के खिलाफ अर्बुदा सेना ने 'साक्षी हुंकार रैली' रखी थी, जिसमें कांग्रेस के सात विधायक भी शामिल हुए थे. कांग्रेस के विधायकों में सीजे चावड़ा, बलदेव सिंह ठाकोर, रघु देसाई, नाथभाई चौधरी, भरत ठाकोर, गोवा भाई रबारी और चंदन ठाकोर शामिल हुए थे.

कांग्रेस विधायकों की मौजूदगी में अर्बुदा सेना के मंच पर वाघेला ने पहुंचकर सिर्फ विपुल चौधरी को गिरफ्तारी का विरोध ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस में शामिल होने के संकेत दे दिए हैं. शंकर वाघेला ने बीजेपी में खुद के शामिल होने से इंकार किया और कांग्रेस को लेकर कहा कि बातचीत जाती है और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उचित समय पर इसकी घोषणा की जाएगी. उन्होंने चौधरी समुदाय से बीजेपी को गुजरात की सत्ता से बेदखल करने का भी आह्वान किया. 

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शंकर वाघेला की कांग्रेस में वापसी की कोशिश ऐसे समय हो रही है जब गुजरात चुनाव में चंद दिन बचे हैं. वाघेला ने हाल ही में प्रजाशक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया था. कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने aajtak.in से बातचीत करते हुए कहा कि बीजेपी को गुजरात की सत्ता से बेदखल करने में शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस की मदद करेंगे. कांग्रेस के दरवाजे वाघेला के लिए खुले हैं. 

वाघेला की वापसी को तैयार नहीं थे गहलोत

हालांकि, गुजरात कांग्रेस के नेता शंकर सिंह वाघेला को कांग्रेस में लाने का बहुत पहले प्रयास कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व टस से मस नहीं हो रहा है. राजस्थान के मुख्यमंत्री और गुजरात चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत भी वाघेला की कांग्रेस में वापसी को तैयार नहीं थे. इसी के चलते वाघेला की वापसी नहीं हो पा रही थी, लेकिन राजस्थान मामले के चलते सियासी हालात बदले हैं. इसी मद्देनजर वाघेला की कांग्रेस में वापसी का रास्ता बनाया जा रहा है. 

अहमद पटेल के बाद रणनीतिकार की कमी

वाघेला के कांग्रेस में आने से गुजरात में अहमद पटेल के निधन से रणनीतिकार की कमी आई है, उसकी भरपाई पूरी हो सकती है. इसके अलावा कांग्रेस की कोशिश विपुल चौधरी को भी साथ लेने की है. गुजरात में केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला की सरकार में विपुल चौधरी मंत्री रहे हैं. 1996 में बीजेपी से बगावत कर सरकार बनाने वाले वाघेला के सेनापति रहे हैं, करीब 25 साल के आपसी मतभेद भुलाकर एक बार फिर ये दोनों नेता एक-दूसरे के साथ आ गए हैं. 

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वाघेला और चौधरी को साध रही है कांग्रेस

विपुल चौधरी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. कांग्रेस चौधरी के समर्थन में खुलकर उतर चुकी है. इसके पीछे एक वजह यह है कि उत्तर गुजरात में चौधरी समुदाय के वोटों का कांग्रेस के प्रति झुकाव से विधानसभा चुनाव में काफी हद तक मदद कर सकता है. 2017 के विधानसभा चुनाव में शंकर सिंह वाघेला की कमी के चलते उत्तर गुजरात में कांग्रेस को सियासी तौर पर नुकसान उठाना पड़ा था. यही वजह है कि कांग्रेस वाघेला और चौधरी दोनों को साधने की कवायद में जुटी है. 

विपुल चौधरी के साथ बीजेपी ने किया धोखा: मोढवाडिया

वाघेला और मोढवाडिया ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड एनडीडीबी के चैयरमेन पद के लिए चौधरी की सिफारिश की थी. अर्जुन मोढवाडिया कहते हैं कि विपुल चौधरी के साथ बीजेपी ने धोखा किया है. 2007 में विपुल चौधरी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे, लेकिन आज उनके स्वाभिमान की लड़ाई है तो कांग्रेस उनके साथ खड़ी है. चौधरी समुदाय को भी यह सोचना होगा कि उनका हमदर्द कौन है. बीजेपी ने 27 वर्षों में गुजरात को खोखला बनाने का काम किया है. 

नॉर्थ गुजरात के सियासी समीकरण 

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शंकर सिंह वाघेला की बगावत नॉर्थ गुजरात में महंगी पड़ी थी. कांग्रेस का परंपरागत ओबीसी वोटबैंक भी छिटका गया है, जिससे नॉर्थ गुजरात में पार्टी को नुकसान हुआ था. नॉर्थ गुजरात क्षेत्र में 53 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से बीजेपी 35 सीटें जीतने कामयाब रही तो कांग्रेस के खाते में 17 सीटें आई थी. वहीं, साल 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 32 और कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं. माना जाता है कि कांग्रेस शंकर सिंह वाघेला और विपुल चौधरी को साथ लेकर अपने सियासी आधार को मजबूत करना चाहती थी

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