शालीमार बाग विधानसभा सीट दिल्ली के 70 सदस्यीय विधानसभा सीटों (Delhi Elections 2020) में से एक है और चांदनी चौक संसदीय सीट के तहत आता है. शालीमार बाग पहले आउटर दिल्ली का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद यह सीट चांदनी चौक संसदीय सीट के हिस्से में चली गई.
शालीमार बाग दिल्ली के उन 3 चंद सीटों में से है जहां से चुने हुए प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. भारतीय जनता पार्टी के साहिब सिंह वर्मा 1993 में हुए चुनाव में इस सीट पर विजयी हुई थे, और 1996 से लेकर 1998 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे. 1993 में मोती नगर विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद मदन लाल खुराना दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने थे, इसके बाद साहिब सिंह वर्मा 1996 में मुख्यमंत्री बने जो शालीमार बाग से जीत कर विधानसभा पहुंचे थे.
शीर्ष 2 में रही महिला उम्मीदवार
2015 के विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र में 1,74,397 मतदाता थे जिसमें 94,144 पुरुष और 80,243 महिला मतदाता शामिल थे. जबकि 10 मतदाता थर्ड जेंडर के थे. चुनाव मैदान में 9 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई.दिल्ली के छठे विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की बंदना कुमारी ने भारतीय जनता पार्टी की रेखा गुप्ता को हरा दिया. इस चुनाव की विजेता और उपविजेता दोनों ही महिलाएं रहीं. कांग्रेस के लिए परिणाम यहां भी अच्छा नहीं रहा और तीसरे स्थान पर रहने को मजबूर होना पड़ा.
दिल्ली को मिला दूसरा सीएम
1993 में दिल्ली के पूर्ण विधानसभा का दर्जा हासिल करने के बाद से ही शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा और 1993 से लेकर 2008 तक इसका कब्जा रहा. 1993 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साहिब सिंह वर्मा मैदान में उतरे और कांग्रेस के एससी वत्स को हरा दिया. इसी चुनाव में जीत हासिल करने के 3 साल बाद वह दिल्ली के दूसरे मुख्यमंत्री बने.
1998 के चुनाव में बीजेपी ने रविंद्र नाथ बंसल को मैदान में उतारा और 2008 तक लगातार 3 चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाते हुए कांग्रेस को जीत का खाता खोलने तक नहीं दिया.
2013 में आम आदमी पार्टी की उदय दिल्ली की राजनीति में हुआ और आते ही उसने बीजेपी-कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय दलों को काफी पीछे छोड़ दिया. आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी ने 3 बार के विधायक रविंद्र नाथ बंसल को हराते हुए अपनी पार्टी का खाता खोला.
कांग्रेस का नहीं खुला खाता
2015 में भी यही परिणाम रहा, हालांकि बीजेपी की ओर से रेखा गुप्ता मैदान में थीं और उन्होंने बंदना कुमारी को कड़ी चुनौती दी, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सकीं. बंदना ने 62 हजार से ज्यादा मत हासिल किया तो रेखा ने भी 51 हजार से ज्यादा का वोट हासिल किया.
दिल्ली में लगातार 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस 1993 से लेकर आज तक शालीमार बाग सीट से एक भी जीत हासिल नहीं कर सकी है. इस तरह से उसका यहां पर खाता खोलना बाकी है. बीजेपी जहां लगातार 4 बार जीत चुकी है तो आम आदमी पार्टी लगातार 2 बार से यहां से जीत रही है.
मतगणना कब होगी?
शालीमार बाग के विधायक की बात करें तो आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी की ओर से 2015 के चुनाव में दाखिल हलफनामे के अनुसार उन पर एक आपराधिक केस दर्ज है. 45 वर्षीया बंदना कुमारी ग्रेजुएट हैं और उनके पास 8,87,71,227 रुपये की संपत्ति है. बीजेपी की उम्मीदवार रेखा गुप्ता के खिलाफ 2 आपराधिक केस दर्ज है.
दिल्ली की पहली पूर्ण विधानसभा का गठन 1993 में हुआ था. इससे पहले दिल्ली में मंत्रीपरिषद हुआ करती थी. 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए सिर्फ एक चरण में मतदान हो रहा है. 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे जबकि मतगणना 11 फरवरी को होगी. मौजूदा दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी 2020 को समाप्त हो रहा है.