लेकिन होता भूडोल, बवंडर उठते हैं... जनता जब कोपाकुल हो भिकुटी चढ़ाती है... दोराह समय के रथ का घर-घर नाद सुनो... सिंघासन खाली करो... कि जनता आती है. पाटलिपुत्र की भूमि पर अपनी गरजती हुई कलम से देश हिला देने वाले राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की ये पंक्तियां यूं तो 1950 में लिखी गई थीं. लेकिन ये पाटलिपुत्र से उठी सबसे बड़ी चुनौती की आवाज बन चुकी थी. देखें रिपोर्ट.