
बिहार के वैशाली विधानसभा सीट पर जनता दल यूनाइटेड का एकतरफा राज रहा है. साल 2000 के बाद इस सीट पर जेडीयू के अलावा किसी और पार्टी के उम्मीदवार को जीत नहीं हासिल हुई. इस सीट पर जेडीयू की पकड़ इस कदर है कि पूर्व में 3 बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीतने वाले वृशिण पटेल ने 2015 के विधानसभा चुनाव में हम (HAM S) के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा. इस बार भी जेडीयू को जीत हासिल हुई है. सिद्धार्थ पटेल ने करीब 7 हजार वोटों के अंतर से कांग्रेस के संजीव सिंह को हरा दिया है.
इस बार के मुख्य उम्मीदवार
बिहार की वैशाली विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 58.78% मतदान हुआ.

राजनीतिक पृष्ठभूमि
1967 में अस्तित्व में आने वाले वैशाली विधानसभा सीट हमेशा से महत्वपूर्ण रही है. जेडीयू के साथ-साथ लोक जनशक्ति पार्टी का भी यहां जनाधार है. यही कारण है कि इस पिछले दो लोकसभा चुनावों में वैशाली सीट लोजपा के खाते में जा रही है. विधानसभा चुनावी इतिहास की बात करें तो चार बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई है लेकिन 2000 के बाद से यहां पर जेडीयू का कब्जा है. इस सीट पर वृशिण पटेल का दबदबा बताया जाता है, जो 6 बार (1980, 1985, 1990, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010) यहां से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं.
समाजिक ताना-बाना
वैशाली लोक सभा क्षेत्र के तहत आने वाले वैशाली विधानसभा में करीब 460741 जनसंख्या रहती है. यहां पूरी की पूरी आबादी ग्रामिण है. इसमें 20.47 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति के लोगों का है. एससी वर्ग का बड़ी संख्या में वोट बैंक होने के कारण चुनावों में उनकी भूमिका भी अहम रहती है. यही कारण है कि खुद को दलितों की पार्टी बताने वाली लोजपा को इस क्षेत्र की जनता का प्यार मिलता रहा है. इसका असर पिछले दो लोकसभा चुनावों में दिख चुका है.
2015 का जनादेश
2015 के विधानसभा चुनावों में जेडीयू नेता राज किशोर सिंह ने हम पार्टी के उम्मीदवार वृशिण पटेल को 31 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर हराया था. राज किशोर सिंह को 79286 वोट मिले थे वहीं, 6 बार विधायक रहे वृशिण पटेल को 48225 मत हासिल हुए थे.
ये भी पढ़ें-