यूपी बॉर्डर से सटा बिहार का सिवान जिला कभी आजादी के आंदोलन और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए देशभर में आना जाता था. लेकिन आज सिवान जिला राजनीति में अपराधियों के दबदबे, गैंगवॉर और बाहुबलियों के इलाकों और वर्चस्व की जंग के लिए देशभर में कुख्यात है. यहां से आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के करीबी बाहुबली नेता शहाबुद्दीन का जलवा रहा है. खेती और छोटे उद्योग जिले की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे हैं.
ऐतिहासिक महत्व
सिवान जिला से भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का नाता था. वे यहां के जिरादेई गांव के रहने वाले थे. सिवान 8वीं शताब्दी तक बनारस साम्राज्य का हिस्सा था. मुसलमान यहां 13वीं सदी में आए थे. 17 वीं सदी के अंत में पहले डच और उनके पीछे अंग्रेज यहां आए. बक्सर की लड़ाई के बाद सिवान को बंगाल का हिस्सा बना दिया गया था. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सिवान ने भी प्रमुख भूमिका निभाई.
सामाजिक ताना-बाना
साल 1972 में सिवान को एक अलग जिले का दर्जा मिला. 2219 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैले सिवान जिले की जनसंख्या 33 लाख 30 हजार 464 है. सिवान जिले की अर्थव्यवस्था का मुख्या आधार खेती है. कृषि इस क्षेत्र के अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. गेहूं, चावल, मक्का, गन्ना और आलू यहां की प्रमुख उपज है. जिले में लकड़ी, लकड़ी के फर्नीचर, चमड़े और कागज से जुड़े कई छोटे उद्योग हैं.
जिले में शहाबुद्दीन और अजय सिंह का जलवा
जिले में बाहुबली नेता शहाबुद्दीन का नाम कई वारदातों में जुड़ा है. बीते कुछ वर्षों में चर्चित तेजाब कांड में चंदा बाबू के बेटों की हत्या हो या पत्रकार राजदेव रंजन का मर्डर, उनका नाम सामने आया है. शहाबुद्दीन की गिनती आरजेडी प्रमुख लालू यादव के करीबियों में होती है. जिले में इस समय एक तरफ सिवान के 'छोटे सरकार' के नाम से मशहूर मो. शहाबुद्दीन का जलवा है तो दूसरी ओर अजय सिंह का रुतबा, जिनकी पत्नी कविता सिंह ने शहाबुद्दीन की पत्नी को लोकसभा चुनाव में मात दी थी. कविता अब सिवान की सांसद हैं. 1980 के दशक में कई अपराधों में नाम आने के बाद शहाबुद्दीन ने सियासत में एंट्री की और दो बार विधायक और 4 बार सांसद रहे.
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आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सिवान ने अहम भूमिका निभाई. सामाजिक आंदोलनों के लिए भी सिवान जाना जाता है. स्वतंत्रता सेनानी ब्रज किशोर प्रसाद के द्वारा शुरू किया गया पर्दा-प्रथा विरोधी आंदोलन बेहद प्रभावी रहा था. राजेंद्र प्रसाद के अलावा हिंदू मुस्लिम एकता के लिए काम करने वाले मौलाना मज़हरुल हक सिवान से ही थे. उन्होंने सदाक्त आश्रम बनवाया जो पटना-दानापुर रोड पर है. इसके अलावा डॉ सैयद मोहम्मद, ब्रज किशोर प्रसाद और फुलेना प्रसाद जैसे आजादी के नायक भी सिवान जिले से ही हैं. साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने यहां 1937 से 1938 के बीच किसान आंदोलन की शुरुआत की थी.
2015 का जनादेश
सिवान जिले में जीरादेई, रघुनाथपुर, बड़हरिया, महाराजगंज, सीवान सदर, गोरेयाकोठी, दरौली और दरौंदा विधानसभा सीटें हैं. जीरादेई सीट पर पिछले चुनाव में जेडीयू के रमेश सिंह कुशवाहा ने 40760 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी आशा देवी को 6091 वोटों से मात दी थी. रघुनाथपुर सीट से आरजेडी के हरिशंकर यादव ने बीजेपी प्रत्याशी मनोज को 10622 मतों के अंतर से हराया था. बड़हरिया सीट से जेडीयू के श्याम बहादुर सिंह ने एलजेपी प्रत्याशी बच्चा पान को 14583 वोटों के अंतर से हराया था.
महाराजगंज सीट से जेडीयू के हेम नारायण ने बीजेपी प्रत्याशी कुमार देव को 20292 वोट के अंतर से मात दी थी. सीवान सदर सीट से बीजेपी प्रत्याशी व्यास देव प्रसाद ने जेडीयू प्रत्याशी बबलू प्रसाद को 3534 मतों के अंतर से हराया था. गोरेयाकोठी सीट से आरजेडी प्रत्याशी सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने 70965 वोट हासिल कर बीजेपी के देवेश को 7651 वोटों के अंतर से हराया था. दरौली सीट से सीपीआई एमएल के सत्यदेव राम ने 49576 वोट हासिल कर बीजेपी प्रत्याशी को मात दी थी. जिले की दरौंदी सीट से जेडीयू प्रत्याशी कविता सिंह ने 66255 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी.