
बिहार में भारतीय जनता पार्टी की सबसे मजबूत पकड़ वाली सीटों में से एक मानी जाने वाली हाजीपुर विधानसभा सीट पर एक बार फिर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के अवधेश सिंह ने जीत का परचम लहराया है. उन्होंने आरजेडी के देव कुमार चौरसिया को 2990 वोटों के अंतर से हरा दिया है.
इस बार के मुख्य उम्मीदवारों को मिले वोट
बता दें कि बीजेपी सांसद नित्यानंद राय की एंट्री के बाद से इस सीट पर अन्य कोई भी दल जीत हासिल नहीं कर सका है. यानी हाजीपुर में 1995 के बाद से बीजेपी के अलावा किसी और पार्टी को यहां से जीत हासिल नहीं हुई. इस विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 57.29% मतदान हुआ.

राजनीतिक पृष्ठभूमि
हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र को एक समय में समाजवादियों का गढ़ माना जाता था. 1995 तक यहां समाजवादी नेताओं का बोलबाला रहा. यहां से मोतीलाल सिंहा कानन, प्रो. जगन्नाथ प्रसाद, दीप नारायण सिंह और कांग्रेस के सरयू प्रसाद ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. लेकिन साल 2000 में बीजेपी नेता नित्यानंद राय की एंट्री से सियासी समिकरण बदले और हाजीपुर विधानसभा सीट की राजनीति ने भी करवट ली.
यह ऐसा बदलाव था कि इस सीट पर 2000 के बाद से अब तक भाजपा को जीत मिलती आ रही है. बिहार की राजनीति में मजबूत दखल रखने वाले नित्यानंद राय यहां से 4 बार विधायकी जीते. हालांकि 2014 में उनके लोकसभा सांसद बन जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुए और इसमें बीजेपी उम्मीदवार अवधेश सिंह ने बाजी मार ली. यही नहीं पिछले चुनाव में भी अवधेश सिंह ने सफलता प्राप्त की.
समाजिक ताना-बाना
बिहार के वैशाली जिले में स्थित हाजीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी की मजबूत पकड़ है. 2011 की जनगणना के अनुमान के अनुसार यहां की आबादी करीब 443976 है. इसमें 66.74 फीसदी लोग ग्रामीण हैं और 33.26 फीसदी लोग शहरी हैं. वहीं, इस सीट पर अनुसूचित जाति (एससी) के वोटर्स का बोलबाला है. इस विधानसभ क्षेत्र में एससी वर्ग से आने वाले लोगों की आबादी 21.11 फीसदी है.
2015 का जनादेश
2015 के चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार अवधेश सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार जगन्नाथ प्रसाद राय को करीब 16 हजार वोटों के अंतर से हराया था. अवधेश सिंह को 2015 के विधानसभा चुनावों में यहां से 86773 वोट मिले थे. वहीं, जगन्नाथ प्रसाद के पक्ष में 74578 वोट पड़े थे. वोटिंग परसेंटेज की बात करें तो नंबर पर रही बीजेपी को 48.62 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस को 41.79 फीसदी मत हासिल हुए थे.
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