बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की कांटी विधानसभा पर इस बार कांटे का मुकाबला देखने को मिलेगा. खास बात ये है कि इस विधानसभा से पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. अब सिटिंग विधायक दूसरे विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके चलते इस विधानसभा क्षेत्र से अब महागठबंधन और एनडीए दोनों की नजर है, वहीं यहां से पूर्व मंत्री के चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला और कड़ा होने की संभावना है.
सिटिंग विधायक ने बदला अपना क्षेत्र
मुजफ्फरपुर की कांटी विधानसभा की बात करें तो 2015 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार अशोक चौधरी ने जीत दर्ज की थी. वहीं 2020 के चुनाव में अशोक चौधरी ने अपना विधानसभा क्षेत्र ही बदल दिया है. वे अब जेडीयू के टिकट पर सकरा विधानसभा से चुनाव मैदान में हैं.
अशोक चौधरी के विधानसभा क्षेत्र बदलने के बाद सभी की नजर कांटी विधानसभा पर है. जेडीयू ने यहां से मोहम्मद जमाल को टिकट दिया है, तो वहीं जेडीयू से बागी हुए विजय कुमार सिंह ने एलजेपी के टिकट पर यहां से नामांकन किया है. इस विधानसभा से पूर्व मंत्री अजीत कुमार भी निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.
कभी ये विधानसभा थी कांग्रेस का गढ़
कांटी विधानसभा की बात करें, तो इसे कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था. लेकिन 2005 में एलजेपी के अजीत कुमार ने चुनाव जीतकर ये सीट कांग्रेस से छीन ली. इसके बाद 2010 के चुनाव में अजीत कुमार ने जेडीयू के टिकट पर इस विधानसभा से जीत दर्ज की और बिहार सरकार में मंत्री बने. 2015 में कांटी विधानसभा पर त्रिकोणीय मुकाबला रहा, जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार अशोक चौधरी ने उन्हें हरा दिया.
प्रत्याशियों में चल रहा विवाद
वर्तमान समय की बात करें, तो कांटी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों के बीच आपसी विवाद जमकर चल रहा है. पूर्व मंत्री अजीत कुमार कहते हैं कि जेडीयू प्रत्याशी मोहम्मद जमाल उनके वोटर्स को डरा रहे हैं, तो वहीं मोहम्मद जमाल कहते हैं कि अजीत कुमार मेरे वोटर्स को धमकी दे रहे हैं.
ये हैं इस विधानसभा के प्रमुख मुद्दे
कांटी थर्मल पावर स्टेशन को लेकर कांटी विधानसभा क्षेत्र बिहार में अपनी विशेष पहचान रखता है. कहा जाता है कि यहां के मतदाता विकास के मुद्दे पर अपना प्रतिनिधि चुनते हैं, लेकिन कई समस्याओं से यहां के लोग आज भी जूझ रहे हैं. यहां के लोगों का प्रमुख पेशा खेती माना जाता है, लेकिन क्षेत्र में जलभराव की बड़ी समस्या से यहां फसलों की उपज प्रभावित रहती है.
इस क्षेत्र में पानी के लिए उचित निकासी की व्यवस्था नहीं है, जिसके लिए लंबे समय से मांग चली आ रही है. वहीं थर्मल पावर स्टेशन से होने वाला प्रदूषण भी इन लोगों की बड़ी समस्या है. इस स्टेशन से निकलने वाली राख और धुएं से आसपास की खेती प्रभावित होती है. इसके लिए यहां के किसान कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका है.
(रिपोर्ट- रितेश अनुपम)