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Bhojpur: BJP से टिकट नहीं मिलने से बागी हुईं आशा देवी, इस सीट से लड़ेंगी निर्दलीय चुनाव

जेडीयू-आरजेडी के गठबंधन के गणित से आशा देवी जेडीयू का दामन छोड़ बीजेपी में चली आई थी. इस बार बीजेपी के लिए वह दिन रात मेहनत कर रही थीं. लेकिन ऐन मौके पर बीजेपी ने इस बार के चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दे दिया.

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बीजेपी ने इस बार के चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया.
बीजेपी ने इस बार के चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने इस बार के चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया
  • टिकट नहीं मिलने से नाराज आशा देवी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया फैसला
  • सातों विधानसभा क्षेत्रों से अलग-अलग दलों के प्रत्याशियों ने नामांकन का पर्चा भरा

बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के साथ ही बागी नेताओं की फौज भी बढ़ती जा रही है. बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर आशा देवी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. गुरुवार को नामांकन के आखिरी दिन भोजपुर के सभी सातों विधानसभा क्षेत्रों से अलग-अलग दलों के प्रत्याशियों के साथ निर्दलीय उम्मीदवारों ने नामांकन का पर्चा भरा. इस दौरान बड़हरा विधानसभा से बतौर निर्दलीय विधायक की लड़ाई के लिए आशा देवी ने नामांकन कर चुनावी मैदान को और दिलचस्प बना दिया है.

पिछले जेडीयू-आरजेडी के गठबंधन के गणित से आशा देवी जेडीयू का दामन छोड़ बीजेपी में चली आई थी. इस बार बीजेपी के लिए वह दिन रात मेहनत कर रही थीं. लेकिन ऐन मौके पर बीजेपी ने इस बार के चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दे दिया. जिसके बाद वह पार्टी से नाराज होकर बड़हरा विधानसभा से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर चुनावी मैदान में कूद पड़ीं.

आशा देवी इससे पहले जेडीयू से तीन बार टिकट लेकर बड़हरा विधानसभा के सदस्य के रूप में चुनी गईं. लेकिन एक बार सरकार के अल्पमत के कारण वे विधायक नहीं बन पाईं. वहीं लगातार वह दो बार इस विधानसभा से चुनाव जीत कर जनता की सेवा करती रही हैं.

भोजपुर के चित्तौड़गढ़ कहे जाने वाले इस इलाके से आशा देवी के नामांकन करने के बाद लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है. क्योंकि बीजेपी को पहले अपने प्रत्याशी रह चुकीं आशा देवी से पार पाना होगा. इसके बाद ही बड़हरा की सीट से बीजेपी प्रत्याशी को जीत हासिल करने में आसानी होगी. लेकिन ऐसा कुछ फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है जिससे ये सीट बड़हरा के बीजेपी के खाते में जाना संभव हो सके.

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दरअसल बड़हरा सीट शुरू से ही राजपूत बहुल इलाका माना जाता है और आशा देवी पहले भी चुनाव जीत चुकी हैं. ऐसे में इस बार भी उनके टिकट मिलने की पूरी संभावना थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जिसका नतीजा उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इलाके से नामांकन करके राजपूत उम्मीदवार की संख्या 1 की बजाय दो कर दी है.

(इनपुट-सोनू सिंह)

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