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'अगर मर्द की औलाद था तो नई पार्टी बनाता', अजित पवार पर बेलगाम हो गए शरद गुट के नेता

जितेंद्र आव्हाड ने कहा, 'एनसीपी किसकी पार्टी थी? शरद पवार की पार्टी थी. लेकिन अजित पवार ने धक्का देकर शरद पवार को बाहर कर दिया और जाते-जाते शरद पवार के हाथ से घड़ी भी छीन ली. ये पॉकेटमारों की टोली है. अरे तुम्हारे में अगर हिम्मत थी, मर्द की औलाद था अजित पवार तो बोलता कि मैं भी कोई नया निशान ढूंढ़ लेता हूं और लड़ता हूं चुनाव तो हम उसे मर्द कहते.'

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जितेंद्र आव्हाड ने अजित पवार पर साधा निशाना
जितेंद्र आव्हाड ने अजित पवार पर साधा निशाना

एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने एक कार्यक्रम में अजित पवार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 'अगर अजित पवार में हिम्मत होती तो वो अपनी नई पार्टी खड़ी करते, लेकिन उन्होंने तो अपने चाचा शरद पवार की पार्टी चोरी कर ली.' उन्होंने कहा कि जनता को सारी असलियत पता है.

जितेंद्र आव्हाड ने कहा, 'एनसीपी किसकी पार्टी थी? शरद पवार की पार्टी थी. लेकिन अजित पवार ने धक्का देकर शरद पवार को बाहर कर दिया और जाते-जाते शरद पवार के हाथ से घड़ी भी छीन ली. ये पॉकेटमारों की टोली है. अरे तुम्हारे में अगर हिम्मत थी, मर्द की औलाद था अजित पवार तो बोलता कि मैं भी कोई नया निशान ढूंढ़ लेता हूं और लड़ता हूं चुनाव तो हम उसे मर्द कहते. तुम अपने चाचा की पार्टी को चुराकर मेरा-मेरा करते घूम रहे हो.'

'आज भी 18 घंटे काम करते हैं शरद पवार'
 
उन्होंने कहा, 'जनता को मालूम है कि असलियत क्या है. जिस आदमी को फिफ्थ स्टेज कैंसर हुआ था, जिसकी हड्डी टूट गई थी, वो आदमी आज भी 18 घंटे काम कर रहा है. वो बोल रहा है कि महाराष्ट्र में बदलाव लाकर दिखाऊंगा, ये शरद पवार जी की जुबान है. वो मोदी जी के सामने नहीं झुके, वो अमित शाह जी के सामने नहीं झुके.'

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जितेंद्र आव्हाड ने कहा, 'उन्होंने हमारे सामने कहा था कि जिसको जाना हो जाओ. मैं किसी को रोकूंगा नहीं. मैं अकेला लड़ूंगा. मेरे में इतनी हिम्मत है कि मैं नौजवानों के बीच में जाकर एक नया शरद पवार खड़ा करूंगा जो महाराष्ट्र का नेता बन जाएगा. इसको बोलते हैं हिम्मत.'

पिछले साल हुआ था NCP का विभाजन

बता दें कि इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बारामती में अजित पवार और उनके भतीजे तथा एनसीपी (एसपी) उम्मीदवार युगेंद्र पवार के बीच जोरदार मुकाबला होने वाला है. पिछले साल जुलाई में अजित पवार और आठ विधायकों के एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी में विभाजन हो गया था. बाद में चुनाव आयोग ने उपमुख्यमंत्री के गुट को असली एनसीपी के रूप में मान्यता दी और उसे 'घड़ी' का चुनाव चिह्न दिया, जबकि शरद पवार समूह को एनसीपी (एसपी) का नाम दिया गया और उसका चुनाव चिह्न 'तुतारी बजाता हुआ आदमी' रखा गया.

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