भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के लिए अपने प्रभारियों की घोषणा के साथ इस साल के अंत में इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है. लोकसभा चुनावों में कुछ राज्यों में भगवा पार्टी को झटका लगा था, उनमें महाराष्ट्र और हरियाणा भी शामिल हैं. महाराष्ट्र एक ऐसा अहम राज्य है, जहां होने वाले राजनीतिक उठापटक का असर केंद्रीय राजनीति पर भी पड़ता है. यहां इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रबंधन के लिए बीजेपी ने अपने दो केंद्रीय मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है.
भाजपा ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए के अपना प्रभारी नियुक्त किया है, वहीं अश्विनी वैष्णव सह-प्रभारी होंगे. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हरियाणा में पार्टी के चुनाव अभियान की देखरेख करेंगे और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब उनकी सहायता करेंगे. जबकि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को झारखंड के लिए चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया है. उनकी मदद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा करेंगे. जम्मू-कश्मीर के लिए, जहां सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर से पहले चुनाव कराने का निर्देश दिया है, भाजपा ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को अपना प्रभारी नियुक्त किया है.
भूपेंद्र यादव और वैष्णव को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी
आने वाले सभी विधानसभा चुनावों में से, महाराष्ट्र पर सबसे अधिक ध्यान न केवल इसलिए जाएगा क्योंकि यह देश की वित्तीय राजधानी है या यह लोकसभा सीटों के मामले में दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि भाजपा बिल्कुल नए गठबंधन के साथ यहां चुनाव लड़ेगी. भाजपा ने राज्य में शिवसेना (शिंदे गुट) और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ अपने गठबंधन को महायुति नाम दिया है. राज्य में महायुति का मुकाबला कांग्रेस-शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)-एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की महा विकास अघाड़ी से होगा.
बीजेपी के सामने आगामी विधानसभा चुनाव में अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन को पीछे छोड़ने की चुनौती भी होगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 48 सीटों में से 23 सीटें जीती थीं और अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन में उसे 41 सीटें मिली थीं. लेकिन 2024 में उसका नया गठबंधन केवल 17 सीटों पर जीत हासिल कर पाया है, जबकि भाजपा को सिर्फ 9 सीटें मिलीं. कांग्रेस को 2019 में सिर्फ 1 संसदीय सीट पर जीत मिली थी. इस बार वह राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उसने अपने दम पर 13 सीटें और अपने सहयोगियों के साथ 30 सीटें हासिल कीं.
महाराष्ट्र में MP वाला करिश्मा दोहराने की उम्मीद
भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव पिछले साल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भी बीजेपी के प्रभारी थे. यहां 2003 से लगभग निर्बाध रूप से सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीतकर शानदार जीत हासिल की. कहा जाता है कि पार्टी मुश्किल स्थिति में है. चुनाव से पहले कहा जा रहा था कि एमपी में इस बार बीजेपी के लिए काफी मुश्किल होने वाली है, लेकिन भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव ने चीजों को भगवा पार्टी के पक्ष में करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि लोकसभा चुनाव में एमवीए और एनडीए के बीच सिर्फ 0.3% वोट का अंतर था. विधानसभा चुनाव में लोग भाजपा और उसके सहयोगियों को वोट देंगे क्योंकि वे जानते हैं कि एमवीए को सत्ता देने से कल्याणकारी परियोजनाएं रुक जाएंगी.
धर्मेंद्र प्रधान और बिप्लब कुमार देब देखेंगे हरियाणा
हरियाणा में भी बीजेपी 10 में से 5 लोकसभा सीटें ही जीत सकी. 2019 में पार्टी ने सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस का दावा है कि वह इस राज्य में बीजेपी का विजय रथ रोक देगी. कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने रविवार को कहा, 'यह तो सिर्फ शुरुआत है, असली लड़ाई आगे है. हमें न रुकना चाहिए, न झुकना चाहिए, लक्ष्य हासिल होने तक हमें बस आगे बढ़ते रहना चाहिए'. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से पिछले भाजपा सरकार की 10 वर्षों की विफलताओं को जनता के सामने उजागर करने के लिए कहा. भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को नियुक्त किया. पार्टी ने राज्य में लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के लिए धर्मेंद्र प्रधान और बिप्लब कुमार देब पर भरोसा जताया है.
शिवराज और हिमंत के पास झारखंड की जिम्मेदारी
मध्य प्रदेश का लिंक झारखंड में भी स्पष्ट है, जहां शिवराज सिंह चौहान को प्रभारी बनाया गया है. हिमंत बिस्व सरमा को एक संकटमोचक के रूप में देखा जाता है और उनका राजनीतिक कौशल राज्य में काम आ सकता है, जहां भाजपा झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से हटाने की कोशिश कर रही है. जम्मू और कश्मीर में 2014 के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा. वहीं 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश के लोग पहली बार अपने विधायक चुनेंगे. भाजपा ने इस साल कश्मीर घाटी में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और जम्मू रीजन की उधमपुर और जम्मू दोनों संसदीय सीटें जीतीं.