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UPSC को लिखा पत्र: मास कॉम को ऑप्शनल विषय में शामिल करने की मांग तेज

upsc civil services examination 2019 :पत्रकारिता और मास कम्यूनिकेशन भारत के अलग अलग विश्वविद्यालयों में पिछले 78 साल से पढ़ाया जा रहा है. फिर भी इसकी पढ़ाई करने वाले अभ्यर्थी इसे ऑप्शनल विषय में नहीं ले सकते. इसके लिए उठी मांग.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

upsc civil services examination 2019 :पत्रकारिता और मास कम्यूनिकेशन भारत के अलग अलग विश्वविद्यालयों में पिछले 78 साल से पढ़ाया जा रहा है. फिर भी इसकी पढ़ाई करने वाले अभ्यर्थी इसे ऑप्शनल विषय में नहीं ले सकते. सिविल सर्विसेज की मुख्य परीक्षा में इसे वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने की मांग अब और तेज हो गई है. देश भर के हजारों मॉस कॉम स्टूडेंट्स इस मुहिम में शामिल हो रहे हैं.

मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहे छात्र -छात्राओं  ने संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) को पत्र लिख कर इसे जल्द से जल्द वैकल्पिक विषय में शामिल करने की मांग की है. स्टूडेंट्स का कहना है कि इससे हजारों छात्र प्रभावित हैं. जो छात्र-छात्राएं मॉस कॉम से ग्रेजुएशन या पोस्टग्रेजुएशन कर रहे हैं उन्हें सिविल सर्विस परीक्षा के लिए मजबूरन दूसरा विषय ना चुनना पड़े.

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UPSC चेयरमैन को लिखे पत्र में छात्रों ने मास कॉम को एक लोकप्रिय, प्रासंगिक, पुराना और स्थापित विषय कहा. छात्रों का कहना है कि इंटरनेशनल लेवल पर ये सब्जेक्ट 111 साल से पढ़ाया जा रहा है. इंडिया की ज्यादातर यूनिवर्सिटी में बाकायदा इसके संस्थान चल रहे हैं. डीयू में पत्रकारिता विभाग से लेकर माखनलाल चतुर्वेदी जैसे विश्वविद्यालय मास कॉम के लिए जाने जाते हैं.

इंडिया के अधिकतम केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्यस्तरीय सरकारी विश्वविद्यालयों एवं प्राइवेट विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता एवं जनसंचार या मीडिया अध्ययन के विभाग हैं जो ग्रेजुएशन, पोस्टग्रेजुएशन और डॉक्टरेट स्तर के कोर्सेज चला रहे हैं. यहां हजारों की तादाद में स्टूडेंट्स हैं. अपने पत्र में छात्रों ने अपनी पीड़ा की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है. पत्र में लिखा है कि उन छात्रों की पीड़ा की कल्पना कीजिए जिन्होंने स्नातक और मास्टर स्तरों पर पत्रकारिता और जनसंचार की पढ़ाई की है.

इस विषय की पढ़ाई 5 साल करने के बाद स्टूडेंट जब सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लेते हैं, तो उन्हें वैकल्पिक पेपर के लिए एक बिल्कुल नए विषय का चयन करने के लिए मजबूर किया जाता है. वजह ये है कि पत्रकारिता और जनसंचार 48 वैकल्पिक विषयों की सूची में शामिल नहीं है. छात्रों ने अपने पत्र में इस विषय की प्रासंगिकता की भी चर्चा की है. छात्रों का कहना है कि इस आधुनिक समाज में मास कॉम सभी प्रशासनिक कार्यों के लिए काफी प्रासंगिक है क्योंकि मीडिया और अन्य संचार उपकरण हमारे जीवन के हर पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. समाज और राष्ट्र निर्माण में समाचार मीडिया और विकास संचार के महत्व को कोई भी नकार नहीं सकता.  

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पत्र भेजने वाले छात्रों में शामिल सुनील कुमार का कहना है कि ये दिल्ली विश्वविद्यालय, इग्नू, जामिया मिल्लिया और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों का एक छोटा सा प्रयास है. इस मुद्दे पर हम UPSC सहित राज्य स्तरीय अन्य लोक सेवा आयोगों को लिख चुके हैं. एक अन्य छात्र आदित्य के अनुसार मास कम्युनिकेशन के छात्र इस समस्या का सामना काफी दिनों से कर रहे हैं. अभी हाल ही में स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया स्टडीज, इग्नू के शिक्षक डॉ. अमित कुमार ने इसी विषय पर ऑनलाइन सर्वे किया था. सर्वे में आए नतीजे भी इसी मांग के पक्ष में थे.

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