दिल्ली विश्वविद्यालय में पहली बार एडमिशन प्रक्रिया इतनी लेट हुई है. बीते साल 15 मई से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए थे. इस साल यह तारीख अभी डिक्लेयर ही नहीं की गई है. डीयू से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एडमिशन प्रक्रिया की टेस्टिंग के दौरान सर्वर में टेक्निकल दिक्कत आ रही थी. अभी तक पोर्टल तैयार नही हो पाया है. यहां के सर्वर में दिक्कत के चलते एडमिशन लगातार लेट हो रहे हैं. वहीं डीयू में सर्वर पर टेस्टिंग जारी है. डीयू में एडमिशन लेट होने के पीछे अब कई सवाल उठने लगे हैं. इसके पीछे प्राइवेट यूनिवर्सिटी को फायदा पहुंचाने की कोशिश जैसे आरोप भी लग रहे हैं, जानें लेट होने के पीछे क्या हो सकती हैं मुख्य वजहें.
10 फीसद सवर्ण आरक्षण तो वजह नहीं
इस साल पहली बार डीयू 10 फीसद सवर्ण आरक्षण दे रहा है. इससे स्टूडेंट की संख्या बढ़ेगी, आपको बता दें कि हर साल रजिस्ट्रेशन शुरू होने के पहले ही दिन ज्यादा एक्सेस से DU का सर्वर बैठ जाता है. ऐसे में सर्वर पर लोड बढ़ने से यह और भी जल्दी ठप होने का अनुमान है. सूत्रों की मानें तो डीयू ने इसी फजीहत से बचने के लिए सर्वर की क्षमता बढ़ाने और लगातार टेस्टिंग का रास्ता निकाला था. यह एडमिशन लेट होने की एक वजह मानी जा रही है.
एडमिशन प्रोसेस में बदलाव भी वजह
डीयू दाखिला प्रक्रिया से जुड़े लोगों का कहना है कि इस बार पहली बार एडमिशन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया जा रहा है. इस बार डीयू रजिस्ट्रेशन फीस से लेकर फाइनल फीस तक ऐप या क्रेडिट कार्ड आदि के जरिये लेने का नियम बना रहा है. ऐसे में पोर्टल में बड़ा बदलाव करना पड़ रहा है.
प्राइवेट यूनिवर्सिटी को फायदा!
डीयू के विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो हंसराज सुमन ने डीयू प्रशासन पर आरोप लगाया है कि एडमिशन जान-बूझकर लेट किए जा रहे हैं. उन्होंने आजतक से बताया कि अगर डीयू के एडमिशन लेट होंगे तो इसका सीधा फायदा प्राइवेट विश्वविद्यालयों को होगा. छात्र और उनके अभिभावक सोच रहे हैं कि कहीं ज्यादा लेट होने पर अगर डीयू में एडमिशन नहीं हुआ तो दूसरे यूनिवर्सिटी में मुश्किल हो जाएगी. वे इसी संशय में बच्चों के भविष्य को लेकर प्राइवेट संस्थानों की ओर भाग रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि कहीं न कहीं प्रशासन को प्राइवेट संस्थानों से फायदा मिल सकता है. उनका कहना है कि बीते कई सालों से दिल्ली एनसीआर के प्राइवेट संस्थानों की हालत खराब है.इससे उन्हें फायदा होगा.
दाखिला विशेषज्ञों की कमी
विलम्ब का कारण यह भी कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय के पास एडमिशन से जुड़े लोगों की कमी है. पिछले साल जो टीम एडमिशन को देख रही थी उसे बदल दिया गया है. डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर से लेकर सारे पुराने मेम्बर्स बदले गए हैं. एडमिशन लेट होने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है.