हर साल IIT और मेडिकल पास करने के बाद ऐसी खबरें आती हैं कि पैसे के अभाव के कारण कुछ स्टूडेंट्स को एडमिशन लेने में दिक्कतें आती हैं. वो तो भला हो सोशल मीडिया का कि इनमें से कुछ लोगों को मदद मिल जाती है. यही स्थिति कानपुर के रहने वाले प्रशांत और अमित की भी है. उन्होंने JEE एडवांस की परीक्षा तो पास कर ली है लेकिन पैसे के अभाव के कारण एडमिशन ले पाना मुश्किल लग रहा है.
अमित को SC/ST कैटेगरी में 371 और प्रशांत का ऑल इंडिया रैंक 1762 है. लेकिन, प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट में पैसे की कमी एडमिशन लेने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन रही है.
अमित की कहानी:
अमित की मां गिरीजा देवी रोती हुए कहती हैं, 'हमारे परिवार के लिए बेटे की फीस जमा करना असंभव ही है.' अमित के पिता महीने में सिर्फ 8,000 रुपये ही कमा पाते हैं.
वो बताते हैं कि उनके पिता 10-12 घंटे हर दिन काम करते हैं. लेकिन उनकी आय इतनी ज्यादा नहीं है कि IIT का खर्चा पूरा हो सके. 12वीं की पढ़ाई के दौरान भी स्कूल ने उनसे कोई फीस नहीं लिया था. अमित को 12वीं में 89 फीसदी अंक मिले हैं.
दरअसल उन्हें पहले प्रिपरेटरी कोर्स (एससी/एसटी/विकलांग श्रेणी से आने वाले उन उम्मीदवारों के लिए यह कोर्स चलाई जाती है जो जेईई एडवांस की परीक्षा में हिस्सा लेते हैं, लेकिन मेरिट लिस्ट में नहीं आ पाते हैं. यहां अवसर निश्चित संख्या में स्टूडेंट्स को तभी मिलेगा, जब संस्थान में इन श्रेणियों में सीटें खाली रह जाएंगी. इसके लिए देश के सभी आईआईटी व आईएसएम में प्रिपरेटरी कोर्स चलाए जाते हैं. यह कोर्स एक वर्ष का होता है) में दाखिला लेना होगा. इसे पास करने के बाद ही उन्हें IIT में दाखिला मिलेगा.
प्रशांत की कहानी:
प्रशांत को 1762 रैंक मिले हैं. इनके पिता के लिए IIT की फीस अरेंज करना काफी मुश्किल है क्योंकि वह महीने में सिर्फ 7,000 ही कमा पाते हैं. वो कहते हैं, ' अगर कहीं से फीस अरेंज हो जाए तो मैं IIT-खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता हूं.