उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल जजेज के पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली पीसीएस जे की मुख्य परीक्षा में गड़बड़ी का सनसनीखेज मामला सामने आया है. अगस्त में परिणाम जारी होने के बाद एक अभ्यर्थी ने आयोग पर यह आरोप लगाया था कि आंसर शीट में उसकी हैंडराइटिंग नहीं है और कुछ पन्ने फटे भी हुए हैं. इसके बाद जांच में सामने आया है कि वाकई 50 कैंडिडेट्स ऐसे थे, जिनकी आंसर शीट बदल दी गई थीं. इन अभ्यर्थियों के परिणाम में हेरा-फेरी को लेकर कोर्ट ने आयोग से जवाब मांगे हैं.
कोर्ट ने आयोग से किए ये सवाल
कोर्ट ने आयोग से पूछा है कि कितने अभ्यर्थियों का परिणाम सही नहीं है, यदि फिर से इनके परिणाम तैयार होंगे तो कितने लोग बाहर होंगे. चयन से बाहर जाने व अंदर आने वालों के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी. कोर्ट ने आयोग को कार्यवाही पूरी करने के लिए 3 अगस्त तक का टाइम दिया है. अगर आयोग कोर्ट के इन सवालों का जवाब देने में असमर्थ है या कोर्ट इन जवाबों से संतुष्ट नहीं होता तो हो सकता है कोर्ट दोबारा रिजल्ट जारी करने का आदेश दे. ऐसे में जो कैंडिडेट्स चयनित हो चुके हैं वे भी री-एग्जाम के दायरे में आ सकते हैं.
री-एग्जाम ये क्या हो सकता है असर
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज (पीसीएस जे) भर्ती परीक्षा-2023 के लिए इंटरव्यू की 16 से 28 अगस्त तक आयोजित किए थे. साक्षात्कार क्लियर करने वाले कैंडडिटे्स की चयनित पदों पर जॉइनिंग भी हो चुकी है. ऐसे में सवाल उठता है कि दोबारा रिजल्ट जारी होने पर अगर उन कैंडिडेट्स के रिजल्ट पर असर पड़ता है, जिनके परिणाम के साथ हेरा-फेरी की गई है तो क्या परीक्षा दोबारा कराई जाएगी. ऐसे में ड्यूटी ज्वॉइन कर चुके कैंडिडेट्स के सेलेक्शन पर असर पड़ेगा. वहीं, जो कैंडिडेट्स पहले बाहर हो गए हैं, अगर उनका नाम री-एग्जाम रिजल्ट लिस्ट में आ जाता है तो उनकी ज्वॉइनिंग के लिए आगे का प्रोसेस क्या रहेगा. अगर गड़बड़ी के कारण अधिकांश कैंडिडेट्स का रिजल्ट प्रभावित होता है तो फिर से मेरिट लिस्ट तैयार होगी और नतीजे जारी किए जाएंगे. इस मामले से कोर्ट ने आयोग से कई सवाल किए हैं.