उत्तर प्रदेश 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थी सड़कों पर हैं. शिक्षक अभ्यर्थी 6800 पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि छह साल बीत जाने के बाद भी अभी तक 6800 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिली है. नियुक्ति पत्र की मांग पर अड़े शिक्षक अभ्यर्थी आज भाजपा कार्यलाय पहुंचे गए.
लखनऊ में भाजपा कार्यलाय पर प्रदशर्न कर रहे अभ्यर्थियों को पुलिस बल ने हटाने की कोशिश की. इस बीच अभ्यर्थी कार्यलायक के बाहर ही सड़क पर लेट गए. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शन कर रहे कुछ अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया. हालांकि बाद में अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिनंडल ने उप मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई, जहां डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है. अभ्यर्थियों ने जल्द नियुक्ति नहीं होने पर आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है.
इससे पहले शिक्षक अभ्यर्थियों ने गुरुवार को उप मु्ख्यमंत्री केशव मौर्य के आवास का घेराव कर प्रदर्शन किया था. अभ्यर्थियों ने 'केशव चाचा मस्त हैं, पिछड़े दलित पस्त हैं' के नारों से अपना गुस्सा जाहिर किया था.
UP 69000 सहायक शिक्षक भर्ती पर बवाल क्यों?
उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. अभ्यर्थी, भर्ती में आरक्षण को लेकर घोटाले का आरोप लगाते रहे हैं, जबकि विभाग इसे सही ठहराने के लिए तर्क भी देता रहा है. अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि जारी की गई प्रास्तवित सूची में अभ्यर्थियों के वेटेज, कैटेगरी-सब कैटेगी की जानकारी नहीं दी गई थी. OBC को 27% की जगह 3.86% ही आरक्षण दिया गया था. हालांकि, विभाग से असफल अभ्यर्थियों द्वारा भ्रम फैलाने का मुद्दा कहा गया.
बता दें कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सहायक शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट फिर बनाने के निर्देश भी दिए थे. इस मामले को लेकर अभ्यर्थी लगातार बवाल कर रहे हैं. अभ्यर्थी इस मांग को लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी से भी मिले थे. उन्होंने इस बारे में ट्वीट करके अपना समर्थन जाहिर करते हुए कहा था कि यूपी का 69,000 शिक्षक भर्ती घोटाला भाजपा की आरक्षण विरोधी मानसिकता का सबूत है.