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दादा-पिता ने सेंट स्टीफेंस में किया माली का काम, तीसरी पीढ़ी में दो बेटे बारी-बारी से बने स्टूडेंट यूनियन प्रेसीडेंट

पंकज बताते हैं कि मैं सोचता था कि आगे चलकर मैं क्र‍िकेटर बनूंगा. लेकिन चार भाई बहन वाले परिवार के पास इतनी आय नहीं थी कि वो मुझे एकेडमी भेज सकते. इसलिए मैंने पढ़ाई जारी रखी. कॉलेज में स्टाफ कोटे से दाख‍िला मिल गया. यहां कोरोना के बाद जब स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन हुए तो मैंने इसमें हिस्सा लिया. नौ साल पहले मेरे बड़े भाई रोह‍ित ने इस पद पर जीत हासिल की थी.

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पं‍कज यादव
पं‍कज यादव

कहते हैं कि किताबें चमत्कार करती हैं, इनको पढ़कर इंसान की किस्मत पूरी तरह पलट जाती है. ऐसा ही करिश्मा सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दो पीढ़ी से माली का काम कर रहे हरीश कुमार की जिंदगी में हुआ है. जिस कॉलेज में उनके पिता फिर वो खुद माली का काम करते थे, उसी कॉलेज में हरीश कुमार का बेटा पंकज यादव इस साल का स्टूडेंट यूनियन प्रेसिडेंट बना है, नौ साल पहले उनका बड़ा बेटा रोहित यादव भी कॉलेज की स्टूडेंट यूनियन का प्रेसिडेंट बना था. 

aajtak.in से बातचीत में पंकज यादव ने कहा कि इस जीत के बाद मेरे सोचने का तरीका ही बदल गया है. मैं बचपन में क्र‍िकेट बहुत पसंद करता था. मैं सोचता था कि आगे चलकर मैं क्र‍िकेटर बनूंगा. लेकिन चार भाई बहन वाले परिवार के पास इतनी आय नहीं थी कि वो मुझे एकेडमी भेज सकते. इसलिए मैंने पढ़ाई जारी रखी. कॉलेज में स्टाफ कोटे से दाख‍िला मिल गया. यहां कोरोना के बाद जब स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन हुए तो मैंने इसमें हिस्सा लिया. नौ साल पहले मेरे बड़े भाई रोह‍ित ने इस पद पर जीत हासिल की थी, मैंने भी उनकी ही तरह चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 

यहां जीत के बाद मेरे मन के किसी कोने में पल रहा आर्मी अफसर बनने का सपना जाग गया है. अब मैं सीडीएस की तैयारी करके आर्मी में जाने का अपना सपना पूरा करूंगा. इसके अलावा मैं सीजीएल की भी तैयारी जारी रखूंगा. पंकज के तीन भाईयों में से एक गवर्नमेंट जॉब की तैयारी कर रहा है, वहीं बीच वाला भाई रामजस कॉलेज में मेस हेल्पर है. इसके अलावा बड़ी बहन एमए की पढ़ाई कर रही है. 

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ये मेरे पिता का सपना हम पूरा कर रहे 

पंकज ने बताया कि उनके पिता हरीश कुमार से पहले उनके दादा जी 1948 से सेंट स्टीफंस में लगभग 30 सालों तक माली के रूप में काम करते थे. मेरे पिता का बचपन कैंपस में दादाजी की मदद करते बीता. फिर दादा के रिटायरमेंट के बाद पापा ने जिम्मेदारी संभाल ली. पापा को ये बात बहुत बुरी लगती थी जब लोग कहते थे कि आगे भी माली का बेटा माली बन जाएगा. उन्होंने लेकिन हमें इस काम से दूर रखा, सरकारी स्कूल में हमारी श‍िक्षा कराई. फिर हम दोनों भाई इस कॉलेज में दाख‍िल हुए. हम हिंदी मूल से थे और सेंट स्टीफेंस देश के टॉप कॉलेजों में एक, लेकिन हमें काफी भाषा को लेकर लज्ज‍ित महसूस नहीं हुआ. 

हिंदी में दिया भाषण 

मैं कॉलेज की हिंदी सोसायटी का उपाध्यक्ष भी हूं. मैंने चुनाव के दौरान अपना भाषण हिंदी में दिया, लेकिन मैंने उन छात्रों से अंग्रेजी में भी बात की जो हिंदी नहीं समझते थे. साथी स्टूडेंट्स ने मुझे पसंद किया और कॉलेज में 27 जनवरी को छात्रसंघ चुनाव में 765 में से 497 वोट मुझे मिले और जीत प्राप्त हुई. 

 

 

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