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सरकारी से 9 गुना ज्यादा है प्राइवेट स्कूलों का खर्चा... सामने आई रिपोर्ट

शहर में स्कूलों की बढ़ती फीस को लेकर आए दिन चर्चा होती रहती है. किताबों से लेकर अन्य खर्चों में पेरेंट्स की आधी इनकम निकल जाती है. अब सामने आई एक रिपोर्ट में भी यह बात सच साबित हुई है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में बच्चों की पढ़ाई पर कितना खर्चा हो रहा है.

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शहर में कोर्सेस की ऐवरेज फीस 15 हजार 143 है, वहीं, ग्रामीण इलाकों में यह संख्या 3 हजार के करीब है. (Photo: AI Generated)
शहर में कोर्सेस की ऐवरेज फीस 15 हजार 143 है, वहीं, ग्रामीण इलाकों में यह संख्या 3 हजार के करीब है. (Photo: AI Generated)

आज के समय में हर मां-बाप अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का सोच रहे हैं, क्योंकि सरकारी स्कूलों से लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है. लोग मानते हैं कि जो सुविधाएं प्राइवेट स्कूलों में मिलती है, वो सरकारी में संभव नहीं है. लेकिन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने में परिवार का काफी खर्चा लग जाता है.

सरकारी और प्राइवेट स्कूल में पैसों का भारी अंतर

शिक्षा पर लगने वाले खर्चे का पता करने कि लिए कॉम्प्रिहेंसिव मॉड्यूल सर्वे, एजुकेशन 2025 किया गया था. सर्वे के लिए 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों का पूरे देशभर में कम्प्यूटर की सहायता से इंटरव्यू लिया गया. किए गए सरकारी सर्वे में यह पता चला कि प्राइवेट स्कूलों में माता-पिता जितने पैसें लगा रहे हैं, वो सरकारी स्कूल की तुलना में काफी ज्यादा है.

सरकारी स्कूलों में ज्यादा नामांकन

देश भर में ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूल में 66% नामांकन हैं, जबकि शहरों में 30.1% नामांकन दर्ज है. अगर हम पूरे देश के सरकारी स्कूलों की बात करें तो 55.9% नामांकन सरकारी स्कूलों में दर्ज हैं, लेकिन इनमें से केवल 26.7% छात्र ही स्कूलों में कोर्स की फीस दे रहे हैं,जबकि सरकारी की तुलना में प्राइवेट स्कूलों में 95.7% छात्र कोर्स की फीस दे रहे हैं.

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यह सर्वे बताता है कि प्राइवेट स्कूलों का खर्चा काफी बढ़ गया है. अगर हम इस साल की बात करें तो, साल का सरकारी स्कूलों में लगने वाला औसतन खर्चा 2 हजार 863 रुपए है, जबकि प्राइवेट स्कूलों में इसका औसत 25 हजार 2 रुपए है. यह सरकारी स्कूलों में होने वाले के खर्चे से करीब 8.8 गुना ज्यादा है.

पहले कोर्स फीस फिर कोचिंग का चक्कर 

शहरी क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों की कोर्स फीस का औसत 15,143 रुपए है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोर्स फीस का औसत 3,979 रुपए है. यह खर्चा यहीं खत्म नहीं होता है, इसमें किताबों के खर्चे और स्टेशनरी के खर्चे का औसत 2,002 रुपए है.

इसके अलावा कोचिंग में काफी खर्चा लगता है. इस साल अब तक 27% बच्चे ऐसे हैं, जो कोचिंग ले चुके हैं या कुछ अभी भी ले रहे हैं. कोचिंग के मामले में शहरी क्षेत्रों के छात्र, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में आगे हैं.

शहरों में प्राइवेट कोचिंग पर लगने वाले खर्चे का औसत 3,988 रुपए है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 1,739 रुपये है. शहरों में 12वीं कक्षा की कोचिंग की फीस बढ़कर 9,950 रुपए तक पहुंच चुकी है,जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह फीस 4,548 रुपए तक पहुंच गई है.

मंत्रालय ने सर्वे को बताया अनुमानित 

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मंत्रालय ने सर्वे को अनुमानित बताया है और इसमें गलती की संभावना भी बताई है. लेकिन सर्वे से यह जरूर पता चल रहा है कि प्राइवेट स्कूलों का खर्चा समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है और इस खर्चे का सामना लोगों को करना पड़ रहा है.

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