scorecardresearch
 

मोबाइल में नेटवर्क नहीं, 3-4 किमी पहाड़ चढ़कर ऑनलाइन एग्जाम दे रहे इस गांव के छात्र

इस गांव के छात्रों ने पहाड़ी इलाके में एक अस्थायी तम्बू को परीक्षा हॉल बनाकर छात्रों ने एग्जाम दिया. घर से 3-4 किमी दूर एक छात्र संगठन ने पहाड़ी की चोटी घने जंगल के अंदर बांस, केले के पेड़ के पत्ते, तिरपाल का उपयोग करके ये परीक्षा हॉल बनाया था.

Advertisement
X
एग्जाम देते छात्र (Photo: aajtak.in)
एग्जाम देते छात्र (Photo: aajtak.in)

एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रही है, वहीं दूसरी तरफ मिजोरम के सियाहा जिले के एक दूरदराज गांव का नजारा कुछ अलग ही है. बुधवार को राज्य के मिजोरम के जेरोम के वबेइहरुपथाई, टी महनेई और नौ अन्य छात्र मिजोरम विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन मोड में आयोजित स्नातक सेमेस्टर परीक्षा में शामिल हुए थे. 

मिजोरम विश्वविद्यालय के तहत जेरोम के वबेइहरुपथाई और टी महनेई दोनों चौथे सेमेस्टर के छात्र हैं. जहां अन्य छात्र अपने घर से ऑनलाइन सेमेस्टर परीक्षा में शामिल हुए थे, वहीं मिजोरम के वन क्षेत्र के अंदर एक पहाड़ी की चोटी पर वबेइहरुपथाई और महनेई ऑनलाइन परीक्षा में पहाड़ की चोटी में जाकर परीक्षा में शामिल हुए.

इस गांव के छात्रों ने पहाड़ी इलाके में एक अस्थायी तम्बू को परीक्षा हॉल बनाकर एग्जाम दिया. घर से 3-4 किमी दूर एक छात्र संगठन ने पहाड़ी की चोटी घने जंगल के अंदर बांस, केले के पेड़ के पत्ते, तिरपाल का उपयोग करके ये परीक्षा हॉल बनाया था.

बता दें कि सियाहा जिला मुख्यालय से लगभग 74 किमी की दूरी पर स्थित सुदूर मावरेई गांव में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी है और पूरा गांव पहाड़ियों से घिरा हुआ है.  यहां कनेक्ट‍िव‍िटी न होने से छात्रों को बहुत मुसीबत का सामना करना पड़ा.

Advertisement

एग्जाम की डेट घोष‍ित होने के बाद छात्रों के साथ भविष्य की चिंता थी. इसलिए गांव से दूर पहाड़ी पर परीक्षा हॉल का निर्माण, मारा छात्र संगठन की गांव मावरेई शाखा द्वारा 31 मई को किया गया था. परीक्षा हॉल यह देखकर बनाया गया कि छात्रों को मोबाइल नेटवर्क सिग्नल मिल सके. 

पहाड़ी पर स्थित अस्थायी परीक्षा हॉल तलोटला पर बनाया गया था जो भारत-म्यांमार सीमा से सिर्फ 10 किमी दूर है. यहां जंगल से होकर 3-4 किमी की चढ़ाई के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. यह विशेष स्थान केवल मावरेई गांव में है जहां मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्ध है.

जेरोम के वबेइहरुपथई ने aajtak.in से कहा कि हमारे गांव में कोई मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है, क्योंकि हमारा गांव पहाड़ियों से घिरा हुआ है, गांव के भीतर कोई सिग्नल उपलब्ध नहीं है. हमें पहाड़ी की चोटी तक पहुंचने के लिए वन क्षेत्र के माध्यम से एक घंटे तक ट्रेक करना पड़ता है.

 

Advertisement
Advertisement