राजस्थान में सभी को शिक्षा देने का वायदा कर रही गहलोत सरकार भले ही ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत पर देखा जाए तो तस्वीर कुछ अलग सामने निकलकर आ रही है. गहलोत सरकार ने स्कूलों को तो क्रमोन्नत कर दिया, लेकिन उनमे कहीं भवन का अभाव है तो कहीं अध्यापकों की कमी है. इन सभी समस्याओं से सरकारी स्कूल जूझ रहे हैं. शिक्षा विभाग कह रहा है कि रीट की भर्ती शुरू हो चुकी है. एल वन,एल टू और महात्मा गांधी संविदा भर्ती शुरू हो चुकी हैं और जल्द ही इस समस्या समाधान हो जाएगा.
326 सरकारी स्कूलों में शिक्षक और पीटीआई के 1300 से ज्यादा पद खाली
धौलपुर जिले में 326 सीनियर सेकेंडरी स्कूल वर्तमान में संचालित हैं और गहलोत सरकार ने जिले के सभी सेकेंडरी स्कूलों को सीनियर सेकेंडरी में क्रमोन्नत कर दिया हैं. इन स्कूलों में शिक्षक लेवल फर्स्ट के 1067 पद स्वीकृत हैं जिनमे में से 220 पद रिक्त चल रहे हैं. शिक्षक लेवल सेकंड के 994 पद स्वीकृत हैं जिनमे से 343 पद रिक्त हैं. वरिष्ठ शिक्षक के 1668 पद स्वीकृत हैं जिनमे से 740 पद रिक्त हैं. पीटीआई के 228 पदों में से 81 रिक्त चल रहे हैं और गैर शैक्षणिक के 955 पदों में से 564 पद रिक्त चल रहे हैं.
जिले के 326 सरकारी स्कूलों में शिक्षक और पीटीआई के एक हजार 384 पद रिक्त हैं. साथ ही गैर शैक्षणिक के 564 पद रिक्त चल रहे हैं. वहीं स्कूलों में भवन की बात की जाए तो जो स्कूल क्रमोन्नत किये हैं उनमे कक्षा-कक्ष, कंप्यूटर रूम, लैब की कमी बनी हुई है. ऐसे पांच दर्जन से अधिक स्कूल हैं. शिक्षा विभाग के मुताबिक करीब 22 स्कूलों में निर्माण की स्वीकृति जारी कर दी हैं.
बिना टीचर फेल हो रहे छात्र, भवन की कमी
जिले के राजाखेड़ा उपखण्ड क्षेत्र के चांडियान का पुरा का सेकेंडरी स्कूल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में क्रमोन्नत कर दिया हैं. लेकिन अभी यहां संसाधन का अभाव बना हुआ हैं. विगत वर्ष दसवीं की परीक्षा में इस स्कूल में एक 12 छात्र पढ़ रहे थे, लेकिन शिक्षकों के अभाव में बिना शिक्षण कार्य के दस विद्यार्थी फेल हो गए. वर्तमान में 115 बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं और 13 पदों में से 11 पद रिक्त चल रहे हैं. मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की मदद से दो शिक्षक व्यवस्थाओं के लिए लगवाए है. बिना शिक्षकों के शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा हैं. विद्यालय में मात्र पांच कमरे हैं. जिनमे एक में ऑफिस और एक कमरे में पोषाहार का सामान रखा हैं. बच्चों के लिए मात्र तीन कमरे हैं. भवन की कमी के चलते बच्चो को चार ग्रुप में बैठाया जा रहा हैं. जिससे शिक्षकों का कार्य प्रभावित हो रहा हैं.
स्कूल में भवन की कमी को लेकर छात्र-छात्राओं से जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा स्कूल को माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत कर दिया. लेकिन कक्षाएं संचालित करने के लिए भवन की व्यवस्था नहीं की है इस वजह से छात्र-छात्राओं के बैठने के साथ शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है.
गहलोत सरकार ने जिले के दर्जनभर विद्यालयों को क्रमोन्नत कर बड़ा ओहदा तो दे दिया. लेकिन जमीनी हकीकत की बात की जाए तो हालात कुछ और ही सामने निकल कर आ रहे है जो जाहिर तौर पर सिस्टम की पोल खोलकर रख रहे है. विद्यालयों में भवन की कमी, शिक्षकों का टोटा, छात्रों के लिए आधुनिक एवं तकनीकी शिक्षा की कमी,कही न कही अपने आप में बड़े सवाल खड़े करते हैं. इन सब हालातों से रूबरू होते हुए भी सरकार कब तक जागेगी. फिलहाल इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो.