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क्यों 1,563 में से 813 कैंंडीडेट्स ही NEET RE-Exam में हुए शामिल, एक्सपर्ट बता रहे ये बड़ी वजह

नीट री-एग्जाम का रिजल्ट जारी हो चुका है. इसमें प‍िछले एग्जाम में टॉपर रहे 67 छात्रों में से सभी ने ये परीक्षा नहीं थी. छात्रों की संख्या काफी कम थी. एनटीए के मुताबिक, ग्रेस मार्क्स वाले 813 बच्चों ने दोबारा परीक्षा दी है. इसके पीछे छात्रोें के अंदर स्कोर कार्ड ने नंबर कम होने का डर है या एनटीए ने भरोसा उठना? जैसे कई कारण हो सकते हैं. आइए जानते हैं संख्या कम होने पर एक्सपर्ट की क्या राय है.

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NEET UG Grace Marks Students Re-exam (Representational Image)
NEET UG Grace Marks Students Re-exam (Representational Image)

मेडिकल फील्ड में अपना भविष्य बनाने के लिए छात्र नीट जैसे टफ एग्जाम की तैयारी करते हैं. इस बार हुए नीट एग्जाम के नतीजे सामने आने के बाद से ही छात्र नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) से काफी नाराज हैं. 23 जून को जब नीट का री-एग्जाम हुआ तो सेंटर में छात्रों की कम संख्या ने सभी को हैरान किया. कई सेंटर ऐसे भी रहे जहां अभ्यर्थियों की संख्या बिल्कुल ही कम रही. चंडीगढ़ में बने सेंटर पर दो अभ्यर्थियों को परीक्षा देनी थी, लेकिन दोनों ही इस परीक्षा देने नहीं पहुंचे.

1563 में से 813 बच्चे हुए शामिल 

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अधिकारि‍यों ने बताया कि 1,563 उम्मीदवारों में से 813 ने नीट यूजी की परीक्षा दोबारा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सात केंद्रों पर परीक्षा हुई. इसमें सिर्फ 48 प्रतिशत कैंडिडेट्स ही एग्जाम देने पहुंचे थे. परीक्षा में छात्रों के शामिल ना होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. एक तो यह कि आए दिन नीट पेपर लीक को लेकर हो रहे खुलासे छात्रों को परेशान कर रहे हैं. ऐसे में छात्रों का यह मानना हो सकता है कि शायद नीट की परीक्षा को रद्द कर दिया जाए. हालांकि, इसपर अभी तक कोर्ट का फाइनल का फैसला नहीं आया है.

शिक्षाविद अमित कुमार निरंजन ने छात्रों की संख्या कम होने के पीछे कई वजह बताई हैं. उन्होंने आजतक से कहा कि 'दोबारा नीट की परीक्षा में लगभग 50 प्रतिशत अभ्यर्थी ही शामिल हुए, इसके पीछे कई प्रश्न उठते हैं. पहला तो यह कि क्या उन छात्रों को यह पूरा यकीन है कि हमारे अनुपस्थित होने से लीगल एक्शन कमेटी इस बात को ध्यान में रखेगी और एक और नए मुद्दे को जन्म मिलेगा कि जब आधे से कम बच्चों ने दोबारा नीट एग्जामिनेशन को नहीं दिया है तो सरकार आधे से ज्यादा काम बच्चों के भविष्य से खेल नहीं सकती और कहीं ना कहीं बोर्ड एग्जाम की जगह नीट को कैंसिल करके एक दोबारा न्यू एग्जाम को कंडक्ट करवा सकती है.

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री-एग्जाम में कब नंबर आने का डर
 
इसके पीछे एक और कारण यह है कि इन बच्चों को खुद यकीन नहीं था कि यह ग्रेस मार्क्स की कैटेगरी में आएंगे और अगर आएंगे भी तो यह इन्हें इतने ज्यादा नंबर मिलेंगे? बच्चों को यह भी लग रहा है कि अगर री-एग्जाम में हम नंबर नहीं लेकर आए तो कहीं सवाल हमारे ऊपर ही खड़े ना हो जाए, क्योंकि पहले ग्रेस मार्क्स के दम पर 720 नंबर लाना और अब उसके करीब भी ना पहुंच पाना, यह उन बच्चों का प्रश्न उठा देता जिनको पूरी तरीके से यकीन था कि 720 नंबर नहीं आ सकते है. 

अगले साल दोबारा नये सिरे से परीक्षा दे सकते हैं छात्र

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सख्त निर्देश होने के बावजूद परीक्षाओं को दोबारा कंडक्ट करवाया गया और इस बात का ध्यान दिया गया कि जो गड़बड़ी पहले हुई थी वह गड़बड़ी न हो तो एक्स्ट्रा गैर एग्जामिनेशन पॉलिसी जो सुप्रीम कोर्ट ने आदेशित की है, उसका भी एक बहुत बड़ा प्रभाव है. बच्चों के मन में यह भी है कि इस साल भी एग्जामिनेशन ना देकर वे अगले साल एग्जाम दें ताकि अपने रिजल्ट में सुधार कर सकें.

क्या छात्रों का सता रहा पकड़े जाने का डर?

एक्सपर्ट कहते हैं कि इस स्थिति से एक और शंका पैदा होती है कि क्या सच में बड़ी संख्या में बच्चे किसी ऐसे गिरोह के कांटेक्ट में थे जो अभी से नहीं पिछले कई वर्षों से इस तरीके के एग्जामिनेशन को कंडक्ट करवाते हैं. क्या यह भी एक डर है कि इस बार जो नया नकल अध्यादेश जारी किया गया है, जिसमें एक करोड़ तक का जुर्माना और आजीवन उम्र कैद का प्रावधान रखा गया है, उसमें कहीं ये छात्र ना फंस जाए. 

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