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ऑनलाइन होगी 20% पढ़ाई? जानिए DU के इस प्लान का क्यों हो रहा विरोध

दिल्ली यूनिवर्सिटी अपने 20% कोर्स को Swayam पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन कर सकती है. इस प्रस्ताव के अनुसार कॉलेज में पढ़ाए जाने वाले एक सेमेस्टर का 20 प्रतिशत कोर्स ऑनलाइन उपलब्ध करवाया जाएगा. यूनिवर्सिटी का कहना है कि इससे टीचिंग-लर्निंग प्रक्रिया में सुधार होगा और छात्र-छात्राओं को इससे लाभ मिलेगा.

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दिल्ली यूनिवर्सिटी
दिल्ली यूनिवर्सिटी

दिल्ली यूनिवर्सिटी 20 फीसदी कोर्स की पढ़ाई ऑनलाइन मोड में करवाने पर विचार कर रही है.  एकेडमिक काउंसिल आज, 30 नवंबर को इस प्रस्ताव पर हाई लेवल मीटिंग करने जा रही है. अगर यह प्रस्ताव पास होता है तो डीयू के कॉलेजों में पढ़ रहे स्टूडेंट्स की 80 प्रतिशत कोर्स की क्लासेस फिजिकल मोड में होंगी, जबकि 20 प्रतिशत कोर्स ऑनलाइन मोड में पढ़ने का मौका मिलेगा. वहीं दूसरी ओर लागू होने से पहले ही इसका विरोध भी हो रहा है.

क्या है दिल्ली यूनिवर्सिटी का प्लान?
दरअसल, दिल्ली यूनिवर्सिटी अपने 20% कोर्स को Swayam पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन कर सकती है. इस प्रस्ताव के अनुसार कॉलेज में पढ़ाए जाने वाले एक सेमेस्टर का 20 प्रतिशत कोर्स ऑनलाइन उपलब्ध करवाया जाएगा. यूनिवर्सिटी का कहना है कि इससे टीचिंग-लर्निंग प्रक्रिया में सुधार होगा और छात्र-छात्राओं को इससे लाभ मिलेगा. ये प्रस्ताव नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के तहत है, जिसका लक्ष्य साल 2035 तक स्वयं प्लेटफॉर्म के माध्यम से उच्च शिक्षा में 50% सकल नामांकन अनुपात (GRE) हासिल करना है.

इस साल की शुरुआत में, यूनिवर्सिटी के कॉमर्स डिपार्टमेंट ने टीचर्स द्वारा बनाए गए MOOCs को लागू करने और यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम के आधार पर अपना कोर्स बनाने की इच्छा जाहिर की थी. फरवरी में डिपार्टमेंटल काउंसिल की मीटिंग में MOOCs के टाइटल, कोर्स कॉर्डिनेटर, क्रेडिट और उसकी जानकारी के संबंध में चर्चा हुई थी. वर्तमान में, दिल्ली यूनिवर्सिटी स्वयं के माध्यम से MOOCs उपलब्ध नहीं कराती है. ये एक सरकारी ऑनलाइन पोर्टल है, जो फ्री में स्टूडेंट्स को ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध करवाता है.

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ऑनलाइन कोर्स का विरोध क्यों?
जहां डीयू 20 प्रतिशत कोर्स ऑनलाइन करने पर जोर दे रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका विरोध भी किया जा रहा है. इस पूरे मामले पर जीसस मेरी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर माया जॉन का कहना है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस फैसले से एकेडमिक काउंसिल के कई सदस्य खुश नहीं हैं क्योंकि उनका मानना है कि 20 प्रतिशत कोर्स ऑनलाइन करने से टीचर्स का रोजगार खतरे में पड़ जाएगा. 
उन्होंने कहा कि एकेडमिक काउंसिल के करीब 90% सदस्य इस फैसले का विरोध करेंगे क्योंकि ये स्टूडेंट्स और टीचर्स दोनों के लिए गलत साबित होगा. छात्रों के लिए क्लासरूम टीचिंग बहुत जरूरी है तो वहीं स्वयं पोर्टल पर होने वाली ऑनलाइन पढ़ाई से टीचर्स का रोजगार भी प्रभावित होगा. 

बता दें कि जून 2019 में एकेडमिक काउंसिल ने यूजीसी (SWYAM के माध्यम से ऑनलाइन लर्निंग कोर्स के लिए क्रेडिट फ्रेमवर्क) रेगुलेशन 2016 को अपनाने के लिए एग्जिक्यूटिव काउंसिल की मंजूरी मांगी थी. 

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