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कैसे 'प्लान-K' में मार खाने के बाद 'प्लान-J' पर काम कर रहे हैं आतंकी? अब ये है नया टारगेट

Terrorist Attacks in Jammu: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकवादियों के साथ हुए एनकाउंटर में एक अधिकारी समेत 5 जवान शहीद हो गए हैं. आतंकियों की ओर से पिछले कुछ कुछ दिनों में जम्मू रिजन को निशाना बनाया जा रहा है.

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एक महीने में जम्मू रिजन में 9 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं
एक महीने में जम्मू रिजन में 9 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं

हाल के दिनों में जम्मू क्षेत्र में कई बार आंतकियों ने सेना के जवानों को निशाना बनाया है. खास बात ये है कि पिछले कुछ दिनों में हुईं आतंकी घटनाएं ज्यादातर जम्मू क्षेत्र में हो रही हैं और अलग-अलग आतंकी संगठन इन घटनाओं की जिम्मेदारी ले रहे हैं. माना जा रहा है कि कश्मीर में मार खाने के बाद अब आतंकी संगठन जम्मू क्षेत्र को ज्यादा टारगेट कर रहे हैं. ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे आतंकी संगठन किस तरह अपना पता बदल रहा है...

जम्मू में किस तरह बढ़ रहा आतंकवाद?

सबसे पहले आपको आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि आखिर किस तरह से आतंकी दहशत के लिए जम्मू को नया ठिकाना बना रहे हैं. दरअसल, पिछले कुछ महीने में जम्मू रिजन में कई आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं. वहीं, साल 2023 में 43 आतंकी घटनाएं कश्मीर से अलग जम्मू में हो चुकी है. वहीं, आतंकी घटनाओं में पिछले 3 साल में करीब 43 जवान शहीद हो चुके हैं और 3 साल में 23 नागरिक भी मारे जा चुके हैं. ये बताता है कि किस तरह से अब आतंकियों के पैर जम्मू की तरफ बढ़ रहे हैं. 

कब से हुई शुरुआत?

अगर जम्मू रिजन में बढ़ते आतंकवाद की बात करें तो कुछ सालों से यहां शांति मानी जा रही थी और कुछ छोटी-मोटी घटनाओं के अलावा बड़ी घटनाओं की संख्या काफी कम थीं. जिस जम्मू क्षेत्र से 20 साल पहले आतंकवाद को उखा़ड़ फेंक दिया गया था, वहां अब फिर उन्होंने नापाक इरादों के पौधे बौना शुरू कर दिए हैं. ये शुरुआत मानी जाती है साल 2021 से. दरअसल साल 2021 में एक साथ कई हमले हुए, जिनके बाद ये अंदेशा होने लगा था कि अब आतंकियों का टारगेट जम्मू की तरफ है. 

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घाटी से 370 हटने के बाद कश्मीर में आतंक का खास ध्यान रखा गया और जम्मू में ये एक्टिव हो गए. 11 अक्टूबर 2021 को लंबे वक्त बाद पुंछ में आतंकी और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हुई और इसमें  5 सैनिक शहीद हो गए. इसके बाद 16 अक्टूबर को भट्ठा दुर्रियन के जंगलों में मुठभेड़ होती है और 6 जवान शहीद हो जाते हैं. इसके बाद इसी साल 30 अक्टूबर को राजौरी के नौशेरा में आतंकी घटना को अंजाम दिया गया. इसके बाद ये सिलसिला लगातार चलने लगा और जम्मू में कई आतंकी घटनाएं को अंजाम दिया गया. 

कब-कब हुईं आतंकी घटनाएं?

- 11 अगस्त 2022 को राजौरी के दरहाल में हुए घटना में  5 जवान शहीद हो गए.  
- 20 अप्रैल 2023 को मेंढर में हमला हुआ और इसमें 5 जवान शहीद हो गए. 
- 5 मई 2023 को कांडी में हुए एक ब्लास्ट 5 पैराकमांडो जवान शहीद हो गए. 
- 22 नवंबर 2023 में राजौरी के धर्मशाल में आतंकी घटना में 5 जवान शहीद हो गए.
- 21 दिसंबर 2023 को पुंछ में आतंकी हमले में 1 जवान शहीद. 
- 28 अप्रैल 2024 को उधमपुर में आतंकी हमला हुआ, जिसमें 1 जवान शहीद.
- 4 मई 2024 को पुंछ में सुरनकोट में एक घटना में 1 अधिकारी शहीद हो गए.
- 9 जून को वैष्णो देवी के पास यात्रियों की बस पर हमला हुआ. 
- 11 जून 2024 को कठुआ में मुठभेड़ में 1 जवान शहीद. 
- 12 जून को डोडा में सेना के अस्थायी ऑपरेटिंग बेस पर हमला, दो जवान घायल
- 26 डोडा में तीन आतंकियों मार गिराया और एनकाउंटर में 1 जवान शहीद
- 8 जुलाई 2024 को कठुआ में आतंकी हमला हुआ, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए और 8 जुलाई को भी फायरिंग की खबरें आईं. 

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जम्मू में क्यों बढ़ रहे हैं हमले?

1. घाटी से 370 हटने के बाद कश्मीर में आतंक का खास ध्यान रखा गया और जम्मू में ये एक्टिव हो गए- एक तो अहम वजह ये मानी जा रही है कि कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सख्ती होने बाद अब जम्मू को टारगेट बनाया जा रहा है.  

2. यहां फैले ओवर ग्राउंड वर्कर की वजह से आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि जम्मू क्षेत्र में अब ओवर ग्राउंड वर्कर, स्लिपर सेल की संख्या बढ़ रही है, जो आतंकियो की मदद करते हैं. ओवर ग्राउंड वर्कर एक तरह से आतंकियों की मदद करते हैं, उन्हें रियल टाइम इंटेलिजेंस देते हैं, उनके रहने और खाने पीने की व्यवस्था करते हैं.  2023 में आई एक रिपोर्ट बताती है कि हंदवाड़ा में 496, कुपवाड़ा में 32, बारामूला में 26, रियासी में 182, डोडा में 74, कुठआ में 135, किश्तवाड़ में 135, राजौरी में 80 ओवर ग्राउंड वर्कर एक्टिव हैं.

3. पहाड़ी इलाके होने की वजह से भी आतंकियों को काफी मदद मिल रही है. ओवर ग्राउंड वर्कर साथ होने और पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से ये घटना को अंजाम देते हैं. 

4. जम्मू से पुंछ रजौरी तक सीमावर्ती इलाका है और आगे अखनूर तक इंटरनेशनल बॉर्डर है. इंटरनेशनल बॉर्डर से आगे एलओसी है. एलओसी में कड़ी सुरक्षा होने के बाद अब  इंटरनेशनल बॉर्डर का भी सहारा लेकर आतंकी जम्मू क्षेत्र में बढ़ते जा रहे हैं.

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5. जम्मू रीजन से काफी सुरक्षा बल हटाकर चीनी सीमा पर तैनात किया गया है. जबकि इसके तुलना में कश्मीर घाटी में काफी संख्या में सुरक्षा बल तैनात है. जम्मू का बड़ा इलाका भी इंटरनेशनल बॉर्डर के पास है तो यहां से भी घुसपैठ आसान है.आतंकी इसी बात का फायदा उठा रहे हैं. 

6. जम्मू के डोडा इलाके में बहुत घना जंगल और छिपने के स्थान हैं. आतंकी इसी का फायदा उठा रहे हैं. वारदात करके घने जंगलों में छिप जाते हैं.

7. पाकिस्तानी एजेंसी ISI दुनिया को यह मैसेज देना चाहते हैं कि पूरे जम्मू-कश्मीर रीजन में ही भारत के खिलाफ असंतोष है. इसीलिए वे आतंकी गुटों के नाम भी बदल-बदल कर रख रहे हैं ताकि उनका कनेक्शन पाकिस्तान से साबित नहीं किया जा सके. 

8. जम्मू रीजन में भी आतंकी हिन्दू गांवों, तीर्थ यात्रियों, सेना को निशाना बना रहे हैं. ताकि यहां भी उसी तरह की दहशत फैलाई जा सके.  जैसी 90 के दशक में कश्मीर घाटी में फैलाई गई है. जिसकी बड़ी संख्या में हिन्दुओं का पलायन हुआ था.

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