आज भारत एक ओर इतिहास रचने जा रहा है. दरअसल, भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना होने वाले हैं. इससे पहले साल 1984 में ऐसा ऐतिहासिक पल आया था, जब कोई भारतीय अंतरिक्ष के लिए जा रहा था और ये वक्त था जब राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जा रहे थे. आज फिर ये ऐतिहासिक पल बनने जा रहा है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर जब 1984 में ऐसा गौरवशाली पल आया था, उस वक्त भारत में क्या माहौल था और किस तरह राकेश शर्मा इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवा रहे थे.
राकेश शर्मा के साथ था रवीश मल्होत्रा का नाम
साल 1984 में इंडिया टुडे के अप्रैल अंक में उस दौर में भारत के माहौल और राकेश शर्मा के मिशन पर विस्तृत जानकारी दी गई थी. उस वक्त वायुसेना को स्पेस में जाने के लिए दो उम्मीदवार चुना जाना था और और शर्त ये थी कि वो लोग ऐसे होने चाहिए जो सुपरसोनिक लड़ाकू विमान को उड़ाने में माहिर हो.
इसके बाद 150 एयरफोर्स ऑफिसर को इसके लिए लिस्ट में रखा गया और उनके नामों पर चर्चा की गई. लंबे डिस्कशन के बाद 40 साल के विंग कमांडर रवीश मल्होत्रा और 35 साल की स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा को चुना गया. इस प्रोजेक्ट का नाम 'पवन' दिया गया था.
- रवीश मल्होत्रा का जन्म लाहौर में हुआ था और उन्होंने कोलकाता में पढ़ाई की थी. उन्हें 3400 विमान उड़ाने का अनुभव था.
- राकेश शर्मा ने हैदराबाद में पढ़ाई की थी और उनके पास 1600 घंटे की उड़ान भरने का अनुभव था. साथ ही वे 1971 की जंग में शामिल हुए थे.
राकेश शर्मा का हुआ चयन
वैसे तो रवीश और राकेश की यूरी गागरिन ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग हुई. फिर एक दिन ये फैसला हुआ कि रवीश और राकेश में से राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. ये पहले से तय था कि किसी एक को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और दो लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी. इस वक्त राकेश शर्मा के साथ सोवियत के यूरी मालिशेव और गेन्नेडी स्ट्रेकालोव भी अंतरिक्ष में गए थे. फिर वक्त आया अंतरिक्ष यात्रा का और 3 अप्रैल 1984 को कजाकिस्तान जाने से पहले तिलक लगाकर विदा किया गया.

3 अप्रैल को रवाना हुए
उस वक्त राकेश शर्मा 2000 किलोमीटर दूर से अंतरिक्ष के लिए विदा हो रहे थे और यहां भारत में लोग टीवी पर निगाहें लगाकर बैठे थे. ये आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस वक्त कम लोग के पास टीवी था और वहां किस तरह भीड़ में लोग टीवी देख रहे होंगे. यहां लोगों ने टीवी में देखा कि राकेश शर्मा एक बार स्पेस सूट में दिखे और सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान में रवाना हो गए.
वीडियो में दिख रहा था कि कुछ ही सेकंड में उनका विमान हवा में गायब हो गया और पीछे सिर्फ धुआं दिखाई दी. इसके साथ ही राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले दुनिया के 138वें और भारत के पहले व्यक्ति बन चुके थे. उन्होंने दो सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ सैल्यूट 7 ऑर्बिटल स्टेशन पर 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए.
देश में क्या माहौल था?
उस दौरान राकेश शर्मा ऑर्बिटल स्टेशन में वीडियो रिकॉर्ड करते थे और स्टेशन के बारे में बताते थे. फिर इन वीडियो यहां प्रसारित किया जाता था. वे साधारण भाषा में ऑर्बिटल स्टेशन के बारे में बताते थे. वे खाने और सोने के बारे में बताते थे. हर रंग के कपड़ों में राकेश वीडियो भेजते थे और कई बार बातों ही बातों में चुटकुले भी कहते थे. उन्होंने ही भारतीयों को बताया था कि पेस्ट के रूप में खाना खाया जाता है. उनके लिए मैसूर में डिफेन्स फूड रिसर्च लेबोरेटरी में बना खाना साथ भेजा गया था, जिसमें हलवा, छोले आदि भी थे. ये खाना सिलोफ़न पेपर में लिपटा हुआ था.
राकेश शर्मा ने स्पेस में क्या किया?
उस दौरान राकेश शर्मा ने अपने प्रयोगों के साथ कई तस्वीरें लीं. उन्होंने देश के 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र की तस्वीरें खींचीं. उस दौरान उन्होंने म्यांमार में 30 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैली जंगल की आग देखी और सूचना मिशन नियंत्रण केंद्र को इसका जानकारी भी दी.
इसकी विस्तृत रिपोर्ट आप इंडिया टुडे की वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं. इस लिंक को यहां री-राइट किया गया है.