
दिल्ली-NCR की पहली बारिश मुसीबत बन गई. शुक्रवार सुबह जब लोग अपने घरों से निकले तो जलमग्न सड़कें देखकर दंग रह गए. कुछ घंटों की बारिश ने दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोल दी. कई इलाकों के अंडरपास में भरा पानी डराने वाला है. मिंटो रोड पर बारिश का पानी जमा होने से एक कार लगभग पूरी तरह डूब गई है. जलभराव की वजह ट्रैफिक जाम ने लोगों की मुसिबत और बढ़ा दी. बारिश की कारण इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 में छत का एक हिस्सा गिर गया जिसकी चपेट में आने से कई कारें दब गई, 7 लोग घायल और एक व्यक्ति की मौत हो गई. इस आफत के बीच दिल्ली को भारत के उन शहरों से सीखने की जरूरत है जहां लोगों के पास बारिश की केवल अच्छी यादें हैं. वो किस तरह का टाउन प्लानिंग फॉलो कर रहे हैं जहां ड्रेनेज सिस्टम (Drainage system) और जबरदस्त पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम (public transport system) की बदौलत इस तरह की परेशानी नहीं होती.
गांधीनगर
गांधीनगर गुजरात की राजधानी है और इसे भारत के सबसे योजनाबद्ध शहरों में से एक माना जाता है. इसका टाउन प्लानिंग 1960 के दशक में किया गया था . शहर में चौड़ी सड़कें, पर्याप्त पार्किंग और कुशल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है, जिसके कारण ट्रैफिक जाम की समस्या कम होती है. इसके अलावा, शहर में अच्छी जल निकासी व्यवस्था है, जिसके कारण ट्रैफिक जाम और जलभराव की समस्याएं कम हैं.
चंडीगढ़
चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी है और इसे स्वतंत्र भारत का पहला नियोजित शहर माना जाता है. इसका टाउन प्लानिंग फ्रांसीसी-स्विस वास्तुकार Le Corbusier द्वारा डिजाइन किया गया था और इसे भारत के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक माना जाता है. शहर में चौड़ी सड़कें, हरे-भरे पेड़ और कुशल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है, जिसके कारण ट्रैफिक जाम की समस्या कम होती है. इसके अलावा, शहर में अच्छी जल निकासी व्यवस्था है, जिसके कारण जलभराव की समस्या बहुत कम देखने को मिलती है.

पुणे
यह महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और इसे भारत के सबसे रहने योग्य शहरों में से एक माना जाता है. शहर में चौड़ी सड़कें, पर्याप्त हरित क्षेत्र, अच्छी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और मेट्रो रेल है, जिसके कारण पुणे में ट्रैफिक जाम की समस्या कम होती है. इसके अलावा, शहर में अच्छी जल निकासी व्यवस्था है, जिसके कारण जलभराव की समस्या नहीं होती है.
नवी मुंबई
नवी मुंबई को भारत का सबसे योजनाबद्ध शहर माना जाता है. इसका टाउन प्लानिंग 1970 के दशक में किया गया था और इसमें व्यापक सड़कें, कुशल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और पर्याप्त हरित क्षेत्र शामिल हैं. इस वजह से, नवी मुंबई में ट्रैफिक जाम और जलभराव की समस्याएं बहुत कम देखने को मिलती है.
कोच्चि
इस शहर टाउन प्लानिंग काफी अच्छी मानी जाती है. बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बदौलत यहां ट्रैफिक जाम की समस्या कभी-कभी देखने को मिलती है. इसके अलावा, शहर में अच्छी जल निकासी व्यवस्था है, जिसके कारण जलभराव की समस्या नहीं होती है.

तिरुवनंतपुरम
तिरुवनंतपुरम केरल की राजधानी है और इसे भारत के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक माना जाता है. शहर में अच्छी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जिसमें बस और फेरी शामिल हैं, जिसके कारण ट्रैफिक जाम की समस्या कम होती है. इसके अलावा, शहर में अच्छी जल निकासी व्यवस्था है, जिसके कारण जलभराव की समस्या नहीं होती है.
यह अलग बात है कि किसी शहर की टाउन प्लानिंग का सफल या फेल होना उस शहर के क्षेत्रफल और जनसंख्या पर भी निर्भर करता है. दिल्ली के मुकाबले बेस्ट टाउन प्लानिंग वाले शहरों की जनसंख्या बहुत कम है. शायद इस वजह से भी इन शहरों के मुकाबले दिल्ली में ज्यादा समस्याएं हैं. यहां देखें लिस्ट-
| शहर | अनुमानित जनसंख्या (2024) | अनुमानित क्षेत्रफल (किमी²) |
| दिल्ली | 2.30 करोड़ | 1483 km2 |
| गांधीनगर | 13.91 लाख | 2140 km2 |
| चंडीगढ़ | 13.64 लाख | 114 km2 |
| पुणे | 44.36 लाख | 484.61 km2 |
| नवी मुंबई | 13 लाख | 344 km2 |
| कोच्चि | 10 लाख | 94.88 km2 |
| तिरुवनंतपुरम | 30 लाख | 2,192 km2 |
रिकॉर्डतोड़ बारिश के साथ मॉनसून की एंट्री
बता दें कि दिल्ली में मॉनसून आमतौर पर 30 जून को आता है. भारी बारिश के साथ दिल्ली में इस बार मॉनसून का आगाज हुआ है. जून के महीने में सफदरजंग में 24 घंटों में अब तक की सबसे अधिक बारिश 28 जून 1936 को 235.5 मिमी दर्ज की गई थी. इसके बाद आज, 28 जून 2024 को सफदरजंग में 228.1 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है. IMD का कहना है कि ये अब तक का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है. हालांकि, ये अभी शुरुआत है. दिल्ली को अभी ऐसी बारिश और देखने को मिलेगी.
इससे पहले 27 जून को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने उत्तरी अरब सागर और गुजरात राज्य के शेष हिस्सों तक अपनी पहुंच बढ़ा दी थी. इस मॉनसूनी प्रगति ने राजस्थान के अतिरिक्त हिस्सों और मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण हिस्सों में भी प्रवेश किया, जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ क्षेत्र और उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर-लद्दाख-गिलगित-बाल्टिस्तान-मुजफ्फराबाद के अधिकांश क्षेत्र प्रभावित हुए.