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PM Modi China Visit: चीन में रहते हैं इतने भारतीय... इन सेक्टर में करते हैं काम

भारत में मेडिकल सीटें कम और फीस ज्यादा है, इसलिए हर साल हज़ारों भारतीय स्टूडेंट्स चीन MBBS पढ़ने जाते हैं. यहां पढ़ाई सस्ती है और डिग्री को भारत और WHO मान्यता भी देता है. इसके अलावा इंजीनियरिंग और टेक्निकल कोर्स भी लोकप्रिय हैं. 

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मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन एक सस्ता विकल्प है, इसलिए हर साल हजारों छात्र चीन से MBBS करते हैं.  (PTI photo)
मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन एक सस्ता विकल्प है, इसलिए हर साल हजारों छात्र चीन से MBBS करते हैं. (PTI photo)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तिआनजिन पहुंचे हैं, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. आज पीएम की मुलाकात राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होने वाली है, यह मुलाकात 40 मिनट तक चलेगी. आपको बता दें कि करीब सात साल बाद पीएम मोदी चीन पहुंचे हैं और दस महीनों में शी जिनपिंग से दूसरी मुलाकात होगी. चीन में हर साल भारत  से हजारों लोग नौकरी और पढ़ाई के लिए जाते हैं. तो चलिए जानते हैं चीन में कितने भारतीय रहते हैं और सबसे ज्यादा किस सेक्टर में नौकरी करते है. 

क्या कहता है विदेश मंत्रालय  का डेटा
विदेश मंत्रालय के अनुसार, चीन में  अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indians (NRIs)) की संख्या 55500, भारतीय मूल के व्यक्ति (Persons of Indian Origin (PIOs)) की संख्या 550    और Overseas Indian (प्रवासी भारतीय ) की संख्या 56050 हैं. डेटा के अनुसार, कुल 56,050 भारतीय (जिसमें NRI और PIO शामिल हैं) चीन में रहते हैं. चीन में लगभग 45,000–56,000 भारतीय रहते हैं, जो मुख्यत छात्र, बिजनेसमैन और विभिन्न संगठनों और तकनीकी क्षेत्रों में काम करने वाले लोग हैं. कई भारतीय चीन की IT, मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेड कंपनियों में काम करते हैं. कुछ लोग यहां से भारत और बाकी देशों में बिजनेस भी करते हैं."

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सबसे ज्यादा किन सेक्टर में हैं भारतीय 

  • मेडिकल और अन्य छात्र
  • बिजनेसमैन
  • एमएनसी और भारतीय कंपनी
  • बैंक
  • आईटी और तकनीकी क्षेत्र

हर साल हज़ारों भारतीय चीन पढ़ाई, काम और बिजनेस के लिए जाते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं.

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सस्ती पढ़ाई (Education)
MBBS: भारत में मेडिकल सीटें कम और फीस ज्यादा है, चीन में सस्ती पढ़ाई और WHO/NMC मान्यता.
इंजीनियरिंग/टेक्निकल कोर्स: चीन की यूनिवर्सिटी रिसर्च और टेक्नोलॉजी में अच्छी मानी जाती हैं. चीन कई विदेशी स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप भी देता है.

नौकरी और काम (Jobs & Business)
कंपनियों में काम: IT, मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेड सेक्टर में भारतीय प्रोफेशनल्स.
बिज़नेस: चीन से भारत और अन्य देशों के लिए ट्रेड (इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, मशीनरी)
एंटरप्रेन्योरशिप: कुछ भारतीय अपना बिजनेस सेटअप भी करते हैं.

कम खर्च में कई सुविधाएं 
आपको बता दें कि यूरोप-अमेरिका की तुलना में चीन सस्ता है. भारत-चीन पड़ोसी हैं, इसलिए यात्रा करना आसान है. ग्लोबल एक्सपोज़र की बात करें तो चीनी यूनिवर्सिटीज और कंपनियों में दुनिया भर के लोग काम/पढ़ाई करते हैं.  इसीलिए हर साल हज़ारों भारतीय पढ़ाई, करियर और बेहतर मौक़ों की तलाश में चीन जाते हैं. 

भारतीय छात्र चीन में मेडिकल क्यों पढ़ते हैं?
आपको बता दें कि हर साल हजारों छात्र अपने मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन जाते हैं. चीन जाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वहां कम फीस  (Affordable Fees) में मेडिकल की पढ़ाई हो जाती है.  भारत की प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस बहुत ज्यादा होती है करीब 50 लाख–1 करोड़ तक. लेकिन वहीं, चीन की बात करें तो चीन में MBBS की कुल फीस और रहने का खर्च मिलाकर लगभग 20–30 लाख तक होता है. 

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सीट्स की कमी (Limited Seats in India)
भारत में हर साल लाखों छात्र NEET पास करते हैं, लेकिन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बहुत कम होती हैं. प्राइवेट कॉलेज महंगे हैं, इसलिए स्टूडेंट्स चीन जैसे विकल्प चुनते हैं इसके सथ ही चीन की कई यूनिवर्सिटी WHO, MCI (अब NMC), USMLE, PLAB आदि द्वारा मान्यता प्राप्त हैं. MBBS पूरा करने के बाद भारत लौटकर NMC Screening (FMGE/NEXT) पास करके डॉक्टरी कर सकते हैं. चीन में स्टूडेंट्स को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और एक्सपोजर मिलता है.  चीन में मेडिकल कॉलेजों के हॉस्पिटल बड़े और आधुनिक होते हैं, जहां स्टूडेंट्स को काफी मरीज और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मिलती है.

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