29 नवंबर 1947 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संयुक्त राष्ट्र विभाजन योजना (Resolution 181) संकल्प 181 पारित किया. जिसे फिलिस्तीन विभाजन योजना के नाम से जाना जाता है. इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के अंत के बाद फिलिस्तीन में यहूदी और अरब समुदायों के बीच विवाद को हल करना था.
अरबों के प्रबल विरोध के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो भागों में विभाजित करने के लिए वोट कराए. इसके तहत एक स्वतंत्र यहूदी राज्य और एक स्वतंत्र अरब राज्य बना. वहीं यरुशलम को एक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र घोषित करने की बात कही गई, जो संयुक्त राष्ट्र के नियंत्रण में रहता.
33 देशों ने विभाजन के पक्ष में डाला वोट
उस वक्त संयुक्त राष्ट्र में कुल 56 देश सदस्य थे. इनमें से फिलिस्तीन के पक्ष में 33 देशों ने मतदान किया. वहीं विरोध में 13 वोट दिये गए. 10 देश ऐसे थे, जिन्होंने वोट ही नहीं किया.फिलिस्तीन के दो हिस्सों में यहूदी राज्य (55% क्षेत्र) और अरब राज्य (45% क्षेत्र) में बंटा. इसके बाद 14 मई 1948 को, यहूदी नेताओं ने इज़राइल के स्वतंत्र राज्य की घोषणा की.
1910 में यहूदियों और अरबों का संघर्ष हो गया था शुरू
फिलिस्तीन में यहूदियों और अरबों के बीच आधुनिक संघर्ष 1910 के दशक से शुरू हुआ, जब दोनों समूहों ने ब्रिटिश-नियंत्रित क्षेत्र पर दावा किया था. यूरोप और रूस से हाल ही में आए प्रवासी जो यहूदियों की प्राचीन मातृभूमि में यहूदी राष्ट्रीय राज्य की स्थापना के लिए आए थे. मूल फिलिस्तीनी अरबों ने यहूदी आप्रवासन को रोकने और एक धर्मनिरपेक्ष फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना करने की मांग की.
1929 में अरबों और यहूदियों की खुलेआम होने लगी झड़प
1929 की शुरुआत में अरब और यहूदी खुलेआम फिलिस्तीन में लड़ने लगे. ब्रिटेन ने अरबों को खुश करने के साधन के रूप में यहूदी आप्रवासन को सीमित करने का प्रयास किया. यूरोप में होलोकॉस्ट के परिणामस्वरूप, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कई यहूदी अवैध रूप से फिलिस्तीन में प्रवेश कर गए. कट्टरपंथी यहूदी समूहों ने फिलिस्तीन में ब्रिटिश सेना के खिलाफ गुरिल्ला रणनीति अपनाई, जिसके बारे में उनका मानना था कि उसने सियोनिज्म के साथ विश्वासघात किया है.
द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में, 1945 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने सियोनिज्म को अपनाया. वहीं ब्रिटेन इसका एक व्यावहारिक समाधान खोजने में असमर्थ था. उसने इस समस्या को संयुक्त राष्ट्र को भेज दिया. जिसने 29 नवंबर, 1947 को फिलिस्तीन के विभाजन के लिए प्रस्ताव पारित किया.
आधे से ज्यादा फिलिस्तीन पर था यहूदियों का कब्जा, जो बाद में बना इजरायल
यहूदियों को फिलिस्तीन के आधे से ज्यादा हिस्से पर कब्जा करना था. हालांकि वे फिलिस्तीन की आबादी के आधे से भी कम थे. फिलिस्तीनी अरबों ने दूसरे देशों के की मदद से यहूदियों से लड़ाई लड़ी, लेकिन यहूदियों ने फिलिस्तीन के अपने संयुक्त राष्ट्र द्वारा आवंटित हिस्से और कुछ अरब क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण हासिल कर लिया.
ऐसे स्वतंत्र राज्य बना इजरायल
14 मई 1948 को, ब्रिटेन अपने जनादेश की समाप्ति के साथ वापस चला गया और यहूदी एजेंसी के अध्यक्ष डेविड बेन-गुरियन ने इजराइल राज्य की घोषणा की. अगले दिन, मिस्र, ट्रांसजॉर्डन (जिसे अब जॉर्डन के नाम से जाना जाता है), सीरिया, लेबनान और इराक की सेनाओं ने इजरायल पर आक्रमण कर दिया. इस युद्ध में इजरायल ने अपने प्रस्तावित क्षेत्र से भी अधिक भूमि पर कब्जा कर लिया.
1948 के युद्ध के बाद एक बड़े क्षेत्र पर इजरायल ने कर लिया कब्जा
इजरायलियों ने अरबों से लड़ने में कामयाबी हासिल की और फिर गैलिली, फिलिस्तीनी तट और तटीय क्षेत्र को यरुशलम के पश्चिमी भाग से जोड़ने वाले क्षेत्र की एक पट्टी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया. 1949 में, संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए युद्ध विराम ने इजरायल राज्य को उन विजित क्षेत्रों पर स्थायी नियंत्रण दे दिया. युद्ध के दौरान इजरायल से सैकड़ों हजारों फिलिस्तीनी अरबों के चले जाने से देश में यहूदी बहुसंख्यक रह गए.
फिलिस्तीन का अतीत
फिलिस्तीन 16वीं सदी से ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा था. यह क्षेत्र यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धर्मों के लिए धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है. यहूदी समुदाय, जो दुनिया भर में फैला हुआ था, 19वीं सदी में 'सियोनिज़्म' नामक आंदोलन के तहत फिलिस्तीन में लौटने की मांग करने लगा. यह आंदोलन यहूदियों के लिए एक स्वतंत्र राज्य बनाने का उद्देश्य रखता था.
ब्रिटेन के अंदर था फिलिस्तीन
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ओटोमन साम्राज्य का पतन हो गया. 1917 में ब्रिटेन ने बालफोर डिक्लेरेशन जारी किया. इसमें यहूदियों के लिए फिलिस्तीन में एक राष्ट्रीय घर बनाने का समर्थन किया गया. 1920 में लीग ऑफ नेशंस ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन पर शासन करने का अधिकार दिया. इसे 'ब्रिटिश मैंडेट' कहा गया.
फिलिस्तीन में यहूदियों के बसने से अरब में पनपा आक्रोश
इस दौरान, यहूदी और अरब दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ा क्योंकि यहूदी प्रवासन तेजी से बढ़ रहा था. द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) और होलोकॉस्ट के दौरान लाखों यहूदियों की हत्या के बाद, फिलिस्तीन में यहूदियों का प्रवासन और बढ़ गया. अरब समुदायों ने इसका विरोध किया, और दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़पें होने लगीं.
यह भी पढ़ें: 4 नवंबर: आज के दिन ही इजरायल के प्रधानमंत्री की हत्या हुई थी, यहूदी छात्र ने मारी थी गोली
अंतत: संयुक्त राज्य ने कर दिया फिलिस्तीन का विभाजन
ब्रिटेन ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) से मदद मांगी. 29 नवंबर 1947 में, संयुक्त राष्ट्र ने संयुक्त राष्ट्र विभाजन योजना (Resolution 181) प्रस्तावित की. इसके तहत फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांटने का सुझाव दिया गया. इजरायल ने ये विभाजन स्वीकार कर लिया, लेकिन अरब ने इसे नहीं माना.
यह भी पढ़ें: जब इजरायल पर मिस्र और सीरिया ने एक साथ कर दिया हमला, जानें क्या था योम किप्पुर युद्ध
प्रमुख घटनाएं
29 नवंबर 1775 अमेरिकी क्रांति के दौरान सर जेम्स राइट और उनकी स्थानीय मिलिशिया ने सवाना, जॉर्जिया को ब्रिटिश नियंत्रण में ले लिया.
29 नवंबर 1830: पोलैंड में नवंबर विद्रोह की शुरुआत हुई, जिसमें रूस के खिलाफ आजादी के लिए संघर्ष हुआ.
29 नवंबर 1877 थॉमस एडीसन ने पहली बार अपने आविष्कारित फोनोग्राफ का प्रदर्शन किया.