National Press Day 2022: 'खींचो न कमान, न तलवार निकालो जब तोप मुकाबिल हो तब अखबार निकालो.'- अकबर इलाहाबादी की ये मशहूर पक्तियां प्रेस की ताकत और महत्व को बताती हैं. आजादी से लेकर अब तक भारत में प्रेस की अहम भूमिक रही है. भारत में ब्रिटिश राज के दौरान क्रांतिकारियों का सबसे बड़ा हथियार प्रेस रहा. मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है. भारत में प्रेस को वॉच डॉग और भारतीय प्रेस परिषद को मोरल वॉच डॉग कहा जाता है. किसी भी देश में प्रेस की आजादी को उस देश के लोकतंत्र का आईना कहना गलत नहीं होगा. आइए जातने हैं राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) से जुड़ी बातें
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), एक वैधानिक और अर्ध-न्यायिक प्रतिष्ठान की स्थापना के उपलक्ष्य में देश भर में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है. भारतीय प्रेस परिषद ने इस दिन काम करना शुरू किया था. यह दिन भारत में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की उपस्थिति का प्रतीक है. विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पत्रकारों को समाज का आईना कहा जाता है, जो सच्चाई दिखाता है. यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता और समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारियों का प्रतीक है.
राष्ट्रीय प्रेस दिवस का इतिहास
साल 1956 में, प्रथम प्रेस आयोग ने पत्रकारिता की नैतिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए वैधानिक प्राधिकरण के साथ एक निकाय बनाने का निर्णय लिया. आयोग ने महसूस किया कि प्रेस के लोगों से जुड़ने और किसी भी मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए एक प्रबंध निकाय की जरूरत है.
1966 में, 16 नवंबर को, पीसीआई (Press Council of India) का गठन किया गया था और इसके बाद, परिषद की स्थापना के उपलक्ष्य में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, परिषद की अध्यक्षता परंपरागत रूप से सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और 28 अतिरिक्त सदस्य करते हैं, जिनमें से 20 भारत में संचालित मीडिया आउटलेट्स के सदस्य हैं. पांच सदस्यों को संसद के सदनों से नामित किया जाता है और शेष तीन सांस्कृतिक, कानूनी और साहित्यिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं.