आंध्र प्रदेश के कुरनूल में हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही प्राइवेट बस में बाइक से टकराने के बाद आग लग गई. देखते ही देखते पूरी बस आग के गोले में तब्दील हो गई और अंदर बैठे 20 लोग जल गए. मरने वाले इतनी बुरी तरह से जले हैं कि उनकी पहचान कर पानी भी मुश्किल है. इससे पहले 14 अक्टूबर को जैसलमेर में एक चलती बस में आग लग गई थी और इसमें भी 21 लोग ऐसे ही जलकर मर गए थे. ऐसे में सवाल उठता है कि बार-बार ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं.
आंध्र प्रदेश की घटना में सामने आया कि एक बाइक बस से टकराने के बाद उसके नीचे फंस गई और उसी वजह से आग लगी. कुरनूल रेंज के डीआईजी कोया प्रवीण ने बताया कि आग लगने के बाद शॉर्ट सर्किट की वजह से बस का दरवाजा बंद हो गया था. इसलिए लोग आग लगने के बाद बाहर नहीं निकल सके. जैसलमेर में भी जब बस में आग लगी थी तो बस का गेट जाम हो गया था और लोग अंदर ही फंस गए थे.
हर बार आग लगने पर जाम हो जाता है बस का गेट
हर बार आग लगने के बाद बस का गेट जाम हो जाता है और ये एक गैस चैंबर में बदल जाता है. ऐसे में बस कुछ ही सेकंड में अंदर बैठे लोगों के फेंफड़े झुलस जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है या फिर वे मौत के करीब पहुंच जाते हैं. आग लगने के बाद बस का गेट जाम होने असली वजह बस का इंटीरियर, वायरिंग और उसकी संरचना है.
आग के लिए मुफीद होता है बस का इंटीरियर
बस का इंटीरियर ऐसे किया जाता है कि इसकी सीटे और सीलिंग फोम और जल्द आग पकड़ने वाले रेक्सीन से बने होते हैं. इनके बीच ही तारों के जाल बिछे होते हैं. ऐसे में कोई भी इलेक्ट्रिक गड़बड़ी होने पर या शॉर्ट सर्किट जैसी स्थिति में छोटी सी चिंगारी भी बड़ी आग में बदल जाती है.
बसों के अंदर ज्यादा यात्रियों के बैठने की जगह बनाने के चक्कर में क्षमता से अधिक सीट बना दिये जाते हैं. इस वजह से आने-जाने का गलियारा संकरा हो जाता है. ऐसे में जब बस में आग लगती है तो अफरा-तफरी का माहौल बन जाता है और तारों के फैले जाल के कारण शॉर्ट सर्किट से अक्सर दरवाजे लॉक हो जाते हैं.
कैसे कुछ सेकंड में एक चिंगारी पूरे बस को जला देती है
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली अग्निशमन सेवा के एक अधिकारी ने बताया कि सिर्फ 30 सेकंड से भी कम समय में एक छोटी सी लौ पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो सकती है और बड़ी आग में बदल सकती है. पांच मिनट में कमरा इतना गर्म हो सकता है कि उसमें मौजूद हर चीज में एक साथ आग पकड़ ले.यह गर्मी कपड़ों को पिघला देती है जो लोगों की त्वचा में समा सकती है.
गैस चैंबर बन जाती जलती हुई बस
अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि जब बस में आग लगती है तो वहां का तापमान कुछ ही सेकंड में 100 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है. आंखों के स्तर पर 600 डिग्री सेल्सियस गर्मी पहुंच सकती है. ऐसे में बस के अंदर बेहद गर्म हवा बन जाती है. वहीं जब गेट लॉक हो जाता है तो बस एक गैस चैंबर की तरह बन जाता है. इसमें गर्म धुआं और गैस भर जाते हैं और ये साँस लेने से यात्रियों के फेफड़े तक पहुंचकर इन्हें झुलसा देते हैं.
बस में आग लगने की कई घटनाएं आ चुकी हैं सामने
हैदराबाद और जैसलमेर से पहले भी चलती बस में आग लगने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इसी साल मई में, बिहार से दिल्ली जा रही एक डबल-डेकर बस में लखनऊ के पास आग लग गई थी. इसमें दो बच्चों समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी. उस बस में 80 लोग सवार थे. इनमें से 20 लोग घायल हो गए थे.
बस में फटे हुए टैंक से ईंधन के रिसाव के कारण ऊपरी डेक में आग लग गई थी. आग लगने के बाद ऊपर से कूदने के चक्कर में कई लोग घायल हो गए थे और कुछ लोगों की नींद में ही जलकर मौत हो गई थी.
महाराष्ट्र में बस में आग लगने की दो घटना आ चुकी है सामने
वहीं जुलाई 2023 में, महाराष्ट्र के बुलढाणा के पास एक हाईवे पर टायर फटने से एक बस डिवाइडर से टकरा गई थी. इसके बाद बास एक आग के गोले में तब्दील हो गई. इस घटना में 25 लोगों की जान चली गई थी. टैंक में 500 लीटर डीजल था. इस वजह से आग तेजी से भड़ गई थी.
वहीं अक्टूबर 2022 में महाराष्ट्र के ही नासिक में एक बस में ट्रक से टक्कर के बाद आग लग गई थी. इसमें 12 लोगों की मौत हो गई थी. आग की वजह से बस का पिछला दरवाजा लॉक हो गया था और कई लोग अंदर ही फंसकर जल गए थे.