1947 में विभाजन के दौरान लाखों लोग विस्थापित हुए. परिवारों को अपना शहर, व्यवसाय, मित्र छोड़कर दूसरे देश में पलायन करना पड़ा. 72 लाख मुसलमान भारत से पाकिस्तान चले गए. ज्यादातर पंजाब के लोग इस विस्थापन का शिकार हुए. ऐसा ही एक परिवार था ऐजाज हुसैन खान का.
6 साल बाद शहर देखने वापस आए
ऐजाज हुसैन अविभाजित भारत के जालंधर की बस्ती गुजरान में एक पठान परिवार में पैदा हुए थे. विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया. 6 साल बाद, 1953 में उनके पिता और भाई समेत पुरानी बस्ती के कुछ लोगों ने तय किया कि वो एक बार जालंधर में अपना पुराना घर देखकर आएं, जो अब हिंदुस्तान के पंजाब का हिस्सा बन चुका था.
द पार्टिशन म्यूजियम को दिए गए एक पुराने इंटरव्यू में ऐजाज बताते हैं कि किसी तरह उनके पिता और बाकी लोग वीजा लेकर लाहौर से चले. जलंघर के बस अड्डे पर उनकी बस रुकी और सभी लोगों ने तय किया कि वो बस अड्डे से अपनी बस्ती तक एक मील पैदल जाएंगे.
ऐजाज के पिता के कुछ दोस्त तब भी हिंदुस्तान में उसी बस्ती में रहते थे. उनमें से एक दोस्त के रिश्तेदार का घर शहर के पास, बस्ती के रास्ते में ही पड़ता था, जो अब भी वहां है.
गले लगाया, कंधों पर उठाकर घर तक ले गए
ऐजाज कहते हैं कि उनके पिता और बाकी लोगों ने शहर और बस्ती के बीच आधा रास्ता ही तय किया था कि वहां के कुछ लोगों ने उन्हें पहचान लिया और जाकर बस्ती के बाकी लोगों को बताया कि वे यहां आ रहे हैं. उनके पिता उन्हें बताते थे कि किस तरह बस्ती के हिंदू दौड़कर उनकी तरफ आए और रास्ते में ही उन्हें गले लगा लिया, इसके बाद सबको कंधों पर उठाकर बस्ती तक ले गए.
लोगों ने उनकी आवभगत की और खाने पर बुलाया. ऐजाज के पिता की दो दिन की ये यात्रा दस दिनों तक खिंच गई.
विभाजन के समय कितने लोग प्रवासी बने?
विभाजन के समय पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटा था- पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान). पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान दोनों ही पाकिस्तान का हिस्सा थे. 1951 में पाकिस्तान में हुई जनगणना के मुताबिक भारत से 72,36,600 लोग पाकिस्तान पहुंचे थे.
लेकिन उसी साल भारत की जनगणना के अनुसार यहां से 72,95,870 लोग पाकिस्तान गए थे. वहीं भारत के 65 लाख मुसलमान पश्चिमी पाकिस्तान गए और वहां से करीब 47 लाख हिंदू और सिख भारत आ गए. पूर्वी पाकिस्तान से 26 लाख लोग भारत आए और 7 लाख लोग भारत से वहां चले गए.