सिगरेट पीने के शौकीन अक्सर तनाव होने पर धूम्रपान करते हैं. उनका मानना है कि सिगरेट एक स्ट्रेस रिलीवर है. ऑफिस में अक्सर लोग लंच ब्रेक में, मीटिंग के बाद या बॉस से कहासुनी होने पर 'सुट्टा ब्रेक के लिए जाते हैं लेकिन क्या वाकई में सिगरेट पीने से स्ट्रेस कम होता है या फिर यह सिगरेट पीने वाले लोगों के मन में एक फितूर है? अगर आप भी ऐसा करते हैं तो ब्रेक से पहले सच्चाई जान लें.
तनाव का निकोटिन से है संबंध
नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं उनमें धूम्रपान करने वालों की तुलना में तनाव का स्तर आमतौर पर कम होता है. हालांकि, लोगों का कहना है कि सिगरेट पीने के बाद उन्हें आराम महसूस होता है ऐसा इसलिए क्योंकि सिगरेट पीते ही आपके शरीर में निकोटिन का लेवल वापस अपने स्तर पर आ जाता है, जिसकी आपके शरीर को आदत पड़ी हुई है. जब आप धूम्रपान करते हैं, तो आपको लगेगा कि आपको अपने डोपामाइन के स्तर को नियंत्रित करने के लिए सिगरेट की ज़रूरत है. इसलिए, सिगरेट पीने से ऐसा लगता है कि यह आपको आराम करने में मदद कर रही है. लेकिन वास्तव में आपके शरीर पर शारीरिक तनाव बढ़ रहा है.
धूमप्रान करने से नहीं, छोड़ने से कम होता तनाव
धूम्रपान से मुक्त होने के 3 महीने बाद, डोपामाइन को नियंत्रित करने की क्षमता सामान्य स्थिति में लौट आती है. धूम्रपान छोड़ने से तनाव कम हो सकता है. निकोटीन की आदत तनाव को बढ़ाती है, और धूम्रपान के दौरान मूड सामान्य होता है, लेकिन सिगरेट की कमी से मूड बिगड़ता है. इसलिए, सिगरेट का तनाव कम करने वाला प्रभाव केवल निकोटीन की कमी से उत्पन्न तनाव और चिड़चिड़ापन को खत्म करता है.
नशा रोग विशेषज्ञ डॉ अनिल शेखावत कहते हैं कि अमूमन जब आप ऑफिस के माहौल से बाहर जाते हैं और खुली हवा में टहलते हैं तो एक नई ऊर्जा महसूस होती है. लेकिन निकोटिन के आदी लोगों को ऐसा अहसास होता है कि उन्हें सिगरेट पीने से वो ताजगी मिली है. हालांकि निकोटिन लेने पर उन्हें कुछ देर के लिए इस तरह का अहसास देता है, लेकिन उन्हें इस नशे की आदत से कई गुना शारीरिक हानियां होती हैं.