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कौन हैं बिहार की जीविका दीदियां? तेजस्वी यादव ने जिन्हें 30 हजार सैलरी देने का वादा किया

Bihar Assembly Election 2025: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले ऐलान किया है कि अगर वे जीतते हैं तो जीविका दीदियों को हर महीने 30 हजार रुपये दिए जाएंगे. ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये कौन हैं?

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बिहार में जीविका दीदियों को रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं. (Photo: PTI)
बिहार में जीविका दीदियों को रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं. (Photo: PTI)

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने हर घर में सरकारी नौकरी देने के वादे के बाद अब जीविका दीदियों को लेकर बड़ा ऐलान किया है. तेजस्वी यादव ने ऐलान किया है कि चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद जीविका दीदियों को हर महीने 30 हजार रुपये सैलरी दी जाएगी. इसके साथ ही जीविका दीदियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने का वादा भी किया गया है. 

साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाओं को 10 हजार रुपये रिश्वत के तौर पर देने का काम किया गया, जिसे यह सरकार वापस कराएगी. ऐसे में जानते हैं कि आखिर बिहार में जीविका दीदियां कौन होती हैं, जिन्हें हर महीने 30 हजार रुपये देने का वादा किया गया है...

कौन होती हैं जीविका दीदी?

दरअसल, बिहार सरकार की ओर से एक योजना चलाई जाती है, जिसका नाम है जीविका योजना. यह योजना 2006 में शुरू की गई थी, जिसे विश्व बैंक के सहयोग से बिहार ग्रामीण आजीविका मिशन (Bihar Rural Livelihoods Mission - BRLM) के तहत चलाया जा रहा है. इस योजना का मकसद महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है. इस योजना से जुड़ी महिलाओं को जीविका दीदी कहा जाता है.

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कैसे जुड़ती हैं महिलाएं?

जीविका से जुड़ी मुंगेर जिला के तेलियाडीह पंचायत की मां भवानी ग्राम संगठन की अध्यक्ष अनिता सिंह ने बताया कि जीविका से जुड़ने के लिए महिलाओं को एक स्वयं सहायता समूह (Self Help Group - SHG) बनाना होता है. इस ग्रुप में 10 से 15 महिलाएं होती हैं, जो अपने स्वरोजगार से हर महीने थोड़ी-थोड़ी राशि बचाकर अपने समूह के फंड में जमा करती हैं और जरूरत पड़ने पर उसी फंड से एक-दूसरे को लोन देती हैं.

अनिता सिंह ने बताया कि इसके अलावा महिलाओं के इन समूहों को जीविका योजना के तहत ग्रामीण बैंक से कुछ फंड या लोन भी मिलता है, ये राशि 30-40 हजार रुपये  या उससे ज्यादा भी हो सकती है. इस राशि का इस्तेमाल समूह से जुड़ी महिलाएं अपने स्वरोजगार या लघु उद्योग या छोटे-मोटे काम में करती हैं. इस तरह जीविका से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं अपना छोटा-मोटा काम शुरू कर सकती हैं और आत्मनिर्भर हो रही हैं.  समूह की महिलाएं सरकार की ओर से आने वाले फंड और जमा की हुई राशि को जरूरत के हिसाब से आपस में पैसे बांटकर अपने काम में इसका इस्तेमाल करती हैं.  ये ग्रुप आगे किसी बिजनेस का रूप भी ले लेता हैं. यानी ग्रुप की महिलाएं मिलकर भी कोई सामूहिक काम करती हैं, जिससे सामूहिक सभी को आमदनी होती है.  

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सीधे शब्दों में कहें तो सबसे पहले महिलाओं को एक ग्रुप बनाना होता है और फिर उस ग्रुप को जीविका योजना के तहत पैसा मिलता है, जिसके लिए कुछ नियम शर्तों को पूरा करना होता है. इसके बाद लोन के रूप में महिलाओं को कोई काम शुरू करने के लिए पैसा मिलता है, जिससे महिलाएं खुद का रोजगार शुरू करती हैं. इसके बाद पैसे लौटाकर दूसरी महिलाओं की भी सहायता की जाती है.

जीविका दीदियों का काम क्या है?

जीविका दीदियों का काम केवल बचत तक सीमित नहीं है. वे गांव में आर्थिक, सामाजिक और विकास कार्यों में अहम भूमिका निभाती हैं. वे दूध उत्पादन, सब्ज़ी खेती, बकरी पालन, अगरबत्ती और पापड़ बनाने, सिलाई-कढ़ाई, शहद उत्पादन जैसे कार्यों से आय अर्जित करती हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार ग्रामीण आजीविका मिशन (BRLM) में अब तक 1.4 करोड़ से ज्यादा महिलाएं जीविका से जुड़ चुकी हैं. 13 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं. कई दीदियां अब महीने के 10,000 से 25,000 रुपये तक कमा रही हैं. हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि बिहार की जीविका दीदियों ने छोटी सी धनराशि से काम शुरू किया था और अब करीब 70 से ज्यादा कंपनियां बना चुकी हैं.

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