तुर्किए ने आधुनिक सैन्य तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. तुर्की की डिफेंस कंपनी Baykar ने बताया कि उसके दो Kizilelma बिना पायलट वाले लड़ाकू विमानों ने दुनिया की पहली पूरी तरह ऑटोनॉमस क्लोज फॉर्मेशन फ्लाइट सफलतापूर्वक पूरी की है. खास बात यह रही कि इस उड़ान में किसी भी तरह का मानव हस्तक्षेप नहीं था और पूरा संचालन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-AI के जरिए हुआ.
Baykar के अनुसार, दोनों जेट्स ने अपने ऑनबोर्ड AI सिस्टम, सेंसर और रियल टाइम डेटा शेयरिंग की मदद से बेहद नजदीक रहते हुए एक साथ उड़ान भरी. यह काम हाई स्पीड पर किया गया, जो आमतौर पर मानवरहित विमानों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक किसी भी देश ने हथियारों से लैस, जेट इंजन वाले ड्रोन विमानों के बीच इस तरह की पूरी तरह स्वचालित सामूहिक उड़ान को सार्वजनिक रूप से नहीं दिखाया था.
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यह परीक्षण तुर्किए के हवाई क्षेत्र में किया गया. उड़ान के दौरान दोनों Kizilelma UCAVs ने आपसी दूरी, दिशा और गति को सटीक तरीके से बनाए रखा. क्लोज फॉर्मेशन फ्लाइट को ड्रोन तकनीक की सबसे जटिल चुनौतियों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसमें टकराव से बचाव, तालमेल और तेज फैसलों की जरूरत होती है.
AI फाइटर जेट में क्या खास है?
Kizilelma ड्रोन को पहली बार 2022 में पेश किया गया था. यह पारंपरिक निगरानी या सीमित हमले वाले ड्रोन से अलग है. इसे खास तौर पर दुश्मन के हवाई क्षेत्र में ऑपरेशन, हवा से हवा में लड़ाई और मानव आधारित फाइटर जेट्स के साथ मिलकर काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें स्टेल्थ डिजाइन, इंटरनल वेपनरी सिस्टम और AI आधारित फ्लाइट कंट्रोल शामिल हैं.
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6000 किलो वजन के साथ भर सकता है उड़ान
यह ड्रोन एक टर्बोफैन इंजन से लैस है और इसका अधिकतम टेकऑफ वजन करीब 6,000 किलोग्राम है. यह जमीन के साथ-साथ तुर्की नौसेना के TCG Anadolu जैसे जहाजों से भी उड़ान भर सकता है, जहां कैटापल्ट सिस्टम की जरूरत नहीं होती. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तकनीक भविष्य के हवाई युद्ध की दिशा और रणनीति को पूरी तरह बदल सकती है.