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भारत ने स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला सफल परीक्षण किया, डिफेंस टेक्नोलॉजी में बड़ी सफलता

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 3 मई को मध्यप्रदेश के श्योपुर परीक्षण स्थल से स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला सफल परीक्षण किया. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रणाली भारत की ISR क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी और यह देश को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे ले जाएगी.

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स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का सफल परीक्षण हुआ
स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का सफल परीक्षण हुआ

भारत ने डिफेंस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक और अहम उपलब्धि हासिल की है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 3 मई को मध्यप्रदेश के श्योपुर परीक्षण स्थल से स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला सफल परीक्षण किया. यह प्लेटफॉर्म आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट (ADRDE) द्वारा डेवलप किया गया है.

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि DRDO ने स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला परीक्षण श्योपुर परीक्षण स्थल से सफलतापूर्वक किया.

ये एयरशिप एक स्पेशल पेलोड के साथ लगभग 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचा और इसकी उड़ान अवधि करीब 62 मिनट रही. इस दौरान मिले आंकड़ों का इस्तेमाल भविष्य में ज्यादा ऊंचाई वाले एयरशिप मिशनों के लिए हाई क्वालिटी वाले सिमुलेशन मॉडल विकसित करने में किया जाएगा. 

India conducted maiden flight-trials of stratospheric airship platform in Madhya Pradesh

उड़ान के दौरान एन्क्लोज़र प्रेशर कंट्रोल और आपातकालीन डिफ्लेशन सिस्टम की भी जांच की गई, और परीक्षण के बाद प्रणाली को सुरक्षित रूप से री-स्टोर किया गया.

DRDO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा कि यह 'लाइटर देन एयर' प्रणाली भारत की पृथ्वी अवलोकन, खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही (ISR) क्षमताओं को बढ़ाएगी, जिससे भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास यह स्वदेशी तकनीक है.

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वहीं, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रणाली भारत की ISR क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी और यह देश को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे ले जाएगी.

रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी सिस्टम के डिजाइन, विकास और परीक्षण के पीछे की टीम की सराहना की. उन्होंने प्रोटोटाइप उड़ान को हवा से हल्के, उच्च ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म के विकास में एक मील का पत्थर बताया जो स्ट्रैटोस्फेयर में लंबे समय तक टिके रहने में सक्षम है. यह एयरशिप भविष्य में निगरानी, संचार, और आपदा प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों में भारत को रणनीतिक बढ़त दिला सकती है.

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