scorecardresearch
 

Sohrabuddin encounter case verdict: अदालत ने खारिज की ये दलीलें, मानी गोली लगने की बात

2005-06 के दौरान हुए इस एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति के मारे जाने के बाद कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि 2014 में 16 लोगों को बरी कर दिया गया था.

Advertisement
X
CBI अदालत ने इस मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है (फाइल फोटो)
CBI अदालत ने इस मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है (फाइल फोटो)

बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने अहम फैसला सुनाते हुए सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया. दरअसल, अदालत ने इस मामले में कुछ बातों को सही माना लेकिन कुछ दलीलों को पूरी तरह खारिज कर दिया.

विशेष अदालत ने मानी ये बातें

इस चर्चित मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए अदालत ने माना कि सोहराबुद्दीन की मौत गोली लगने के कारण ही हुई थी. यानी उसकी हत्या की गई थी. ये बात तो अदालत ने मान ली. लेकिन साथ ही यह भी कहा कि सोहराबुद्दीन की हत्या किसने की, इस बात का कोई सबूत नहीं है.

कोर्ट ने माना कि सरकार और एजेंसियों ने इस मामले की जांच में काफी मेहनत की, कोर्ट के समक्ष 210 गवाहों को पेश किया गया. लेकिन केस से जुड़े सबूत सामने नहीं आ सके. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष की गलती नहीं है कि गवाहों ने कुछ नहीं बताया.

Advertisement

अदालत ने खारिज की ये दलीलें

जज ने कहा कि कानून और सिस्टम को किसी आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूतों की आवश्यकता होती है. सीबीआई इस बात को सिद्ध ही नहीं कर पाई कि पुलिसवालों ने सोहराबुद्दीन को हैदराबाद से अगवा किया था. इस बात का कोई सबूत नहीं है.

स्पेशल कोर्ट ने कहा है कि जो गवाह और सबूत अदालत में पेश किए गए हैं, वह किसी साजिश और हत्या को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि परिस्थिति के अनुसार जो भी साक्ष्य पेश किए गए वह भी आरोप सिद्ध नहीं करते हैं.

इसके अलावा सीबीआई की विशेष अदालत ने तुलसीराम प्रजापति की साजिशन हत्या की बात को भी नहीं माना. अदालत ने कहा कि प्रजापति की हत्या की बात गलत है.

बताते चलें कि 2005-06 के दौरान हुए इस एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति के मारे जाने के बाद कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि 2014 में 16 लोगों को बरी कर दिया गया था. बरी किए गए लोगों में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह (तत्कालीन गृह मंत्री), पुलिस अधिकारी डी. जी. बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल थे.

यह मामला पहले गुजरात में चल रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था. अब 13 साल बाद कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है. इस मामले की आखिरी बहस 5 दिसंबर को खत्म हुई थी. अब सभी 22 आरोपियों को सूबतों की कमी के चलते बरी कर दिया गया है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement