केरल के वायनाड जिले में तीन पुलिसवालों ने अपनी करतूत से वर्दी को दागदार कर दिया. यहां के व्यथिरी थाने के एसएचओ अनिल कुमार और दो वरिष्ठ सिविल पुलिस अधिकारियों (एससीपीओ) अब्दुल शुकूर और अब्दुल मजीद पर तीन युवकों से लाखों रुपए लूटने और मारपीट करने का गंभीर आरोप लगा है. इस मामले के सामने आने के बाद इन तीनों को जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक, ये घटना 15 सितंबर को दोपहर करीब 2.30 बजे हुई. मलप्पुरम के कोंडोट्टी के रहने वाले तीन युवक मुहम्मद जिनास, सिनान पांडिक्कड़ और सिनान चेरूपा अपनी गाड़ी से वायनाड के व्यथिरी इलाके से गुजर रहे थे. उन्हें रास्ते में एसएचओ अनिल कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने रोका. इसके बाद पुलिसवालों ने युवकों से 3.37 लाख जबरन छीन लिए. उन्हें पुलिस वाहन में बैठाकर ले गए.
पीड़ित युवकों का आरोप है कि उन्हें बाद में एक चाय बागान में ले जाकर बुरी तरह पीटा गया. इस घटना के बाद तीनों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. वहीं, उपचार के दौरान ही पीड़ितों ने वायनाड जिला पुलिस प्रमुख के पास लिखित शिकायत दी. उसकी शिकायत के आधार पर कलपेट्टा के पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में एक टीम ने प्रारंभिक जांच की, जिसमें तीनों पुलिसकर्मियों पर लगा आरोप सही पाया गया.
पुलिस के मुताबिक, बरामद की गई रकम पर हवाला से जुड़े होने का संदेह है. यही वजह थी कि युवकों को रोका गया था. हालांकि, डकैती और मारपीट की पुष्टि के बाद मामला उल्टा आरोपित पुलिस अधिकारियों पर ही दर्ज कर लिया गया. आरोपी एसएचओ अनिल कुमार और दोनों एससीपीओ फरार हैं. उनकी तलाश में विशेष टीम गठित की गई है. प्राथमिक जांच पूरी होने के बाद उनके खिलाफ डकैती का केस दर्ज किया गया है.
तीनों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 309(4), 115(2), 351(2) और 3(5) के तहत आरोप लगाए गए हैं. यह मामला सिर्फ पुलिस की साख को धक्का नहीं पहुंचाता, बल्कि यह भी दिखाता है कि कानून की रक्षा करने वाली वर्दी के पीछे कैसे कभी-कभी अपराध की परछाई छिपी रहती है. अब जांच एजेंसियों के सामने यह चुनौती है कि वे फरार आरोपियों को पकड़कर सच्चाई पूरी तरह सामने लाएं.