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Maharashtra: घर आई भतीजी से कई बार किया बलात्कार, अदालत ने अपराधी को सुनाई 20 साल की सजा

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने अपनी 8 वर्षीय भतीजी से बलात्कार करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. अपराधी ने साल 2020 में कई मौकों पर पीड़िता को अपनी हवस का शिकार बनाया था.

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भतीजी से बलात्कार करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा.
भतीजी से बलात्कार करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा.

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने अपनी 8 वर्षीय भतीजी से बलात्कार करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. अपराधी ने साल 2020 में कई मौकों पर पीड़िता को अपनी हवस का शिकार बनाया था. अदालत ने उस पर एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. 

न्यायाधीश वीएल भोसले ने 6 जनवरी को अपने आदेश में कहा कि 56 वर्षीय अपराधी को निर्धारित न्यूनतम सजा से अधिक सजा देने का कोई कारण नहीं है. उसे यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया है. इस आधार पर उसे सजा सुनाई गई है.

अदालत ने पीड़िता और आरोपी की उम्र, यौन अपराध करने के तरीके और बेहद आपत्तिजनक शर्मनाक आचरण पर विचार करने के बाद अपना फैसला सुनाया. अपराधी ठाणे के मीरा रोड इलाके के नयानगर में रहता था. विशेष लोक अभियोजक वर्षा चंदाने ने अदालत को बताया कि पीड़िता और आरोपी रिश्तेदार हैं.

साल 2020 में पीड़िता की मां ने उसे अपराधी रिश्तेदार के घर रहने के लिए भेजा था. इस दौरान मार्च से जून 2020 के बीच उसने कई मौकों पर घर में लड़की के साथ बलात्कार किया. पीड़िता की मां उत्तर प्रदेश के प्रयागराज गई हुई थी, लेकिन कोरोना की वजह से लॉकडाउन के कारण अपने घर वापस नहीं आ सकी.

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इस बीच पीड़िता एक अन्य रिश्तेदार के घर गई, जहां उसने अपनी आपबीती सुनाई. इसके बाद में उसकी मां वापस लौटी और उसे अपराध के बारे में पता चला. उन्होंने तुरंत अपने रिश्तेदार के खिलाफ स्थानीय थाने में तहरीर दी. इसके आधार पर आरोपी के खिलाफ आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

न्यायाधीश ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अपराध की गंभीर प्रकृति और नाबालिग पीड़िता द्वारा झेले गए मानसिक आघात को देखते हुए उसे मुआवजा दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने निर्देश दिया कि इस मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजा जाए, ताकि मुआवजे पर निर्णय लिया जा सके. 

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