कोरोना संक्रमण का खौफ लोगों के दिल में इस कदर घर कर चुका है कि वे शवदाह करने तक में कतरा रहे हैं. वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शवदाह करने वालों ने एक महिला का अंतिम संस्कार करने से ही इनकार कर दिया और शव को चिता पर छोड़कर भाग खड़े हुए. लगभग एक घंटे तक चली ऊहापोह के बीच पुलिस के हस्तक्षेप के बाद महिला का शवदाह हो सका.

दरअसल, रविवार को वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र स्थित महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर एक महिला का शव लेकर सेना की वर्दी में कुछ जवान पहुंचे. महिला का शव पूरी तरह से कवर था. वहीं परिजन से लेकर अन्य लोग पीपीई किट पहने हुए थे. इस वजह से पूरे इलाके में मृतका के कोरोना संक्रमित होने की अफवाह आग की तरह फैल गई. ऐस में जब शव को दाह के लिए घाट पर देखा तो लोग चिता पर शव को रखा छोड़कर ही भाग खड़े हुए. उन्होंने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया.

मृतका के परिजनों और शवदाह करने वालों के बीच लगभग एक घंटे तक मान मनौवल चलता रहा. परिजनों ने घटना की सूचना संबंधित थाने पर दी. कुछ देर बाद मौके पर पुलिस पहुंची. उन्होंने मृतका का डेथ सर्टिफिकेट चेक किया तो पता चला कि मौत कोरोना की वजह से नहीं बल्कि ब्रेन हेमरेज से हुई थी. मृतका का भाई वाराणसी के छावनी क्षेत्र में स्थित 39 जीटीसी में फौजी है, इसलिए शव लेकर सेना की वर्दी में कुछ जवान पहुंचे थे.

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मौके पर पहुंचे चौक थाना के इंचार्ज राकेश सिंह ने बताया कि वाराणसी कैंटोनमेंट क्षेत्र स्थित 39 जीटीसी में हवलदार सचिन थापा की बहन तारा देवी की मौत हो गई थी. उनको खून की उल्टियों की शिकायत थी, जिसके बाद उन्हें बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां ब्रेन हेमरेज होने की वजह से शनिवार शाम को उनकी मौत हो गई.
रविवार को शवदाह के लिए परिजन मणिकर्णिका घाट पहुंचे. शव कपड़े में लिपटा हुआ था, इसलिए लोगों के बीच कोरोना संक्रमित होने का भ्रम फैला और शवदाह करने वालों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया. हमने मृत्यु से संबंधित कागजात चेक किए और शवदाह करने वालों को समझाया. इसके बाद वे शवदाह के लिए राजी हो गए.

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शवदाह कराने वालों में से एक शालु चौधरी ने बताया कि जिस तरह से शव को कवर किया हुआ था, साथ ही उनके साथ आए लोग भी खुद को कवर किए हुए थे. उन्हें देखकर भ्रम हुआ कि मृतका कोरोना पीड़ित थी. हालांकि जब पुलिस ने डेथ सर्टिफिकेट सहित अन्य कागजात दिखाए तो हम लोग शवदाह करने के लिए राजी हो गए. दहशत की वजह से शुरुआत में लगभग एक घंटे तक हम लोगों ने शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था.